आलोक कुमार
पटना. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं योगी आदित्यनाथ. आज बिहार की राजधानी पटना में योगी सरकार के खिलाफ आशा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया.यहां पर आशा बहनों के समर्थन में उतरकर यूपी के शाहजंहापुर में पर पुलिसिया दमन का विरोध, पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रही थीं.
वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 19 मार्च 2017 से मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हैं.यूपी के शाहजंहापुर में पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी के एक कार्यक्रम के दौरान यूपी की आशा कर्मियों ने अपनी समस्याओं व मांगों से सम्बंधित ज्ञापन देना चाहा.तब योगी सरकार की पुलिस ने आशा बहनों के मनसूबे पर पानी फेर दिया.उनलोगों ने फरियाद करने वालों के साथ न सिर्फ मारपीट किया,पर आशा बहन पूनम पांडेय का हांथ तोड़ दिया,जूतों तले रौंदा, उनके निजी अंगों पर प्रहार कर बुरी तरह प्रताड़ित किया.
इस घटना से आक्रोशित ऐक्टू व आल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन (एआईएसडब्ल्यूएफ) से जुड़ी बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट) के आह्वान पर आशा बहनों ने आज राजधानी पटना के बुद्ध स्मृति पार्क के समक्ष योगी सरकार के दमन के खिलाफ प्रदर्शन कर सम्बंधित पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करने व अन्य मांगों को बुलंद किया.
योगी सरकार द्वारा आशाकर्मियों के दमन के खिलाफ आज आशा कार्यकर्ता संघ अध्यक्ष शशि यादव की अध्यक्षता में हुई पटना के बुद्ध स्मृति पार्क के समक्ष हुई सभा को विद्यालय रसोइया संघ महासचिव सरोज चौबे, ऐक्टू राज्य सचिव रणविजय कुमार, जितेंद्र कुमार आदि नेताओं ने सम्बोधित किया.इस अवसर पर मुर्तजा अली व इनौस नेता पुनीत, ऐपवा नेत्री, विभा गुप्ता, आबिदा ख़ातून शामिल थी.
योगी सरकार यूपी में तानाशाही राज कायम कर रही.नेताओं ने योगी सरकार पर यूपी में तानाशाही राज कायम करने, पुलिस- अपराधी गठजोड़ के बल पर शिक्षक, मजदूर व लोकतांत्रिक आंदोलनों व मांगों का दमन करने का आरोप लगाया. कहा कि योगी सरकार लोकतांत्रिक आंदोलनों से डरती है, शिक्षकों, किसानों के आंदोलनों का दमन करने के बाद वह यूपी के आशाकर्मियों की मांग तक सुनने को तैयार नहीं है.
कोरोना वॉरियर्स आशा के प्रति इतनी नफरत कोई नहीं रखता जितनी कि योगी सरकार. नेताओं ने कहा कि बीते दोनों कोरोना काल मे आशाकर्मी ने अपनी जान जोखिम में डाल देश व मानवता की रक्षा व सेवा किया, इन्हें कोरोना वॉरियर्स कहा गया, कोरोना वॉरियर्स आशाकर्मियों के प्रति इतनी नफरत और हिकारत देश का शायद ही कोई व्यक्ति रख सकता है जितनी नफरत और हिंसा का प्रदर्शन योगी सरकार ने दिखाया है.
देश भर के आशाकर्मियों की एक ही मांग है. सरकारी सेवक घोषित किया जाय और 18 हजार मासिक वेतन लागू हो.नेताओं ने कहा कि बिहार सहित देश भर में करीब 10 लाख से अधिक आशा कार्यकर्ता ही ग्रामीण भारत के स्वास्थ्य व्यव्यस्था की रीढ़ है. इन आशाओं की राष्ट्रीय स्तर पर एक मांग है कि इन्हें सरकारी सेवक घोषित किया जाय और 18 हजार मासिक वेतन लागू किया जाय.
इन्हीं मांगो को लेकर मुख्यमंत्री योगी से मिल कर मांग पत्र देना चाहा तब पुलिसिया दमन किया गया. नेताओं ने कहा कि योगी सरकार के तानाशाही को किसी भी स्थिति में बर्दास्त नहीं किया जाएगा, ऐक्टू व एआईएसडब्ल्यूएफ से जुड़े आशा कर्मी योगी-मोदी जैसे तानाशाह सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए मुहिम चलाएगें.
बिहार ,यूपी सहित देश भर में हुआ प्रदर्शन
इस बीच आशा कार्यकर्ता संघ अध्यक्ष सह फेडरेशन की राष्ट्रीय संयोजिका शशि यादव ने बताया कि योगी सरकार द्वारा शाहजहांपुर (उ०प्र०) में आशाओं पर पुलिसिया दमन के खिलाफ दोषी पुलिस अधिकारियों पर करवाई करने,आशा पूनम पांडेय के बयान पर मुकदमा दर्ज करने और आशा को सरकारी सेवक घोषित करने तथा 18 हजार वेतनमान देने की गारंटी की मांग पर आज बिहार ,यूपी सहित देश भर में ऐक्टू व आल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन (एआईएसडब्ल्यूएफ) से जुड़ी आशा कार्यकर्ताओं ने योगी व मोदी के खिलाफ प्रदर्शन किया.
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