बिहार में अध्यक्ष से चलता राज्य अल्पसंख्यक आयोग

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बिहार में अध्यक्ष से चलता राज्य अल्पसंख्यक आयोग

आलोक कुमार

पटना.प्रतिवर्ष भारत सहित पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस 18 दिसंबर को मनाया जाता है.18 दिसंबर 1992 से सयुंक्त राष्ट्र संघ द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा, राष्ट्र निर्माण में योगदान के रूप में चिन्हित कर अल्पसंख्यकों के क्षेत्र विशेष में ही उनकी भाषा, जाति, धर्म, संस्कृति, परंपरा आदि की सुरक्षा को सुनिश्चित करने एवं समाज को जागृत करने के लिए मनाया जाता है.

अल्पसंख्यक शब्द अल्प और संख्यक जैसे दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है दूसरों की तुलना में संख्या में कम होना. अल्पसंख्यक होने के कई पहलू हो सकते हैं परन्तु मुख्यतः इसमें धार्मिक, भाषाई, जातीय पहलुलओं को प्रमुखता से देखा जाता है.

संयुक्त राष्ट्र ने अल्पसंख्यकों की परिभाषा दी है कि  ऐसा समुदाय जिसका सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक रूप से कोई प्रभाव न हो और जिसकी आबादी नगण्य हो, उसे अल्पसंख्यक कहा जाएगा.

कानूनी रूप से भारत के संविधान में अल्पसंख्यक की कोई स्पष्ट परिभाषा नही है, किंतु संविधान के कई प्रावधान अनुच्छेद 29, 30 आदि अल्पसंख्यक के हित की रक्षा के लिए संविधान में पहले दिन से हैं.भारत सरकार, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के रुप में सिख, मुस्लिम, ईसाई, झोरास्ट्रियन,बौद्ध  एवं जैन समुदाय को अल्पसंख्यक अधिसूचित किया गया है.

भारत में अल्पसंख्यकों के विकास के लिए सन् 1992 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का भी गठन किया गया था बाद में 2006 में अलग से केंद्र सरकार में मंत्रालय भी बनाया गया. अल्पसंख्यक समुदायों के लाभ के लिए यह मंत्रालय समग्र नीति और नियोजन, समन्वय, मूल्यांकन और नियामक ढांचे और विकास कार्यक्रम की समीक्षा कर आगे की योजना बनाता है. वर्ष 2021 -22 के लिए केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय का  बजट 4800 करोड़ से अधिक है, जो पिछले बार के संशोधित आवंटन के मुकाबले करीब 800 करोड़ रुपये ज्यादा है.


केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का गठन रा.अ.आ अधिनियम 1992 के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित पांच धार्मिक अल्पसंख्यकों मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध एवं पारसी समुदाय के हितों की रक्षा के लिए किया. आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और पांच सदस्य हैं जो कि अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसी आधार पर राज्यों में भी राज्य अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया गया.


राज्य जैसे आंध्रप्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रेदश, मणिपुर, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश तथा पश्चिम बंगाल में भी राज्य अल्पसंख्यक आयोगों का गठन किया गया है. इन आयोगों के कार्यालय राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं. आयोगों का कार्य संसद तथा राज्य विधान-मंडलों द्वारा संविधान में अधिनियमित विधियों में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करना है.


बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग में केवल अध्यक्ष के बलबूते अल्पसंख्यकों का कल्याण हो रहा है.सम्प्रति 08 मार्च, 2019 से

बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष यूनुस हकीम हैं.एकलौता अध्यक्ष नीतीश सरकार की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि इस सरकार में अल्पसंख्यको के उत्थान के कई प्रकार के कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. इससे पहले बिहार में जितने भी सरकार बनी, उनके शासन काल में इतना काम नहीं हुआ, जितना वर्तमान सरकार में हो रहा है. वर्तमान सरकार ने कब्रिस्तान की घेराबंदी के साथ ही अल्पसंख्यक समुदाय के लड़के और लड़की के लिए पढ़ाई के साथ उनके रोजगार के लिए कई योजना चलाई है.यूनुस हकीम ने कहा कि पूरे बिहार में 8 हजार से ज्यादा कब्रिस्तान की घेराबंदी के लिए प्रस्ताव किया गया था. जिसमें से 7 हजार से ज्यादा कब्रिस्तान की घेराबंदी हो गई है और बाकी जगहों पर युद्ध स्तर पर काम चल रहा है. वहीं, उन्होंने कहा कि कोशिश की जा रही है कि इस वर्ष के अंत तक जितने भी बचे हुए कब्रिस्तान हैं. उन सभी कब्रिस्तानों की घेराबंदी पूरी कर ली जाए. उसके बाद ही बचे हुए कब्रिस्तान को इस प्रोजेक्ट में शामिल किया जाएगा. सिंहवाड़ा प्रखंड के रामपुरा निवासी डा. प्रो. युनूश हकीम को बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमैन नियुक्त गया है। 

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