आंदोलनरत छात्र युवाओं के प्रति सरकार का दमनात्मक रूख निंदनीय

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आंदोलनरत छात्र युवाओं के प्रति सरकार का दमनात्मक रूख निंदनीय

आलोक कुमार

पटना.आरआरबी एनटीपीसी की परीक्षा के रिजल्ट में धांधली तथा ग्रुप डी की परीक्षा में एक की जगह दो परीक्षा करने के तुगलकी फरमान के खिलाफ उठ खड़े छात्र-युवा आंदोलन के प्रति सरकार का दमनात्मक रवैया निंदनीय है. पुलिसिया दमन, आसू गैस, गिरफ्तारी व मुकदमे थोपकर सरकार आंदोलन को कुचलने की कोशिश कर रही है, जो कहीं से जायज नहीं है.

छात्र-युवा आक्रोश का यह महाविस्फोट अकारण नहीं है. विगत 7 सालों में भाजपा के राज में वे अपने को लगातार छला महसूस कर रहे हैं. बिहार की सरकार ने भी उन्हें धोखा दिया है. ऐसी कोई परीक्षा नहीं है जिसकी प्रक्रिया पूरी होने में कम से कम 5 से 7 साल का समय नहीं लगता हो. इससे लोग तंग आ गए हैं. बेरोजगारी का आलम यह है कि ग्रुप डी तक की परीक्षा में भी करोड़ों आवेदन आते हैं. बिहार में तो बेरोजगारी चरम पर है, इसलिए सबसे ज्यादा तीखा प्रतिवाद यही देखा जा रहा है.

तात्कालिक कारण रेलवे की एनटीपीसी (नन टेक्निकल पोपुलर कैटेगरी) 35277 पदों और ग्रुप डी की लाख 3 हजार रिक्तियों की परीक्षा लेकर है. स्नातक स्तरीय 35277 पदों के पीटी रिजल्ट को लेकर उठाए जा रहे सवाल को समझने में रेलवे प्रशासन को क्या दिक्कत है, जो वह जांच कमिटी का झुनझुना थमा रही है. पीटी परीक्षा में पदों का 20 गुणा रिजल्ट देना था, रेलवे ने रिजल्ट भी इतना ही दिया है, लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे अभ्यर्थी हैं, जो एक से अधिक पदों पर चयनित हुए हैं. कोई एक अभ्यर्थी एक से अधिक पदों पर सफल हो सकता है, लेकिन वह एक अभ्यर्थी ही माना जाए और इसलिए उसकी गिनती एक व्यक्ति के बतौर ही होनी चाहिए न कि अनेक. इस तरह 7 लाख अभ्यर्थियों की जगह सही अर्थों में महज -2 लाख 76 हजार अभ्यर्थियों को ही चयनित किया जा रहा है और 4 लाख 24 हजार अभ्यर्थियों (यानी दो तिहाई) को चयन व दूसरी व अंतिम परीक्षा में शामिल होने के मौके से ही बाहर कर दिया जा रहा है. सो, छात्र युवाओं की 7 लाख संशोधित रिजल्ट फिर से प्रकाशित करने की मांग एकदम जायज है. इन 35 हजार रिक्तियों पर करीब सवा करोड़ आवेदन आए थे. लेकिन कोरोना महामारी के कारण परीक्षा में केवल 60 लाख अभ्यर्थी ही शामिल हो सके थे.

ग्रुप डी के मामले में भी अभ्यर्थियों की साफ मांग है कि पहले के नोटिफिकेशन के आधार पर केवल एक परीक्षा ली जाए और दूसरे नोटिफिकेशन को रद्द किया जाए. विदित हो कि रेलवे ने अचानक दूसरी परीक्षा लेने का भी नोटिफिकेशन निकाल दिया,जिसके कारण ग्रुप डी के लड़के आक्रोशित हुए. 1 लाख 3 हजार रिक्तियों पर 1 करोड़ 17 लाख आवेदन आए हैं.

आंदोलन के दबाव में रेल मंत्री का पहले मामले में जांच कमिटी बनाने और ग्रुप डी की परीक्षा को रद्द करने का आश्वासन मामले को टालने व उलझाने जैसा है. जांच कमिटी को अपनी रिपोर्ट मार्च तक जमा करने से साफ झलकता है कि उत्तरप्रदेश के चुनाव को देखते हुए रेल मंत्रालय ने यह कदम उठाया है. बिहार के विगत विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार रोजगार एक बड़ा मुद्दा बना था. यूपी चुनाव के ठीक पहले छात्र युवाओं का यह आंदोलन भाजपा के लिए सरदर्द बन रहा है.

यदि सरकार सचमुच छात्र-युवाओं के सवालों के प्रति गंभीर होती तो इन दोनों मामलों में उनकी मांगों को मान लेने में उसे कोई परेशानी ही नहीं होती. पहले मामले में 7 लाख संशोधित रिजल्ट और ग्रुप डी मामले में पहले नोटिफिकेशन के आधार पर केवल एक परीक्षा का सवाल ऐसा नहीं है, जिसे लागू करने के लिए सरकार को जांच कमिटी बनानी पड़े. जाहिर सी बात है कि यह आक्रोश को कमजोर करने का एक तरीका है. आंदोलनरत छात्र-युवा इससे संतुष्ट नहीं है. सरकार के दमनात्मक रूख से भी स्पष्ट है कि वह मसले को हल करने के प्रति गंभीर नहीं है.

महागठबंधन के दल स्नातक स्तरीय परीक्षा में संशोधित 7 लाख रिजल्ट, ग्रुप डी में केवल एक परीक्षा और आंदोलन कर रहे छात्र युवाओं के दमन पर रोक लगाते हुए उनपर थोपे गए मुकदमों की वापसी की मांग के साथ खड़े हैं. उनके आंदोलन का हर तरह से समर्थन करते हैं तथा 28 जनवरी के बिहार बंद को सफल बनाने की अपील बिहार की जनता से करते हैं. सरकार छात्र- युवाओं के इस आक्रोश को समझे तथा धैर्य व संयम का परिचय देते हुए उनकी मांगों को अविलंब हल करने की दिशा में बढ़े.

राजद ने सभी जिलों की टीम को इस बंद को लेकर पत्र भेज दिया है. जिसमें कहा गया है कि रिजल्ट को लेकर छात्रों के आंदोलन को महागठबंधन का साथ है. इसमें राजद, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआई माले, सीपीआईएम, सभी दलों ने समर्थन दिया है. आरजेडी ने अपने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से अपील की है कि वो अहिंसक तरीके से अपने-अपने इलाकों में इसे सफल बनाएं.

इस मौके पर महागठबंधन के नेताओ ने छात्रों की मांगों को जायज बताया और उन मांगों पर त्वरित निर्णय लेने की मांग की.जगदानंद सिंह ने रेलवे को कमजोर करने और उसे निजीकरण की ओर धकेलने का भी आरोप लगाया.उन्होंने कहा कि हिंसा की ओर छात्रों को न मजबूर किया जाए. 2 करोड़ 42 लाख छात्रों के भविष्य का सवाल है.उन्होंने कहा कि आंदोलन में महागठबंधन सक्रिय रूप से शामिल होगा.

माकपा राज्य सचिव अवधेश कुमार ने कहा कि पिछले सात वर्षों में भाजपा के राज में छात्र अपने को लगातार छला महसूस कर रहे हैं. बिहार की डबल इंजन सरकार ने भी 19 लाख रोजगार देने का वादा पूरा नहीं किया.

भाकपा राज्य सचिव रामनरेश पांडेय ने कहा कि रेलवे द्वारा जारी रिजल्ट कई गड़बड़ियां हैं.कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौर ने केंद्र व राज्य सरकार पर छात्रों के साथ वादाखिलाफी करने का आरोप लगाया.सभी दलों ने मांग की कि स्नातक स्तरीय परीक्षा में रिजल्ट जारी हो.

ग्रुप डी में केवल एक परीक्षा ली जाए और छात्रों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लिया जाए.मौके पर भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, पूर्व मंत्री श्याम रजक, पूर्व विधायक शक्ति सिंह यादव व अन्य मौजूद थे.  परीक्षा को लेकर छात्र पिछले चार दिनों से आंदोलनरत हैं.मंगलवार को आंदोलन हिंसक भी हो गया. बुधवार को गया में पैसेंजर ट्रेन की बोगियों में आग लगा दी गई.देर रात पटना में छापेमारी भी की गई. 


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