आलोक कुमार
पटना.भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने छात्र संगठन आइसा व नौजवान संगठन इनौस द्वारा आज बुलाए गए बिहार बंद के दौरान पटना में माले विधायक दल के नेता महबूब आलम व पालीगंज विधायक संदीप सौरभ की गिरफ्तारी की निंदा की है. कहा कि सरकार दमन चलाने से बाज नहीं आ रही है, लेकिन वह शायद भूल गई है कि दमन अभियान से कोई आंदोलन नहीं रूकता.
उन्होंने आगे कहा कि छात्र-युवा संगठनों के इस बंद को भाकपा-माले सहित महागठबंधन की सभी पार्टियों ने समर्थन दिया था. हिंदुस्तानी अवामी मोर्चा, वीआईपी जैसी पार्टियों को भी धन्यवाद जिन्होंने आज के बंद का समर्थन किया, लेकिन उन्हें सरकार के खिलाफ और ज्यादा साहस दिखाना चाहिए. पप्पू यादव के संगठन को भी भाकपा-माले धन्यवाद ज्ञापन करती है, जिनकी पार्टी बंद के समर्थन में उतरी.
माले राज्य सचिव कुणाल ने आगे कहा कि आरआरबी में संशोधित 7 लाख रिजल्ट व ग्रुप डी में एक ही परीक्षा की मांग पर छात्रों के आक्रोश का विस्फोट स्वभाविक था. वह लंबे समय से उनके मन में पनप रहा था. इस कारण समाज के व्यापक तबके का उन्हें समर्थन मिला. लेकिन सरकार ने आंदोलन को एक तरफ दमन अभियान चलाकर कमजोर करने की कोशिश की, दूसरी ओर आंदोलन समर्थकों को तरह-तरह से डराने-धमकाने की भी कोशिश की गई और उन्हें आज के बिहार बंद में उलटा बयान देने को विवश किया गया. लेकिन सरकार चाहे जितना तिकड़म कर ले, रोजगार के सवाल पर मोदी व नीतीश सरकार बेनकाब हो चुकी है.
उन्होंने कहा कि यूपी में चुनाव को देखते हुए सरकार झांसा दे रही है. विगत 7 सालों से मोदी सरकार ने छात्र-युवाओं को केवल ठगने का ही काम किया है. नीतीश सरकार ने भी 19 लाख रोजगार का वादा किया था, वह भी अपने इस वादे से भाग खड़ी हुई. जाहिर है कि युवाओं के आक्रोश का विस्फोट होगा. सभी गिरफ्तार छात्रों की अविलंब रिहाई की जाए तथा उनपर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं.
उन्होंने बिहार के छात्र-युवाओं का आह्वान किया कि सरकारी तंत्र के तिकड़म का वे अपनी एकता व शांतिपूर्ण आंदोलनों द्वारा प्रतिवाद करें और इन सरकारों को घुटना टेकने के लिए मजबूर करें, जो तमाम राष्ट्रीय संपत्तियों का निजीकरण करके छात्र-युवाओं को रोजगार के असवरों से बाहर कर रहे हैं और हिंदु - मुसलमान का जहर घोल रहे हैं.यह उठ खड़ा छात्र-युवा आंदोलन बिहार और देश की तस्वीर बदल देगा.
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