नीतीश का भाजपा और राजद को साफ संदेश-पीयोगे तो मरोगे

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

नीतीश का भाजपा और राजद को साफ संदेश-पीयोगे तो मरोगे

फ़ज़ल इमाम मल्लिक 
बिहार की सियासत के केंद्र में अभी शराबबंदी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी को लेकर अपने फैसले पर अडिग हैं. वे किसी तरह की ढील के पक्ष में नहीं हैं. शुक्रवार को नशा मुक्ति दिवस पर अपने इरादे फिर जाहिर किए और लोगों को सख्त संदेश दिया-शराब पीयोगे तो मरोगे. हालांकि उनके इस बयान पर सियासत भी खूब हुई. नीतीश कुमार विपक्ष के निशाने पर भी हैं और सहयोगियों के भी. शराबबंदी खत्म करने को लेकर राजद और भाजपा एक ही नाव पर सवार है. भाजपा भी शराबबंदी के पक्ष में नहीं है और राजद भी. जीतनराम मांझी की राय भी शराबबंदी के पक्ष में नहीं है. लेकिन नीतीश कुमार शराबबंदी पर को लेकर अपने फैसले पर कायम हैं. उन्होंने दो टूक शब्दों में सहयोगियों और विरोधियों से कहा, शराबबंदी कानून वापस नहीं होगा. वैसे शराबबंदी पर भाजपा और राजद की जुगलबंदी के भी सियासी मतलब निकाले जा रहे हैं. 

बिहार में नवंबर के पहले हफ्ते में जहरीली शराब से हुई मौतों के बाद नीतीश कुमार की शराबबंदी कानून पर सवाल उठ रहे हैं. शराबबंदी कानून सरकार ने लागू तो कर दिया लेकिन पुलिस और प्रशासन ने इस कानून का फायदा उठा कर इसे प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया. नतीजा यह निकला कि शराब बेची भी जा रही है और खरीदी भी जा रही है. ग्रामीण इलाकों में तो शराब बनाने का कारोबार इन दो-तीन सालों में खूब फला-फूला. कच्ची शराब का कारोबार का फैलाव हुआ और पुलिसवालों की पौबारह. 

लेकिन जहरीली शराब से हुई मौतों के बाद नीतीश कुमार ने सख्त रवैया अपनाया है. उन पर भीतरी और बाहरी दोनों दबाव है. भीतरी दबाव सहयोगी दलों का है और बाहरी विपक्ष का. नीतीश कुमार दोनों मोर्चों पर डटे हुए हैं. शराबबंदी खत्म करने की वकालत करने वाली भाजपा को भी वे साफ संदेश देते हैं और उन लालू यादव को भी जो 2016 में शराबबंदी की शपथ लेने में सबसे आगे थे. लेकिन अब शराबबंदी को खत्म करने की दुहाई दे रहे हैं. 

जहरीली शराब से हुई मौतों के बाद बिहार भाजपा अध्यक्ष और सांसद संजय जायसवाल ने नीतीश कुमार से शराबबंदी की समीक्षा करने को कहा था. उनका इशारा साफ था, शराबबंदी खत्म होनी चाहिए. लेकिन नीतीश कुमार तो नीतीश कुमार ठहरे. अपने फैसले को पलटने की बात तो दूर समीक्षा को भी तैयार नहीं हुए. समीक्षा की तो अपने तरीके से की और प्रशासनिक स्तर पर कुछ ऐसे फैसले लिए जिससे इस कानून को और प्रभावी ढंग से लागू होने में मदद मिलेगी. भाजपा नीतीश कुमार के इस फैसले से खुश नहीं दिखी. हालांकि सामाजिक मुद्दा होने की वजह से वह ज्यादा मुखर तो नहीं दिखी लेकिन भाजपा को यह बात बेहद नागावार लगी है. लालू यादव ने भी शराबबंदी को लेकर इसी तरह का ज्ञान दिया लेकिन नीतीश कुमार ने पीयोगे तो मरोगे का बयान देकर राजद को भी सकते में डाला और भाजपा को भी परेशान कर डाला. अब तो पुलिस को उन्होंने खुली छूट दे दी है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘ठोक दो’ जैसी छूट तो नहीं, लेकिन                                                      उन्होंने पुलिस को नया मंत्र दिया-पीयोगे तो नपोगे. 

नीतीश के रवैये से भाजपा आहत है. लेकिन शीर्ष नेतृतव इस मुद्दे पर खामोश है. यह अलग बात है कि भाजपा ने अपने विधायकों को आगे कर नीतीश कुमार पर हल्ला बोला. पहले हरिभूषण ठाकुर बचौल ने शराबबंदी से बिहार को हो रहे नुकसान का राग अलापा. बाद में भाजपा के दूसरे विधायक कुंदन सिंह ने शराबबंदी की वजह से अपराध बढ़ रहे हैं का फतवा दे डाला. कुंदन सिंह के मुताबिक शराबबंदी के कारण बिहार में हत्या और दूसरे  अपराध काफी बढ़ गए हैं. पुलिस कानून लागू करवाने के लिए मनमानी कर रही है. शादी विवाह में दुल्हन के कमरे में घुसकर पुलिस बेइज्जत करती है. यह ठीक नहीं है. इसलिए शराबबंदी कानून की गंभीरता से समीक्षा होनी चाहिए.  

लेकिन इन बयानों से बेफिक्र नीतीश कुमार शराबबंदी कानून को और प्रभावी ढंग से लागू करने में लग गए हैं. नशा मुक्ति दिवस कार्यक्रम में उन्होंने जो संदेश दिया उससे भाजपा ही नहीं राजद को भी समझ लेना चाहिए कि वे इस मामले में किसी तरह के समझौते के पक्ष में नहीं हैं. नीतीश कुमार ने शराबबंदी को सफल बनाने के लिए पुलिस की कार्रवाई को भी सराहा. नीतीश कुमार ने पटना में दुल्हन के कमरे में पुलिस की जांच पर सवाल खड़े करने वालों को अपने अंदाज में जवाब दिया और कहा कि अगर कोई गड़बड़ करेगा तो जांच जरूर होगी. महिला है तो जांच नहीं होगी ऐसा नहीं होगा. नीतीश कुमार ने लोगों को चेतावनी देते हुए कहा कि आज बिहार में जो लोग कहीं से भी शराब लेकर पी रहे हैं उन्हें एक बात समझ लेनी चाहिए कि शराबबंदी के बाद जो कुछ भी मिलेगा वह गड़बड़ होगा. पीने वालों की मौत भी होगी इसलिए अगर शराब पियोगे तो मरोगे 

नीतीश कुमार ने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को फिर आजीवन शराब नहीं पीने की शपथ दिलवाई. नशा मुक्ति दिवस पर गांधीजी की भी चर्चा हुई. गांधी को याद करते हुए कहा गया कि उन्होंने हमेशा शराब का विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि शराब आदमियों से न सिर्फ उसका पैसा छीन लेती है, बल्कि उनकी बुद्धि भी खत्म कर है. शराब पीने वाला इंसान हैवान हो जाता है. गांधीजी ने कहा था कि अगर मुझे एक घंटे के लिए भारत का तानाशाह बना दिया जाए तो मैं सबसे पहले शराब की सभी दुकानों को बिना क्षतिपूर्ति के बंद कर दूंगा.  इससे पहले 2018 में भी सरकारी कर्मियों व अफसरों ने शराब न पीने की शपथ ली थी. नीतीश ने अधिकारियों को साफ निर्देश दिया, पटना में शराबबंदी कानून को पूरी तरह अमल में लाएं. इससे दूसरे जिलों में भी बेहतर संदेश जाएगा और पूरा बिहार नियंत्रण में होगा. 

पुलिस की उन्होंने पीठ थपथपाई और खुली छूट भी दी. हालांकि इसके अपने खतरे हैं. पुलिस बेलगाम हो सकती है और कहीं भी, किसी को भी धर सकती है. लेकिन नीतीश कुमार यह जोखिम उठाने को तैयार हैं. वे शराबबंदी लागू करने में किसी तरह की कोताही नहीं करना चाहते हैं. पुलिस को खुली छूट देना दो धारी तलवार पर चलने जैसा है क्योंकि शराब का काला कारोबार शहरी और ग्रामीण इलाकों में पुलिस की मिलीभगत से ही चल रहा है. लेकिन नीतीश इस जोखिम को 
उठाने को तैयार हैं तो इसकी वजह उनकी जिद और शराबबंदी को लागू करने का उनका जनून है. जहरीली शराब से हुई मौतों ने उन्हें बेतरह विचलित किया है. यह भी सही है कि उनके पीयोगे तो मरोगे कहने पर बहुतों ने आंखें तरेरी हैं, लेकिन नीतीश कुमार शराबबंदी के अपने फैसले पर अटल हैं. कभी पंकज उधास की गाई ग़ज़ल- हुई बहुत ही महंगी शराब कि थोड़ी-थोड़ी पिया करो काफी मशहूर हुई थी. लोग खूब गुनगुनाते थे. बिहार में शराब महंगी तो मिल रही है लेकिन थोड़ी-थोड़ी पीने की इजाजत भी नहीं है. पुलिस को नया मंत्र मिल ही गया है, पीयोगे तो नपोगे. बिहार आएं तो पंकज उधास की गजल गुनगुनाएं लेकिन थोड़ी सी पीने में भी परहेज करें. महंगा पड़ सकता है.  
 

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :