कर्नाटक विधानसभा में धर्मांतरण विरोधी विधेयक पास

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कर्नाटक विधानसभा में धर्मांतरण विरोधी विधेयक पास

बेंगलुरु.ईसाई समुदाय के नेताओं ने जमकर धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण विधेयक, 2021'का विरोध किया है.कानून और संसदीय मामलों के मंत्री जे सी मधुस्वामी ने कहा कि विधेयक की शुरुआत कुछ बदलावों के साथ कर्नाटक के विधि आयोग द्वारा 2016 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार की सलाह के तहत शुरू की गई थी. बता दें कि ईसाई समुदाय के नेताओं ने भी विधेयक का विरोध किया है. इस विधेयक में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा और बलपूर्वक, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी भी कपटपूर्ण तरीके से एक धर्म से दूसरे धर्म में गैरकानूनी अंतरण पर रोक लगाने का प्रावधान करता है.

कर्नाटक विधानसभा में गुरुवार को विवादास्पद धर्मांतरण विरोधी विधेयक पारित किया गया है.इस विधेयक का शीर्षक 'धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण विधेयक, 2021' है. धर्मांतरण विरोधी विधेयक में सामूहिक धर्मांतरण में शामिल लोगों को जेल भेजने का प्रावधान है.जब विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया, तो कांग्रेस विधायक विरोध में सदन के वेल में प्रवेश कर गए.इस बिल का कांग्रेस के साथ-साथ ईसाई समुदाय के नेताओं ने भी कड़ा विरोध किया.

विधेयक पेश होने के बाद कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बिल को आरएसएस का एजेंडा बताया, जिस पर ग्रामीण विकास मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने जवाब दिया कि यह देश की 'संस्कृति' को बचाने के लिए है.धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का कर्नाटक संरक्षण विधेयक, 2021 का उद्देश्य 'लालच', 'जबरदस्ती', 'बल', 'धोखाधड़ी करने वाले साधनों' और 'सामूहिक' धर्मांतरण के माध्यमों को रोकना है.सरकार के मुताबिक इन घटनाओं से राज्य में 'सार्वजनिक व्यवस्था' में खलल पड़ता है.

25,000 रुपए जुर्माने साथ-साथ पांच साल की कैद

विधेयक में कहा गया है कि, 'ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जो सार्वजनिक व्यवस्था में गड़बड़ी पैदा करती हैं और ऐसे कृत्यों में शामिल व्यक्तियों को दंडित करने के लिए, वर्तमान में राज्य में कोई कानून अस्तित्व में नहीं है.' विधेयक के कानूनन बनने के बाद इसके उल्लंघन के लिए 25,000 रुपए जुर्माने साथ-साथ पांच साल की कैद का प्रावधान होगा.जबकि नाबालिगों, महिलाओं, एससी-एसटी के संबंध में प्रावधानों के उल्लंघन के लिए, अपराधियों को तीन से 10 साल तक की कैद और 50000 रुपए जुर्माने का सामना करना पड़ेगा.विधानसभा में पारित हुए इस विधेयक में दंडात्मक प्रावधानों का भी प्रस्ताव है और इस बात पर जोर दिया गया है कि जो लोग कोई अन्य धर्म अपनाना चाहते हैं, उन्हें कम से कम 30 दिन पहले निर्धारित प्रारूप में जिलाधिकारी के समक्ष घोषणापत्र जमा करना होगा.

अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए

इसके अलावा ये अपराध गैर-जमानती होगा, यानी अपराधी को जमानत भी नहीं मिलेगी. बता दें कि कर्नाटक विधानसभा में गुरुवार को धर्मांतरण विरोधी बिल चर्चा के लिए लाया गया.इस दौरान विधानसभा में बिल को लेकर जमकर हंगामा हुआ. विपक्षी दल कांग्रेस इस बिल का जमकर विरोध कर रही है.कांग्रेस ने कहा कि राज्य में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए इस बिल को लाया जा रहा है.

दक्षिणी कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर जिले में एक चर्च में तोड़फोड़ 

धर्मांतरण विरोधी बिल के बीच हुई तोड़फोड़.दक्षिणी कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर जिले में एक चर्च में तोड़फोड़ की गई है.160 साल पुराने सेंट जोसेफ नामक इस चर्च में सेंट एंथोनी की टूटी हुई मू्र्ति मिली है. मामले की आगे की जांच के लिए पुलिस मूर्ति को अपने साथ ले गई, इस मामले में पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज की है

 चर्च के पादरी, फादर जोसेफ एंथोनी डैनियल ने मीडिया को बताया कि राजधानी बेंगलुरु से लगभग 65 किलोमीटर दूर सुसैपल्या में स्थित इस चर्च में सुबह लगभग 5.30 बजे तोड़फोड़ हुई.जैसे ही पादरी के साथी ने इस तोड़फोड़ को देखा, उन्होंने तुरंत पादरी को बुलाया.पादरी ने इसके तुरंत बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. उन्होंने कहा कि इस तरह की तोड़फोड़ पहले कभी नहीं हुई.

धर्मांतरण विरोधी बिल के बीच हुई तोड़फोड़

बता दें कि कर्नाटक विधानसभा में गुरुवार को धर्मांतरण विरोधी बिल चर्चा के लिए लाया गया.इस दौरान विधानसभा में बिल को लेकर जमकर हंगामा हुआ.विपक्षी दल कांग्रेस इस बिल का जमकर विरोध कर रही है.कांग्रेस ने कहा कि राज्य में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए इस बिल को लाया जा रहा है.इसके अलावा यह बिल भाजपा शासित अन्य राज्यों में लाए गए इसी तरह के बिलों की तुलना में ज्यादा कठोर है.वहीं राज्य की भाजपा सरकार का कहना है कि बिल का उद्देश्य जबरन धर्मांतरण को रोकना है.





 

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