सांसद पचास प्रतिशत तक भी राशि खर्च नहीं कर सके

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

सांसद पचास प्रतिशत तक भी राशि खर्च नहीं कर सके

पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के शासनकाल के दौरान वर्ष 1993 में संसद-सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना योजना को लॉन्च किया गया था.योजना 1993-94 में शुरू की गई थी.जो लगातार 29 वर्षों से जारी है.केवल देश भर में COVID -19 महामारी फैलने के कारण, केंद्र सरकार ने डच्स्।क् फंड स्कीम को दो साल के लिए अस्थायी रूप से निलंबित करने का फैसला किया था.अर्थात 2020-21 और 2021-22 के बीच की अवधि में यह फंड सदस्यों को नहीं दिया गया. इस बीच मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेशन ने वर्ष 2019-20 लेखा जोखा जारी किया है. इसमें बिहार के मुजफ्फरपुर जिले को छोड़ उत्तर बिहार के अन्य सभी सांसद पचास प्रतिशत तक भी राशि खर्च नहीं कर सके.पेश है आलोक कुमार की रिर्पोट.

पटना.पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के शासनकाल के दौरान वर्ष 1993 में संसद-सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना योजना को लॉन्च किया गया था.योजना 1993-94 में शुरू की गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य विकासात्मक कार्यों के लिए धन उपलब्ध कराना था जिसकी सिफारिश संसद सदस्यों द्वारा की जाएगी. उस समय पांच लाख रुपए सांसद को विकास कार्य के लिए खर्च करने के लिए दिए जाते थे. वर्ष 1994-94 में सांसद निधि योजना में खर्च की सीमा एक करोड़ रुपए की गई थी.केंद्र सरकार लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 250 सांसदों से जुड़े जिलों के जिलाधिकारियों को पैसा भेजती है. जिसे जिलाधिकारी एक बैंक खाते में रखते हैं. फिर सांसदों के निर्देशों के पूरा करने के लिए इनका प्रयोग किया जाता हैं. इस फंड और इससे होने वाले कार्य की निगरानी के लिए जिले में एक नोडल अधिकारी होता है.1998-99 में बढ़ाकर 2 करोड़ और 2011-12 में पांच करोड़ रुपए सालाना किया गया है. इससे पहले संबंधित कमेटी की मीटिंग 1 जुलाई 2013 को हुई थी. इसमें सांसद निधि 5 से दस करोड़ करने की सिफारिश की गई थी. योजना 1993-94 में शुरू की गई थी.सांसदों को साल में 5 करोड़ रुपए मिलते है, जो ढाई- ढाई करोड़ की दो किश्तों में जारी किए जाते हैं.

मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेशन ने वर्ष 2019-20 लेखा जोखा जारी किया है.इसमें बिहार के 41 सांसदों में से कई सांसद केंद्र सरकार में मंत्री है.उन्हें भी नियमानुसार केंद्र सरकार ने सांसद निधि में रुपये आवंटित किये.लेकिन, वे भी इसे खर्च करने में पीछे है. बक्सर के सांसद व केंद्र सरकार में मंत्री अश्वनी कुमार चैबे ने अपने निधि से अपने क्षेत्र में सिर्फ 1.75 करोड का ही अबतक काम करा सके है. वहीं, उनके पास 3.25 करोड़ राशि शेष है. वहीं केंद्रीय मंत्री व पटना साहिब से सांसद रवि शंकर प्रसाद ने तो मिले राशि का इस्तेमाल ही नहीं किया है.आवंटित पूरी राशि शेष बची हुई है. इसके अलावा केंद्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने भी अपने निधि से खर्च करने में कोताही बरती है.ये आवंटित पांच करोड़ में से सिर्फ 2.36 करोड़ राशि ही खर्च कर सके है.इसके अलावा मंत्री गिरिराज सिंह के पास 3.28 करोड़ रुपये शेष बचे हुए है.


देश भर में COVID -19 महामारी फैलने के कारण, केंद्र सरकार ने डच्स्।क् फंड स्कीम को दो साल के लिए अस्थायी रूप से निलंबित करने का फैसला किया है, अर्थात 2020-21 और 2021-22 के बीच की अवधि में यह फंड सदस्यों को नहीं दिया जायेगा. इन दो वर्षों के लिए MPLAD फंड की कुल राशि लगभग प्छत् 7,900 करोड़ है, जिसका उपयोग सरकार कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए करेगी. सूत्रों के अनुसार, योजना से प्राप्त धनराशि का उपयोग स्क्रीनिंग, चिकित्सा परीक्षण के साथ-साथ अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए किया जाएगा जो COVID -19 से लड़ने के लिए आवश्यक हैं. इसके अतिरिक्त, पूरे देश में अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में इन्फ्रारेड थर्मामीटर, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण किट, थर्मल स्कैनर के साथ-साथ प्ब्न् वेंटिलेटर की सुविधा आदि उपलब्ध कराने में यह रूपया खर्च किया जायेगा.इन दो वर्षों के लिए डच्स्।क् फंड की कुल राशि लगभग प्छत् 7,900 करोड़ है, जिसका उपयोग सरकार कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए करेगी.


वितीय वर्ष 2020-21 व 2021-22 में रुपये नहीं मिलने के बावजूद यह स्थिति।

मुजफ्फरपुर, ख्अमरेन्द्र तिवारी,।मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेशन ने वर्ष 2019-20 लेखा जोखा पेश किया है। इसके मुताबिक उतर बिहार में सांसद निधि को खर्च करने वाले सबसे पहले पायदान पर सांसद अजय निषाद का नाम आया है। जनता के मांग के अनुरूप अपनी योजना की राशि खर्च की है। उतर बिहार की बात करें तो इस सूची में सुपौल का ग्राफ सबसे पीछे है। मालूम हो कि पिछले दो वित्तिय वर्ष से सांसदों को सांसद निधि की राशि नहीं मिली है। वित्तिय वर्ष 2019-20 में मिले राशि खर्च करने में उतर बिहार के कई सांसद की रूचि नहीं दिख रही है। जानकारों की माने तो केंद्र सरकार हर वित्तिय वर्ष सांसदों को सांसद निधि जन उपयोगी काम कराने के लिए देती है। सांसद अजय निषाद ने सर्वाधिक और सुपौल सांसद सबसे कम राशि सांसद निधि योजना में की है। इसे लेकर जानकारी के अनुसार वित्तिय वर्ष 2019-20 में केंद्र सरकार ने सांसदों के निधि फंड में सात, पांच और ढ़ाई करोड़ रुपये आवंटित किये। जिसका खर्च करने में उत्तर बिहार सहित सूबे के 95 फीसदी सांसद ने रूचि नहीं ली। उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर सांसद ने तकरीबन शत प्रतिशित सांसद निधि कोष के रुपये को खर्च किया है। उनके पास सिर्फ 0.01 करोड़ रुपये ही बचे है। वही, वैशाली सांसद वीणा देवी के पास 2.60 करोड़ और शिवहर सांसद रामा देवी के पास मिले पांच करोड़ राशि में 1.85 करोड़ की राशि खर्च करने को पडी हुई है।

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :