नोटबंदी के पांच साल, नहीं संभले देश के हालात

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नोटबंदी के पांच साल, नहीं संभले देश के हालात

हिसाम सिद्दीकी 
नई दिल्ली! आप लोग मुझे सिर्फ पचास दिन दे दीजिए, मैं सबकुछ ठीक कर दूंगा अगर मैं कुछ न कर सकूं तो आप लोग जिस चौराहे पर कहेंगे आ जाऊंगा, हर सजा भुगतने को तैयार हूं. यह जज्बाती बयान वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी ने 2016 में नोटबंदी के फौरन बाद गोवा में बड़े ड्रामाई अंदाज में दिया था. उस वक्त पूरे मुल्क के लोग पैसों के लिए परेशान बैंकों के सामने लाइनों में खड़े थे. पचास दिन तो दूर अब नोटबंदी के पांच साल मुकम्मल हो चुके हैं मोदी ने नोटबंदी करते वक्त जो फायदे गिनवाए थे एक भी फायदा मुल्क और मुल्क के लोगों को नहीं हुआ, लेकिन अब वह किसी चौराहे पर पहुंच कर सजा भुगतने के लिए तैयार नहीं है. नोटबंदी का जब एक साल पूरा हुआ था तो आठ नवम्बर 2017 को मोदी ने अपनी पार्टी से पूरे मुल्क में ‘काला धन मुखालिफ दिन’ का जश्न मनवाया था. अब पांच साल पूरे हुए तो कोई जश्न नहीं मनाया गया. जश्न मनाए भी कैसे, अब तो मातम मनाने का वक्त है, नोटबंदी के वक्त नरेन्द्र मोदी ने इसके पांच फायदे गिनवाए थे. एक काला धन खत्म होगा, दूसरा फंडिंग नहीं होगी तो दहशतगर्दी में कमी आएगी, तीसरा मुल्क में कैशलेस इकोनामी होगी, चौथा माओवादियां पर काबू पाया जा सकेगा और पांचवां जब बड़े नोट नहीं हांगे तो लोग कालाधन नहीं जमा कर सकेंगे और नकली नोट पकड़ में आएंगे. पांचों बातें झूट साबित हुई हैं उल्टे यह हुआ है कि नोटबंदी के बाद से देश की मईशत (अर्थ व्यवस्था) तबाह हो गई है. जीडीपी माइनस में गोते खा रही है और बड़ी तादाद में घरेलू और छोटी सनअतें बंद हो गईं. नोटबंदी का कोई फायदा देश को आज तक नहीं मिला है. 
नोटबंदी का पहला साल मुकम्मल होने पर बीजेपी और मोदी हुकूमत ने ‘काला धन मुखालिफ दिन’ मनाया था जो जवाब में कांग्रेस ने ‘विश्वासघात दिवस’ मनाकर नोटबंदी की मुखालिफत की थी. दुनिया में जाने-माने माहिरे मआशियात (अर्थशास्त्री) साबिक वजीर-ए-आजम मनमोहन सिंह ने कहा था कि नोटबंदी की वजह से जीडीपी दो फीसद कम हो जाएगी, वही हुआ भी. नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि नोटबंदी से देश में कालाधन खत्म होगा. उनकी यह बात दो महीने के अंदर ही झूटी साबित हो गई थी. जब लोगों ने नोट बदलवाने के लिए बैंकों में पैसा जमा करना शुरू किया और सत्रह लाख तिरसठ हजार करोड़ के बड़े नोट बैंकों में वापस आ गए. उस वक्त रिजर्व बैंक के मुताबिक मुल्क में सत्रह लाख चौहत्तर हजार करोड़ के ही नोट चलन में थे यानी कालेधन के नाम पर सिर्फ दस हजार सात सौ बीस करोड़ के नोट ही वापस नहीं आए. उसमें भी कुछ नेपाल में थे, कुछ विदेशों में, कुछ घरों में ख्वातीन छुपाकर रखकर भूल गई थीं तो कुछ को-आपरेटिव बैंक में पड़े रह गए थे. 
जिस वक्त नोटबंदी हुई उस वक्त मुल्क में हजार और पांच सौ के पच्चासी फीसद नोट थे. बड़ी तादाद में नकली नोट भी लोगों ने भीड़ भाड़ का फायदा उठाकर बैंकों में जमा कर दिए. मोदी ने कहा था कि बड़े नोट नहीं होंगे तो काला धन नहीं बनेंगा, फिर खुद उन्होने ही एक हजार का बंद करके दो हजार का नोट चला दिया. जहां तक नकली नोटों का सवाल है तो शुरूआती दो साल में यानी 2018 तक ही बाजार में दो हजार रूपए वाले छप्पन (56) फीसद नकली नोट आ गए थे. उन्हें रोक पाने में मोदी सरकार पूरी तरह नाकाम साबित हुई तो अब रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने दो हजार के नोट छापना ही बंद कर दिए. लोगों के पास 2000 (दो हजार) के जो नोट थे वह तकरीबन सभी नोट दबा लिए हैं जो अब चलन से बाहर हैं. 
पांच सौ और एक हजार रूपए तक के नोट बदलवाने के लिए लम्बी-लम्बी कतारें बैंकों के सामने लगी थी लाइनों में लगे एक सौ छब्बीस (126) लोगों की मौत हो गई थी. उन मौतों पर मोदी ने कोई अफसोस भी नहीं जाहिर किया था. कितने लोग प्राइवेट अस्पतालों में सिर्फ इसलिए इलाज नहीं करा पाए थे क्योकि उनके पास पैसा नहीं था. मोदी ने लोगों से हमदर्दी जताने के बजाए जापान तक जाकर लोगों का मजाक उड़ाते हुए बयान दिया था कि घर में शादी है लेकिन पैसा नहीं है. इसलिए परेशान हैं. देश में बड़ी तादाद में लोगों को अपनी बच्चियों की शादियां कैसिल करनी पड़ी थी. मोदी ने कहा था कि बड़े लोगों के पास जमा कालाधन निकाला जाएगा लेकिन हुआ उसका उल्टा था. बड़े लोगों पर तो कोई फर्क पड़ा नहीं आम आदमी पर मुसीबत जरूर टूट पड़ी थी. 
जहां तक कैशलेस होने और डिजीटल भुगतान का सवाल है वह दावा भी गलत साबित हुआ. नोटबंदी के बाद से अब तक कैश लेन-देन में अटठावन (58) फीसद का इजाफा हुआ है. इसी से अंदाजा लगता है कि न तो देश में डिजीटल एकानोमी कायम हो सकी और न ही कालेधन पर काबू पाया जा सका. रिजर्व बैंक आफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक चार नवम्बर 2016 को मुल्क में 17 लाख 74 हजार करोड़ के नोट चलन में थे, 29 अक्टूबर 2021 तक नोटों की इस तादाद में बेतहाशा इजाफा हुआ और यह 29 लाख 17 हजार करोड़ तक पहुच गए. आरबीआई के मुताबिक तीस अक्टूबर 2020 तक मुल्क में 26 लाख 88 हजार करोड़ कीमत के नोट चलन में थे इसमें 29 अक्टूबर 2021 तक दो लाख 29 हजार करोड़ का इजाफा हो गया. यह इजाफा हर साल होता ही जा रहा है. सबसे ज्यादा इजाफा अक्टूबर 2019 और 30 अक्टूबर 2020 के दरम्यान चार लाख सत्तावन हजार करोड़ का हुआ. इससे एक साल पहले की मुद्दत में दो लाख पच्चासी हजार करोड़ का इजाफा हुआ था. 
जहां तक माओवादियों और दहशतगर्दों का ताल्लुक है दोनों पर नोटबंदी का कोई असर नहीं पड़ा. साक्षी जोशी की रिपोर्ट के मुताबिक माओवादी वाक्यात जिनमें लोगों की जानें गईं 2014 में एक सौ पच्चासी हुए थे, 2015 में एक सौ इकहत्तर, 2016 में दो सौ तिरसठ, 2017 में दो सौ, 2018 में दो सौ अट्ठारह, 2019 में एक सौ छिहत्तर, 2020 में एक सौ अड़तीस और 2021 में अब तक एक सौ दो वाक्यात पेश आए हैं. इस आदाद व शुमार के हिसाब से नोटबंदी का न माओवादी वाक्यात पर कोई असर पड़ा और न ही दहशतगर्दी पर, देश जरूर तबाह हुआ.जदीद मरकज 
 

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