जांच में 85 फीसदी मरीजों के सैंपल में ओमीक्रोन

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जांच में 85 फीसदी मरीजों के सैंपल में ओमीक्रोन

आलोक कुमार

पटना.मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा समीक्षा बैठक के दौरान प्रदेश में जीनोम सिक्‍वेंसिंग के सम्‍बन्‍ध में आदेश दिए थे.इस आदेश को अमल करते हुए राजधानी पटना में स्थित आईजीआईएमएस में जिनोम सिक्वेंसिंग शुरू की गयी. पटना आईजीआईएमएस स्थित लैब में 32 सैंपलों की जीनोम सिक्वेंसिंग की रिपोर्ट में 27 लोग संक्रमित  पाए गए हैं. लैब में की गई यह पहली जांच है, जिसमें 85 फीसदी मरीजों के सैंपल जांच में ओमीक्रोन की पुष्टि हुई है. इसके बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है.


बता दें कि इसके पहले बिहार से नमूनों को जीनोम सिक्‍वेंसिंग के लिए नई दिल्‍ली स्थित 'नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल' भेजा जाता था.आईजीआईएमएस में इसके लिए मशीन पहले से उपलब्‍ध था. तब रिएजेंट भी मंगा लिया गया.बताया जाता है कि सौ तरह के रिएजेंट्स की जरूरत है.एक साइकिल में 96 नमूनों तक की जांच हो सकती है. सात के बाद परिणाम मिलते हैं.इसमें तीन-चार ऐसे नमूने भी लगाए जाते हैं जो पहले से चेक होते हैं ताकि परिणामों के सही होने की पुष्‍टि की जा सके.इन्‍हें नियंत्रित नमूना (कंट्रोल सैंपल) कहते हैं.


 ओमीक्रोन वैरिएंट की IGIMS में जिनोम सिक्वेंसिंग (Genome Sequencing In IGIMS) शुरू हो चुकी है. पटना आईजीआईएमएस स्थित लैब में 32 सैंपलों की जीनोम सिक्वेंसिंग की रिपोर्ट में 27 लोग संक्रमित (Omicron Case Increased In Bihar) पाए गए हैं. बता दें कि लैब में की गई यह पहली जांच है, जिसमें 85 फीसदी मरीजों के सैंपल जांच में ओमीक्रोन की पुष्टि हुई है. इसके बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है.


आईजीआईएमएस के अधीक्षक मनीष मंडल ने पुष्टि करते हुए बताया कि पहले 32 सैंपल में 27 सैंपल ओमीक्रोन (Omicron In Bihar) के पाए गए हैं. चार सैंपल डेल्डा वैरिएंट के हैं, जबकि एक सैंपल किसी दूसरे वैरिएंट का है. यानी कि बिहार में जितने भी संक्रमण के मामले अभी आ रहे हैं, वे ओमीक्रोन के ही हैं. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे सैंपल जमा होते जाएंगे, वैसे जांच होती रहेगी. उन्होंने कहा कि एक बार में 96 सैंपल की जांच होती है. यह महंगा जरूर है लेकिन महंगाई जांच में बाधा नहीं बनेगी.


इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) में बीते 29 दिसंबर से तीन जनवरी 2022 तक कोरोना संक्रमण के लिए आएं सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग कराई गई। इसमें 85 प्रतिशत मामले ओमीक्रोन वैरिएंट के पाएं गए.आईजीआईएमएस के माइक्रोबायोलाजी विभागाध्यक्ष डा. नम्रता कुमारी एवं वैज्ञानिक डा. अभय कुमार सिंह के निर्देशन में यह जांच की गई.


बिहार में एकमात्र आईजीआईएमएस में ही जेनेटिक लैब है. माइक्रोबायोलाजी डिपार्टमेंट की मालिक्यूलर जेनेटिक्स लैबोरेटरी (जीनोम लैब) में सोमवार को नया समूह डाला जाएगा. विभागाध्यक्ष डा. नम्रता कुमारी ने बताया कि 24 सैंपल वाले किट से नया समूह के लिए सोमवार को सैंपल डाला जाएगा.इसमें आठ से 10 और सैंपल विशेष सर्तकता के साथ डाला जा सकता है.कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन की म्यूटेशन जानने के लिए आरएनए व डीएनए का क्रास मैच कराने, सिक्वेंसिंग करने व डाटा एनालिसिस करने में सात-आठ दिन लगते है. इसके बाद रिपोर्ट जारी किया जाता है.

महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 876 ओमिक्रोन के मरीज हैं. दिल्ली में 465, कर्नाटक में 333, राजस्थान में 291, केरल में 284, गुजरात में 204, तमिलनाडु में 121, हरियाणा में 114, तेलंगाना में 107, ओडिशा में 60, उत्तर प्रदेश में 31, आंध्र प्रदेश में 28, प. बंगाल में 27, गोवा में 19, असम और मध्य प्रदेश में 9-9, उत्तराखंड में 8, मेघालय में 4, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 3 मामले दर्ज किए गए हैं. जबकि चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर में 3-3, पुडुचेरी और पंजाब में 2-2, जबकि छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख और मणिपुर में ओमिक्रोन का एक-एक मरीज है.  

क्या है जीनोम सिक्वेंसिंग

कोरोना (Coronavirus) के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) का पता लगाने के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग (Genome Sequencing) आजकल सबसे ज्यादा चर्चा में है. मुंबई में इसकी इकलौती जीनोम सिक्वेंसिंग लैब कस्तूरबा हास्पिटल में बनाई गई है. इस सिक्वेंसिंग के जरिए डॉक्टर पता लगा लेते हैं कि कोरोना का नया वेरिएंट कौन सा है. 

हमारी कोशिकाओं के भीतर आनुवंशिक पदार्थ (Genetic Material) होता है. इसे DNA, RNA कहते हैं. इन सभी पदार्थों को सामूहिक रूप से जीनोम कहा जाता है. एक जीन की तय जगह और दो जीन के बीच की दूरी और उसके आंतरिक हिस्सों के व्यवहार और उसकी दूरी को समझने के लिए कई तरीकों से जीनोम मैपिंग (Genome Mapping) या जीनोम सिक्वेंसिंग की जाती है. जीनोम मैपिंग से पता चलता है कि जीनोम में किस तरह के बदलाव आए हैं. यानी ओमिक्रॉन (Omicron) की जीनोम मैपिंग होती है तो इसके जेनेटिक मटेरियल की स्टडी करके यह पता किया जाएगा कि इसके अंदर किस तरह के बदलाव हुए हैं. यह पुराने कोरोना वायरस से कितना अलग है.हैं. लैब में की गई यह पहली जांच है, जिसमें 85 फीसदी मरीजों के सैंपल जांच में ओमीक्रोन की पुष्टि हुई है. इसके बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है.


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