अस्वभाविक मौत करार कर यूडी केस में मामला दर्ज

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अस्वभाविक मौत करार कर यूडी केस में मामला दर्ज

आलोक कुमार

रतनपुरवा. आज 15 दिसम्बर है.आज से 30 दिन पहले 15 नवम्बर 2021 को पीटर ओस्ता के पुत्र अतुल कुमार की मौत बाइक और टायर लगे बैलगाड़ी के बीच टक्कर लगने से हो गयी.बगहा-1के थानाध्यक्ष ने मृतक को अस्वभाविक मौत करार कर यूडी केस में मामला दर्ज कर लिया.इस एक माह के दरम्यान अस्वभाविक मौत का अनुसंधान नहीं किया गया.हाल यह है यूडी केस के अनुसंधानक बिरेन्द्र सिंह प्रत्यक्षदर्शी जयप्रकाश चौधरी और पिंटू चौधरी से पूछताछ नहीं कर सकें.अनुसंधानक खुद को चुनाव ड्यूटी में व्यस्त करार कर पल्ला झारने में लगे हुए हैं.

बताते चले कि अस्वभाविक मौत. पुलिस की भाषा में इसे यूडी केस कहते हैं.बगहा-1के के थानाध्यक्ष ने पीटर ओस्ता के पुत्र अतुल कुमार की मौत बाइक और टायर लगे बैलगाड़ी के बीच टक्कर लगने से मौत को यूडी केस में  दर्ज किया है.यूडी केस के मामले में अक्सरा पुलिस इसे भूल जाती है.इसी तरह थानाध्यक्ष भूल गये.उन्होंने अस्वभाविक मौत  यूडी केस के अनुसंधानकर्ता बिरेन्द्र सिंह को बनाए थे. उनको 

यूडी फाइल आठ दिन पहले सौपा गया.अतुल कुमार के बारे में

मोबाइल से बातचीत हुई.अभी तक जांच शुरू नहीं किये हैं.


हैरत तो यह कि इस केस का कोई अलग से पंजी भी नहीं होता.इस वजह से इस केस की संवेदनशीलता भी समाप्त सी ही मानी जाती है.कई बार तो केस के अनुसंधानक भी इसे भूल जाते हैं.परिजन प्रकाश मादानु  और पीड़ित परिजन बारंबार केस के बारे में जानकारी ले रहे है.तब भी मामले की जांच पूर्ण नहीं हो पा रही है.

परिजन प्रकाश मादानु के दबाव में अनुसंधानक ने 8 दिसम्बर को पोस्टमार्टम रिपोर्ट लाकर दिया.पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मुख्य बात उभर कर सामने आयी कि आरटीए- रोड ट्रैफिक एक्सीडेंट ---- उनका काफी खून बह गया जिससे उन्हें पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिली और उनकी मौके पर ही मौत हो गई.उसके सीने में गहरा घाव है.

 यह सच है कि यूडी केस माने ठंडे बस्ते में.वैसे भी आपराधिक केस के निष्पादन में जब पुलिस को महीनों यहां तक कि छह माह तक लग जाता है. ऐसे में इस केस की बात ही बेमानी है.

वैसे वरीय पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पुलिस यूडी केस के प्रति भी संवेदनशील है.पुलिस जांच का ही परिणाम है कि कई यूडी केस बाद में हत्या के केस में परिणत हुआ है, और इसके गुनाहगार भी पकड़े गए हैं.


खुद को बचाव करने में जुट गए प्रत्यक्षदर्शी


सोची-समझी उपाय के तहत बचाव करने में पिंटू चौधरी व जयप्रकाश चौधरी जुट गये.बेतिया में जाकर दोनों ने अपना कथित इलाज मिश्रा चौक,बेतिया में स्थित आर्थो एण्ड टॉमा सेंटर में कराया. आर्थो एण्ड टॉमा सेंटर के डॉ.दीपक जायसवाल और डॉ रीना रानी ने लेटर पैड पर लिख रखा है कि चिकित्सकीय कानूनी उद्देश्य के लिए मान्य नहीं है (Not valid for medico legal purpose).और तो और 5.12.2021 तक वैध (Valid upto 5.12.2021) है.इससे साबित होता है कि दोनों ने खुद को बचाने का प्रयास किया.परंतु खुद को बचा नहीं पाये.


अपने स्तर जांच -पड़ताल करके अंग्रिम कार्रवाई की जाए


अपने बड़े साले व अतुल कुमार के पिता पीटर ओस्ता को अंधकार में रखकर बगहा- 1 के थानाध्यक्ष ने आवेदन लिखवाकर मामले को रफादफा कर दिये थे.तब प्रकाश मादानु,चखनी,थाना बगहा और पश्चिम चम्पारण का निवासी ने 18 नवम्बर को आवेदन लिखकर थानाध्यक्ष को दिया है.उसमें उल्लेख किया है कि दिनांक 15.11.2021 को समय करीब 6:30 बजे शाम को मचरगवा मंदिर थाना बगहा के समीप मेरे बड़े साले का बेटा अतुल कुमार उम्र 25 वर्ष पिता पीटर ओस्ता सा.रतनपुरवा थाना चिउताहा निवासी हैं ,जो की बाइक चला रहा था,तथा मचरगवा मंदिर के पास रास्ते पर ही टायर गाड़ी से जाकर टकरा गया,तथा घटनास्थल पर उसकी मौत हो गयी.बाइक पर साथ में जयप्रकाश चौधरी पिता नामालूम और पिंटू चौधरी पिता नामालूम दोनों मच्छरगहवा,थाना बगहा जिला निवासी भी थे.पिंटू चौधरी का मो.नं. 9546366297 है.अत: श्रीमान् से नम्र निवेदन है कि कृपया इस संदर्भ में अपने स्तर जांच -पड़ताल करके अंग्रिम कार्रवाई की जाए.


लापरवाही से मौत के मामले में पुलिस


लापरवाही से मौत के मामले में पुलिस उस ड्राइवर के खिलाफ केस दर्ज करती है, जिसकी लापरवाही से मौत हुई हो. नियम के मुताबिक, अगर किसी शख्स की किसी और की गाड़ी की टक्कर से मौत हो जाए, तो पुलिस को यह देखना होता है कि टक्कर मारने वाली गाड़ी के ड्राइवर की कितनी गलती है.गलती होने पर उसके खिलाफ आईपीसी की धारा-304 ए के तहत केस बनता है.अगर टक्कर मारने वाली गाड़ी ट्रैफिक नियमों का पालन करते हुए चल रही हो, ग्रीन लाइट होने पर चौराहा पार कर रही हो और इस दौरान किसी और गाड़ी ने रेड लाइट जंप कर ली हो, जिस कारण हादसा हो जाए और रेड लाइट जंप करने वाली गाड़ी के ड्राइवर या फिर उसमें सवार किसी शख्स की मौत हो जाए तो रेड लाइट जंप करने वाले ड्राइवर की गलती मानी जाएगी.इसके उलट अगर टक्कर मारने वाली गाड़ी के ड्राइवर ने रेड लाइट जंप की और उसकी लापरवाही से दूसरी गाड़ी को टक्कर लगे और उसके ड्राइवर या उसमें सवार शख्स की मौत हो जाए या कोई जख्मी हो जाए, तो टक्कर मारने वाले ड्राइवर की जिम्मेदारी बनेगी.पुलिस चश्मदीद गवाहों से पूछताछ करती है, सीसीटीवी वगैरह देखती है.छानबीन के आधार पर आरोपी ड्राइवर के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया जाता है.


मामला ठण्डे बस्ते में चले जाना निश्चित


बगहा -1के थानाध्यक्ष का कहना है कि सड़क दुर्घटना में मारे गए बाइक चालक अतुल कुमार के पिता जी पीटर ओस्ता ने लिखकर दिया है कि सड़क दुर्घटना मारे गए पुत्र पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं किया जाए.इसके साथ मामला ठण्डे बस्ते में चले जाना निश्चित है.वहीं प्रकाश मादानु ने थानाध्यक्ष से लिखित आग्रह किये हैं कि अपने स्तर से जांच-पड़ताल करके कार्रवाई करे.थानाध्यक्ष एवं उनके सहकर्मी थाना में इतना व्यस्त हैं कि बाइक में बैठे पिंटू चौधरी  व जयप्रकाश चौधरी से 24 दिनों के बाद भी किसी तरह की पूछताछ नहीं की गयी.उसी तरह से टायर बैलगाड़ी वाले गाड़ीवान से भी खबर नहीं लिये.मोस्टमार्टम रिपोर्ट भी अस्पताल से नहीं लाया गया है.कुल मिलाकर चिउटाहा थाना क्षेत्र के रतनपुरवा निवासी 25 वर्षीय अतुल कुमार की मौत पर से पर्दा हटाने के मूड में नहीं है बगहा-1 थाना थानाध्यक्ष.


बिहार मानवाधिकार आयोग में मामला पेश


पश्चिम चम्पारण जिले के चखनी गांव के वार्ड नम्बर 03 के निवासी प्रकाश मादानु ने बिहार मानवाधिकार आयोग 9, बेली रोड, बिहार को 27 दिसबंर 2021को ईमेल के जरिये पूरी जानकारी दी है.ईमेल में लिखा है कि अतुल कुमार पुत्र पीटर ओस्ता, रतनपुरवा गांव, वार्ड नं. 08, चिउताहा पो, चिउताहा पीएस, पश्चिम-चंपारण में रहते हैं.सिकतिया मचरगाँव की घटना है बाइक और टायर वाली बैलगाड़ी के बीच में भिड़ंत हो जाती है.उसमें 15 नवंबर 2021को शाम के करीब 6.30 बज रहा था,अतुल कुमार की मौत हो जाती है. उन्होंने लिखा है कि इस दारूण घटना के बारे में परिवार के सदस्यों को कुछ भी पता नहीं है.पोस्टमॉर्टम करवाने के दौरान पुलिस रिपोर्ट लिखने आई थी.परिवार के कुछ सदस्यों ने कहा कि किसी जांच की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उनकी मृत्यु बैलगाड़ी से टकराने से हो गई.बाद में परिजनों के साथ अन्य लोगों को शक हुआ है कि शायद उन्हीं दो लोगों ने उसकी हत्या कर दी है,जो बाइक पर पीछे बैठे थे. परिजनों व ग्रामीणों के द्वारा शंका व्यक्त करने के आधार पर, मैंने यानी प्रकाश मदनु ने एक आवेदन देकर बगहा-1 थाने में एक शिकायत पूर्ण मामला दर्ज करवाया.बगहा-1 थाने में 18 नवंबर 2021 को प्रेषित आवेदन में इस मामले की जांच कराने के लिए कहा गया है.प्रकाश मदनु ने शिकायत आवेदन की प्राप्ति कॉपी मांगी तो बगहा-1 थाने के थानाध्यक्ष ने नहीं दिया और न ही सच्चाई का पता लगाने व आवश्यक पूछताछ करने के लिए मृतक अतुल कुमार के घर और पीछे बैठने वाले पिंटू चौधरी और जयप्रकाश चौधरी के घर दिनांक 27 नवंबर 2021 तक पूछताछ नहीं किये.इन 12 दिनों में कोई पूछताछ नहीं हुई.यदि वे देरी करते हैं तो सभी गवाहों का सफाया हो जाएगा. प्रकाश मदनु ने उनसे अनुरोध किया  कि जांच जल्द से जल्द करें ताकि सच्चाई सामने आ सके.  प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार मानवाधिकार आयोग ने जवाब में कहा है कि 27 नवंबर 2021, 2:12 पूर्वाह्न एचआरसीनेट की शिकायत प्रति ईमेल फ़ाइल सफलतापूर्वक अपलोड की गई ( downloadfile.jpg.आगे कहा है कि प्रिय प्रकाश मादानु, आयोग ने आपकी शिकायत प्राप्त कर ली है और इसने डायरी नंबर 905/IN/2021 के रूप में निर्दिष्ट किया है.


कई सवालों पर जांच हो


मृतक अतुल कुमार के पिता पीटर ओस्ता को घटना की जानकारी दी और आवेदन लिखवाने वाले कौन हैं?


प्रकाश मादानु द्वारा लिखित आवेदन पर थानाध्यक्ष द्वारा कार्रवाई क्यों नहीं की जारी है?


मृतक का मोस्टमार्टम रिपोर्ट 24 दिनों के बाद के बाद भी परिजनों को नहीं देकर आजकल कहकर टरकाया जा रहा?


आखिर किस दबाव में थानाध्यक्ष बाइक पर बैठे पिंटू चौधरी  व जयप्रकाश चौधरी से 24 दिनों के बाद भी किसी तरह की पूछताछ नहीं की जा रही है?


टायर वाली बैलगाड़ी की खोज निकालने में बगहा-1 पुलिस अक्षम क्यों है?


बाइक और टायर वाली बैलगाड़ी के बीच टक्कर न होकर बाइक पर बैठे दोनों शख्स ही अतुल कुमार की हत्या कर दी हो?


घटना स्थल से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित झील के पास अतुल को कौन ले गया?


आखिर बाइक पर बैठने वाले पिंटू चौधरी  व जयप्रकाश चौधरी अतुल  को छोड़कर क्यों भाग गये?


इन सब सवालों को आधार बनाकर थानाध्यक्ष को प्रकाश मादानु द्वारा लिखित आवेदन पर कार्रवाई करना चाहिए.


पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ता वाल्टर सुशील गाब्रिएल का कहना है कि यदि पुलिस प्राथमिकी दर्ज नहीं कर रही है तो पीड़ित व्यक्ति न्यायालय के आदेश से प्राथमिकी दर्ज करा सकता है. यह मजिस्ट्रेट के हस्तक्षेप या स्थानीय अदालत के माध्यम से किया जा सकता है.


उच्च न्यायालय के स्तर पर भी एक रिट दायर की जा सकती है.यदि दुर्घटना एक अपंजीकृत वाहन के साथ हुई हो तो भी पिता मुआवजे के हकदार हैं क्योंकि यह सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है कि केवल पंजीकृत वाहन ही सड़कों पर चले.


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