चौंकिए मत, भारत में हॉकी खेल रही है पाकिस्तान की टीम !

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चौंकिए मत, भारत में हॉकी खेल रही है पाकिस्तान की टीम !

फ़ज़ल इमाम मल्लिक 
हो सकता है बहुत सारे लोगों को इस खबर पर यकीन नहीं आए. वे बयकीनी की कैफियत में मुब्तला हो सकते हैं. लेकिन खबर सोलह आने सही है कि पाकिस्तान हॉकी की टीम भारत में है और विश्व कप मुकाबलो में वह हिस्सा ले रही है. राष्ट्रवाद या कहें कि देशभक्ति कहीं दिखाई नहीं दे रही है. कोई महीना भर पहले राष्ट्रवाद की चाशनी में हर कोई डूबा दिख रहा था. लथपथ और सराबोर थे सबके सब. आखिर देशभक्ति भी कोई चीज होती है और बात जब भारत पाकिस्तान के बीच क्रिकेट की हो तो फिर चाश्नी की यह कड़ाही हर वक्त चूल्हे पर चढ़ी होती है. कभी धीमी आंच पर तो कभी तेज आंच पर. भाई लोग इस चाशनी को चलाते रहते हैं. चैनल भी इस काम में भला कहां पीछे रहते हैं. अपने-अपने चैनलों पर या यूं कहें कि अपने-अपने स्टूडियो में पाकिस्तान के खिलाफ जंग छेड़ने वाले ऐंकरों की भी बलिहारी, टी-20 विश्व कप के मौके को खूब भंजाया. आखिर मामला टीआरपी का था. तो कल तक जो चैनल पाकिस्तान को गरिया रहे थे और न जाने क्या कुछ कह रहे थे, उन्हीं चैनलों के स्टूडियो या कार्यक्रमों में पाकिस्तानी क्रिकेटर खेल रहे थे, चौके-छक्के लगा रहे थे. वही ऐंकर-ऐंकरानियां उनके कसीदे पढ़ रहे थे, झुक-झुक कर बलैयां ले रहे थे जो पाकिस्तान को पानी पी-पी कर कोसते थे. लेकिन इस बीच टीआरपी की दौड़ में शामिल चैनलों ने देशभक्ति को कहीं किनारे ढकेल कर खड़ा कर दिया था. 

दिलचस्प यह है कि उनमें वैसे चैनल भी शामिल थे, जिन्होंने देश में सोशल मीडिया और अपने चैनलों पर अभियान चलाया था कि भारत पाकिस्तान से मैच नहीं खेले यानी बॉयकॉट करे. बिना यह जाने-समझे कि आईसीसी के नियम-कायदे हैं और खेल स्टूडियो के बहस-मुबाहिसों की तरह नहीं होते हैं जिन्हें ऐंकर-एंकरानियां अपने तरीके से संचालित करते हैं. वे भूल गए थे कि इस विश्व कप की मेजबानी भारत के जिम्मे थी. कोरोना की वजह से भारत ने मैचों का आयोजन यूएई में किया था. नहीं तो पाकिस्तान की टीम भारत में ही मैच खेलती. सरकार ने इसकी मंजूरी भी दे दी थी. लेकिन चैनलों, मीडिया और देशभक्तों की टोली को इन सबसे क्या मतलब. 

देश में एक अलग तरह का पाखंड खड़ा करना उनका मकसद था और सबने मिल कर ऐसा किया. बस महीने भर पहले ये शोर मचाए हुए थे. न जाने किन-किन तरह के संज्ञा-विशेषणों का इस्तेमाल किया गया था. क्रिकेट जनून भी है, प्रचार का जरिया भी और पैसा कमाने का खेल भी इसलिए खूब शोर मचाया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाषा में बात करें तो भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैचों को लेकर प्रचारजीवियों की टोली नजर आने लगती है. सड़कों पर झुंड बना कर ये टोलियां निकलती हैं और राग देशभक्ति अलापती हुई कैमरे के सामने तरह-तरह के पाखंड करती हैं और इस पाखंड को हमारे चैनल उसी भक्ति भाव से परोसते हैं. 

लेकिन सवाल यह है कि चैनलों और लोगों का यह भक्तिभाव क्रिकेट और वह भी सिर्फ पुरुषों के क्रिकेट तक क्यों सिमटा रहता है. भारत में पिछले तीन-चार सालों में महिला टी-20 विश्व कप भी हुआ और नेत्रहीन क्रिकेट का विश्व कप भी. दोनों ही आयोजनों में पाकिस्तानी टीमें आईं थीं लेकिन कहीं से न तो विरोध के स्वर और न ही देशभक्ति का राग सुनाई दिया. चैनलों पर भी सन्नाटा पसरा रहा. तो ऐसे में चैनलों और प्रचारजीवी देशभक्तों की नीयत पर सवाल तो उठेंगे ही. यह सवाल इसलिए भी क्योंकि भारत में बुधवार से जूनियर हॉकी विश्व कप के मुकाबले शुरू हुए. मुकाबले ओड़ीशा में खेले जा रहे हैं. ओड़ीशा इस अंतरराष्ट्रीय मुकाबले की मेजबानी कर रहा है और कटक के कलिंगा स्टेडियम में सभी मैच होंगे. जूनियर हॉकी विश्व कप में पाकिस्तान की टीम भी हिस्सा ले रही है. इसे लेकर न कोई शोर है और न ही चैनलों पर बहस-मुबाहिसा. अंतरराष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन की देखरेख में आयोजित होने वाले इस मुकाबले में सोलह टीमें हिस्सा ले रहीं हैं उनमें पाकिस्तान भी है. लेकिन पाकिस्तानी टीम के आने की न तो उत्तेजना है न बॉयकाट की सलाह और न चैनलों पर गाया जा रहा है राग देशभक्ति. सवाल इस दोहरेपन पर ज्यादा है. 

दिलचस्प यह भी है कि पड़ोसी देश की टीम मुकाबले में हिस्सा लेने के लिए भारत पहुंची और अपना पहला मैच खेला भी. पाकिस्तान टीम दिल्ली के रास्ते ओड़ीशा गई. दिल्ली एअरपोर्ट पहुंचने के बाद भी कहीं कोई खबर नहीं, कोई विरोध नहीं. न कैमरा, न लाइट और न ही ऐक्शन. क्रिकेट टीम रहती तो अब तक तूफान खड़ा हो गया होता. शायद खेलों के साथ देशभक्ति का पैमाना भी बदल जाता है. वैसे खेलों के लिए यह अच्छी खबर है. सियासत अपनी जगह, विरोध भी अपनी जगह और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई भी अपनी जगह लेकिन खेलों को इन सबसे दूर ही रखा जाना जरूरी है. हालांकि इस बात के कायल हैं कि खेल और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते. पाकिस्तान को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए क्योंकि इससे पाकिस्तान में खेलों का कबाड़ा हो रहा है. 

पाकिस्तानी हॉकी टीम दिल्ली पहुंची तो पाकिस्तान उच्चायोग के प्रभारी आफताब हसन खान ने टीम का स्वागत दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर किया. भारत आए पाकिस्तानी खिलाड़ियों को पाकिस्तानी उच्चायोग ने उनके सम्मान में दोपहर के भोजन की दावत दी. दावत में खेलों पर भी चर्चा हुई. पाकिस्तान टीम ने हॉकी को अपना राष्टीय खेल बताया और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि हम टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन करेंगे. 

टूर्नामेंट में हिस्सा लेने वाली टीमों को कोरोना गाइडलाइन का पालन करना होगा. ओड़ीशा के स्वास्थ्य अधिकारी के मुताबिक सभी खिलाड़ियों का हर तीसरे दिन यानी 72 घंटे में टेस्ट होगा. हर दिन लगभग 500 टेस्ट किए जाएंगे. खिलाड़ियों के स्वास्थ्य को लेकर किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती जाएगी. 

जूनियर विश्व कप का फाइनल 5 दिसंबर को खेला जाएगा. पांच साल पहले लखनऊ में इसका आयोजन किया गया था और तब लंबे अरसे बाद भारत ने चैंपियन बनने कागौरव हासिल किया था. इसका श्रेय टीम के कोच हरेंद्र सिंह को जाता है. हालांकि वे इस बार टीम के कोच नहीं हैं लेकिन उम्मीद की जा रही है कि भारतीय टीम अच्छा प्रदर्शन करेगी. जूनियर विश्व कप में सोलह टीमें हिस्सा ले रहीं हैं. मेजबान भारत के अलावा हिस्सा लेने वाली दूसरी टीमें हैं पाकिस्तान, हालैंड, अमेरिका, मिस्र, बेलजियम, फ्रांस, पोलैंड, स्पेन, जर्मनी, चिली, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, मलेशिया और अर्जेंटीना. भारत को पूल बी में कनाडा, फ्रांस और पोलैंड के साथ रखा गया है. भारत 24 नवंबर को फ्रांस के खिलाफ मैच खेल कर अपने अभियान की शुरुआत की. लेकिन भारत अपना पहला मुकाबला गंवा बैठा. फ्रांस ने उसे नजदीकी मुकाबले में 5-4 से हराया. पाकिस्तान ने भी हार से शुरुआत की. जर्मनी ने उसे 5-2 से मात दी. 

पहले मैच में हार के बावजूद भारतीय लड़कों ने अच्छा हॉकी खेली और भारत फिर चैंपियन बनेगा, ऐसी उम्मीदें हैं. लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि मुकाबले बेहतर माहौल में खेले गए. यह माहौल बना रहे, नफरतों के साये से विश्व कप दूर रहे और मैदान पर खेल हो, जंग नहीं. क्रिकेट में इस तरह की जंग हम देखते रहे हैं या कहें कि इसके आदी हो चुके हैं. वैसे पाकिस्तानी टीम के भारत पहुंचने के बाद भी सन्नाटा है तो समझा जा सकता है कि नफरतों के लिए भी खेलों का क्लास देखा जाता है. क्या हम अब भी इससे कुछ सीख लेंगे क्योंकि खेल बहरहाल खेल होता है और खेल मैदानों पर ही अच्छा दिखता है. प्रचारजीवियों और चैनलों को यह बात समझ में आ जाए तो बेहतर है. 
 

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