ध्वनि मत से प्रेमचंद्र मिश्र के प्रस्ताव गिरने का ऐलान

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ध्वनि मत से प्रेमचंद्र मिश्र के प्रस्ताव गिरने का ऐलान

आलोक कुमार 
दरभंगा.दरभंगा को बिहार का द्वितीय राजधानी बनाने को लेकर बिहार विधान परिषद में मेरे यानी कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेम चंद्र मिश्र के गैर सरकारी संकल्प को सत्ता में बैठे जदयू-भाजपा के सदस्यों ने बहुमत के बल पर वोटिंग करा के खारिज करा दिया और एक बार फिर से खुद के मिथिलांचल विरोधी मानसिकता का परिचय दिया.दुःखद तो यह रहा कि उस इलाके से आनेवाले सदस्यों ने भी दरभंगा का समर्थन नही किया. 

विगत दिनों में सड़क,सोशल मीडिया और अब विधान परिषद में एक मांग ने लगातार जोड़ पकड़ा है.दरभंगा को बिहार की द्वितीय राजधानी बनाए जाने की मांग.इसके आलोक में मंगलवार को कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेम चंद्र मिश्र ने भोजनावकाश के बाद सदन में गैर सरकारी संकल्प के जरिए सरकार से दरंभगा को उप राजधानी बनाने की मांग की.विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह से प्रेमचंद्र मिश्र ने अतिरिक्त समय की मांग करते हुए दरभंगा की तमाम उपलब्ध्यिां गिनाईं.  

बिहार में एक द्वितीय राजधानी जरूरी है.वैधानिक व प्रशासनिक डिसेंट्रलाइजेशन के लिए दरभंगा को द्वितीय राजधानी बनाया जाना चाहिए.मिथिला और उसकी राजधानी दरभंगा स्वभाविक अधिकारी है. महाराष्ट्र में दो राजधानी है, मुंबई व नागपुर. हिमाचल प्रदेश में दो राजधानी है, शिमला व धर्मशाला.आंध्र प्रदेश में तीन और उत्तराखंड में दो राजधानी है.तमिलनाडु, उड़ीसा, झारखंड में एकाधिक राजधानी की योजना है.बिहार में भी दरभंगा को द्वितीय राजधानी बनाया जाए. 

बिहार विभाजन के 15 नवंबर 2000 के पूर्व बिहार का द्वितीय राजधानी रांची ही था.झारखंड में अन्य पिछड़े क्षेत्र के विकास के लिए दुमका को द्वितीय राजधानी बनाया गया.आंध्र प्रदेश में एक नही, दो नही बल्की तीन द्वितीय राजधानी बनाया गया है.इससे पहले बिहार और झारखंड जब एक था तो अविभाजित बिहार में रांची को द्वितीय राजधानी बनाया गया था. 

बिहार के सर्वांगीण विकास के लिए अविलंब दरभंगा को द्वितीय राजधानी बनाया जाए ताकि पटना पर जो अनावश्यक दवाब बना है वो कम हो और राज्य के अन्य क्षेत्रों का भी विकास हो एवं सत्ता का विकेंद्रीकरण हो. 

महाराष्ट्र और कर्नाटक में विधानसभा के सत्र दो शहरों में होते हैं. उदाहरण के लिए महाराष्ट्र में साल में एक बार सर्दियों में विधानसभा नागपुर में बैठती है. ठीक इसी तरह, हिमाचल में शिमला और धर्मशाला में विधानसभा बैठती है. धर्मशाला को राज्य की शीतकालीन राजधानी भी माना जाता है. कर्नाटक भी बेंगुलुरु के अलावा बेलगांव में विधानसभा बैठती है. उत्तराखंड में हाई कोर्ट नैनीताल में है. इसी तरह से छत्तीसगढ़, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट राजधानी के बाहर दूसरे शहरों में स्थित है. आंध्र प्रदेश की तीन राजधानियां होंगी और इसके साथ ही ऐसा करने वाला ये देश का पहला राज्य बन गया है. अब आंध्र प्रदेश कार्यपालिका यानी सरकार विशाखापत्तनम से काम करेगी और राज्य विधानसभा अमरावती में होगी और हाई कोर्ट कुर्नूल में होगा. 

दरभंगा सेंटर है यहाँ होने से कई जिलों को फायदा होगा चंपारण से पूर्णिया तक बरौनी से मुजफरपुर तक सभी पिछड़े इलाकों तक योजना को पहुंचाने में आसानी होगा नार्थ बिहार जो अभी पिछड़ा है वहाँ विकास की समुचित व्यवस्था हो पायेगा पटना में सब कुछ होने से ये क्षेत्र अपने आपको उपेक्षित महसूस करता है.दरभंगा देश के विभिन्न क्षेत्रों से सड़क, रेल, हवाई सेवा से जुड़ा हुआ है.ईस्टवेस्ट कॉरिडोर और औरंगाबाद सुपर एक्सप्रेस वे से संपर्क है. सबसे बड़ी बार एक छोड़ पर नही , और न ही पटना से नजदीक और न ही किसी जिले से बहुत दूर, साथ ही साथ पहले मौजूद आधारभूत संरचना, बिहार का सबसे बड़ा रनवे एयरपोर्ट मिलिट्री एवं सिविल, A1 Catogory रेलवे स्टेशन जहाँ से देश के किसी भी कोने में जा सकते, राजधानी दिल्ली जाने को दो रेल मार्ग, 4 लेन सड़क जैसी अच्छी सुविधा,अगले 5 साल के प्रोजेक्ट में बिहार का पहला अंतरष्ट्रीय सड़क जहां झारखंड से सीधे नेपाल जा सकेंगे. तारामण्डल, उत्तर बिहार का मेडिकल हब , एम्स जैसी संस्था दरभंगा को राजधानी के लिए सबसे उपयुक्त बनाता है.दरभंगा राजधानी बनेगी तो इन जिलों को होगा फायदा…. दरभंगा से सीतामढ़ी 70 किमी… दरभंगा से बेतिया मोतिहारी, नरकटियागंज 100 से 150 किमी… सहरसा..सुपौल.. मधेपुरा… 80 से 150 किमी. दरभंगा से फारबिसगंज अररिया पुर्णिया 200 किमी.. दरभंगा दरभंगा से मुजफ्फरपुर 60 किमी.. दरभंगा से खगड़िया 180 किमी…. 

मिथिला क्षेत्र का 20 जिला देश में सबसे पिछड़ा है.राजधानी दरभंगा मिथिला क्षेत्र के 20+ पिछड़े जिलों की जरूरत और वाज़िब हक़ है.देश के सबसे पिछड़े जिलों की लिस्ट में शिवहर, खगरिया, सुपौल, सहरसा, अररिया, कटिहार, पूर्णिया, बेगुसराय, किशनगंज आदि का नाम सबसे ऊपर आता है.एक आम मैथिल सलाना अन्य जगह के एक औसत भारतीय का एक तिहाई कमाता है, पर कैपिटा इनकम की दृष्टि से एक मैथिल किसी औसत मराठी का चौथाई, गुजराती का पांचवां, दिल्ली का दशवां, केरला का छठवाँ हिस्सा कमाता है.मिथिला क्षेत्र के जिलों का जीडीपी पर कैपिटा नोर्थईस्ट राज्यों के औसत से भी लगभग आधा है. 

क्षेत्र में सिर्फ एक एयरपोर्ट है, दरभंगा एयरपोर्ट.न सुव्यवस्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय या केंद्रीय अस्पताल है न इंफ्रास्ट्रक्चर न रोजगार, न हैवी इंडस्ट्री न खाद्य-डेयरी-मत्स्य-कृषि आधारित उद्योग या न ही टेक्निकल इंडस्ट्री. कृषि बन्द हो रही है, लोग पलायन कर रहे हैं, न कला-संस्कृति-भाषा बढ़ पाई और न टूरिज्म.इस क्षेत्र को विकास के डिसेंट्रलाईजेशन की जरूरत है.दरभंगा को उपराजधानी बनाने से क्षेत्र में विकास का नया आयाम खुलेगा. 

दरभंगा को बिहार की द्वितीय राजधानी बनाने का गैर सरकारी संकल्प मंगलवार को विधान परिषद में ध्वनिमत से अस्वीकृत हो गया.इससे पहले कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा द्वारा लाए गए इस गैर सरकारी संकल्प पर सरकार का पक्ष रखते हुए प्रभारी मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि ऐसा कोई विचार नहीं है. 

प्रभारी मंत्री ने इस मुद्दे पर विपक्ष को आईना दिखाने की भी कोशिश की.प्रेमचंद्र मिश्रा और रामचंद्र पूर्वे का नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि उस बेंच (विपक्ष) पर जाते हैं तो ज्ञान से परिपूर्ण हो जाते हैं. बिहार का जब बंटवारा हुआ तो सरकार में थे, तब क्यों नहीं बनाया.बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में दरंभगा को द्वितीय राजधानी  
(उप राजधानी) बनाने का प्रस्‍ताव पेश किया गया.हर दृष्टिकोण से दरभंगा शहर बिहार की उप राजधानी बनने की पात्रता रखता है. ऐसी स्थिति में सरकार दरभंगा को राजधानी बनाने का ऐलान करे. इससे मिथिलांचल के विकास को नई-दिशा मिलेगी.प्रेमचंद्र मिश्र के सवाल पर सामान्य प्रशासन विभाग के प्रभारी मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने सदन को बताया कि सरकार के पास फिलवक्त ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.उन्होंने गैर सरकारी संकल्प वापस लेने का आग्रह किया, लेकिन मिश्र अपनी मांग पर अड़ गए.ऐसे में अवधेश नारायण सिंह ने ध्वनि मत से प्रेमचंद्र मिश्र के प्रस्ताव गिरने का ऐलान कर दिया. 

बता दें कि मैथिली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में 2003 में संविधान के 91 संशोधन में शामिल किया गया.बावजूद इसके स्कूलों में पढ़ाई पर रोक लगा दी गयी है.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयास से ही मैथिली भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल किया गया. सरकार के उत्तर से असंतुष्ट प्रेमचंद मिश्रा द्वारा संकल्प वापस लेने से मना कर दिया गया.इस पर पर कार्यकारी सभापति ने वोटिंग करवायी और संकल्प ध्वनिमत से खारिज हो गया. प्रेमचंद मिश्रा ने अपने गैर सरकारी संकल्प में सरकार के सामने प्रस्ताव रखा था कि बिहार के स्कूली पाठ्यक्रम में अनिवार्य विषय के रूप में मैथिली भाषा की पढ़ाई शुरू की जाये. 
 

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