हाईकोर्ट से मिली न्याय की जीत

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हाईकोर्ट से मिली न्याय की जीत

आलोक कुमार 
बेतिया.बेतिया नगर परिषद में 39 वार्ड हैं.नगर परिषद का चुनाव 2017 में हुआ था.इस चुनाव में लोकमत से वार्ड नंबर 24 की वार्ड पार्षद गरिमा देवी सिकारिया बनीं.चुनाव में शहर के प्रसिद्ध व्यवसायी रोहित सिकारिया की पत्नी व वार्ड नंबर 24 की पार्षद गरिमा देवी सिकारिया मुख्य पार्षद पद पर निर्वाचित घोषित की गयी.गरिमा देवी सिकारिया को 24 मत मिले. वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी लक्ष्मी ठाकुर को 15 मत से ही संतोष करना पड़ा. इस तरह गरिमा ने लक्ष्मी ठाकुर को नौ मतों से हरा कर सभापति की कुर्सी पर कब्जा जमा लिया. वहीं उपसभापति पद के लिए वार्ड नंबर 28 के क्यूम अंसारी व सुनैना देवी मैदान में थे.मो.क्यूम अंसारी को 26 मत व सुनैना देवी को मात्र 13 मत से ही संतोष करना पड़ा.इस तरह मुख्य पार्षद गरिमा देवी सिकारिया सभापति और उपसभापति क्यूम अंसारी बन गये. सभापति गरिमा देवी सकारिया ने विधिवत 9 जून 2017 को कार्यभार संभाल लीं,और गरिमा के साथ कार्य करने लगीं. 

अविश्वास प्रस्ताव पारित करवाने में सफल  

नगर परिषद के सभापति गरिमा देवी सिकारिया के विरूद्ध नगर पार्षदों ने मोर्चा खोलकर अविश्वास प्रस्ताव का आवेदन दिया था. 
जिला मुख्यालय बेतिया स्थित नगर परिषद के वार्ड नं.28 के वार्ड पार्षद सह उपसभापति कयूम अंसारी ने सभापति गरिमा देवी सिकारिया के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित करवाने में सफल हो गया. काफी जहोजद के पश्चात नगरपरिषद के कार्यपालक पदाधिकारी विजय उपाध्याय ने 28/12/2020 ने 12 बजे अपराह्न अविश्वास प्रस्ताव पर बहस और मतदान कराने का दिन सुनिश्चित किया था. 


उपसभापति कयूम अंसारी की अध्यक्षता में बैठक 

बेतिया नगर परिषद में 39 वार्ड हैं.इसमें वार्ड-5 की पार्षद कौशल्या देवी व 13 की पार्षद इजहार हुसैन का निधन इसी साल हो गया है.ऐसे में शेष 37 वार्ड पार्षदों के बीच अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष या विपक्ष में मतदान किया जाना था.इसमें 11 पार्षद उपस्थिति दर्ज कर बैठक से निकल गये. बहस और मतदान में 26 पार्षद उपस्थित रहे. इसमें चार पार्षदों ने सभापति के पक्ष मतदान किया.तीन बैलेट सादा निकला. इससे पूर्व भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच अविश्वास प्रस्ताव को लेकर नगर परिषद की विशेष बैठक हुई. बैठक की अध्यक्षता उपसभापति कयूम अंसारी ने की.सबसे पहले प्रस्ताव को लेकर बहस हुई.इसके बाद मत विभाजन से प्रस्ताव पर फैसले की सहमति बनी. 

सभापति गरिमा सिकारिया बैठक से अनुपस्थित रहीं 

अविश्वास प्रस्ताव पर बहस व मतदान को लेकर नगर परिषद कार्यालय पुलिस छावनी में तब्दील रहा. एसडीपीओ मुकुल परिमल पांडेय, नगर थानाध्यक्ष राकेश भास्कर, महिला थानाध्यक्ष पूनम कुमारी, बेतिया सीओ समेत काफी संख्या में जवान शामिल रहे. परिसर में अनधिकृत प्रवेश वर्जित कर दिया गया था.पार्षद पति व पुत्र परिसर में बाहर में कुर्सी से चिपके थे.अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 19 मतों की गिनती की गई. 18 की तुलना में 19 मतों से अविश्वास प्रस्ताव को पारित कर दिया गया.बता दें कि बेतिया नगर परिषद की सभापति गरिमा देवी सिकारिया विशेष बैठक में शामिल होने 16 दिसंबर 2020 को पटना चली गयी थी.इस बीच उनकी गैरमौजूदगी में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया.अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 19 मत पड़े.सभापति के पक्ष में 18 पार्षद रहे. सभापति की कुर्सी एक मत से खिसक गई. 

मतगणना में गड़गड़ी का आरोप 

मत विभाजन में अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 19 मत पड़े.सभापति के पक्ष में 18 पार्षद रहे.सभापति की कुर्सी एक मत से खिसक गई. हालांकि बाद में सभापति के समर्थक पार्षदों ने मतगणना में गड़गड़ी का आरोप लगाया.मतगणना के दौरान ऐसे मतपत्र जिसपर क्रास की जगह सही का निशान लगाया गया था.उसे भी वैद्य मानते हुए मुख्य पार्षद के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव को पारित किया गया है. जबकि प्रावधान के अनुसार क्रास के अतिरिक्त लगाया गया कोई भी चिह्न का मतपत्र अवैध मतपत्र है.नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी विजय कुमार उपाध्याय और जिलाधिकारी कुंदन कुमार को दोबारा गिनती के लिए ज्ञापन सौंपा गया.इसकी सूचना पर मतविभाजन करवा कर लौट चुके सूचना पर दोबारा पहुंचे एसडीएम विद्यानाथ पासवान ने नियम का हवाला देते हुए दोबारा मतगणना कार्य से इनकार कर दिया.इससे ज्ञापन सौंपने वाले पार्षदों ने नाराजगी जताई. 

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाले बेंच ने अवैधानिक बताकर रद कर दिया  

जानकारों की माने तो अविश्वास प्रस्ताव में गड़बड़ी के आरोप का मामला उच्च न्यायालय पहुंचा.बता दें कि नगर परिषद सभापति पर पूर्व में भी दो बार अविश्वास प्रस्ताव वर्ष 2020 में ही लाया गया था.  
आठ माह से अधिक विचारण के बाद नगर परिषद (अब नगर निगम) की सभापति गरिमा देवी सिकारिया पर अविश्वास लगाने, विशेष बैठक बुलाने और अविश्वास को पारित करने की पूरी प्रक्रिया को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाले बेंच ने अवैधानिक बताकर रद कर दिया और उन्हें पद पर पुनः बहाल कर दिया है. हालांकि प्रोन्नत नगर निकायों के बोर्ड को सरकार द्वारा भंग कर देने के एक अन्य मुकदमे का फैसला आने के बाद ही गरिमा देवी सिकारिया पुनः कुर्सी सम्भाल पाएंगीं.हाईकोर्ट का ऑर्डर जारी होने के बाद सिकारिया ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है परन्तु पराजित नहीं.करीब 11 माह की लड़ाई के बाद मिली न्याय की जीत वास्तव में नगर निगम क्षेत्र के समस्त जनता जनार्दन की जीत है. उन्होंने बताया कि वे एक विशेष रोडमैप और दूरदर्शिता पूर्वक बीते चार साल से नगर निगम क्षेत्र के सर्वांगीण विकास में अपने तन, मन, धन से लगी रही हैं. इसको लेकर मिले जनता जनार्दन के अपार स्नेह और सरकारी राशि के लूट खसोट पर काफी हद तक रोक से नाराज लोगों ने विरोध करने में नियम कानून व सामाजिक मर्यादा की सीमाएं लांघ दी. हाईकोर्ट के इस फैसले से मुझे अपनी सेवा जारी रखने का रास्ता फिर साफ हो गया है.मौके पर पूर्व सभापति जनक साह, वार्ड 8 मनोज कुमार, वार्ड 10 श्रीमती देवी, वार्ड 15 कैसर जहाँ, वार्ड 16 शकीला खातून, वार्ड 17 अरुण कुमार, वार्ड 19 जरीना सिद्दीकी, वार्ड 21 मधु देवी, वार्ड 22 शहनाज खातून, वार्ड 26 दीपेश सिंह, वार्ड 27 रीता रवि इत्यादि मौजूद रहे. 

अब बेतिया नगर परिषद नहीं,बेतिया नहर निगम 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में 26 दिसंबर और 29 दिसंबर 2020 को हुई राज्य कैबिनेट की विशेष बैठक में क्रमश: 111 और छह नए शहरी निकायों को मंजूरी दी थी.इनमें 109 नई नगर पंचायतें और आठ ऐसी नगर परिषद शामिल हैं जिन्हें सीधे ग्राम पंचायत से परिषद बनाया गया था. वहीं सासाराम, मोतिहारी, बेतिया, मधुबनी और समस्तीपुर को अपग्रेड कर नगर निगम बनाया गया। 32 नगर पंचायतों को अपग्रेड कर नगर परिषद का दर्जा दिया गया है.जबकि नगर निगम बिहार शरीफ और 11 नगर परिषद का क्षेत्र विस्तार किया गया है.दिसंबर 2020 मंत्रीमंडल की स्वीकृति के बाद बेतिया नगर परिषद को अब नगर निगम का दर्जा मिल गया है. नगर निगम का दर्जा मिलने के साथ ही यहां के लोगों की पुरानी मांगें पूरी हो गई. नगर निगम का दर्जा मिलने के साथ ही यहां के लोगों की सुविधाओं में इजाफा होगा.अब सरकार से विभिन्न सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए पहले की तुलना में ज्यादा आवंटन भी प्राप्त होगा. और तो और शहर में ध्वस्त जल निकासी व्यवस्था में सुधार होने की उम्मीदें जग गई हैं.तो कई तरह की आधरभूत संरचनाओं का विकास भी होगा. बेतिया नगर निगम के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि इस क्षेत्र से 17 ग्राम पंचायतों के लोग भी जुड़़ गए हैं.नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी विजय उपाध्याय ने बताया कि नगर निगम के गठन हो जाने के बाद बेतिया नगर निगम की आबादी 1 लाख 38 हजार 736 से बढ़कर 4 लाख 14 हजार 453 हो जाएगी। गठन के बाद शामिल किए गए क्षेत्रों का सीमांकन करते हुए वार्डों का पुर्नगठन किया जाएगा. 


 

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