पिछले तीन वर्षों में पुलिस हिरासत में 348 लोगों की मौत हुई

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पिछले तीन वर्षों में पुलिस हिरासत में 348 लोगों की मौत हुई

आलोक कुमार  
पटना.देश के विभिन्न हिस्सों में पिछले तीन वर्षों के दौरान पुलिस हिरासत में 348 लोगों की मौत हुई और यह भी पाया गया कि इसी अवधि में हिरासत में 1,189 लोगों को यातना झेलनी पड़ी.इसमें चांद मियां और फातिमा का पुत्र अल्ताफ भी शामिल हो गया है. 

पिछले तीन साल में पुलिस कस्टडी के दौरान देशभर में 348 लोगों की मौत हुई है.इसी अवधि में हिरासत में 1,189 लोगों को यातना भी झेलनी पड़ी.राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से मिली सूचना के अनुसार, 2018 में पुलिस हिरासत में 136 लोगों की मौत हुई 2019 में 112 और 2020 में 100 लोगों की जान गई. 

देश के अलग- अलग राज्यों में पिछले 3 वर्षों के दौरान पुलिस हिरासत में मौत की संख्या देखा जाए तो गुजरात में यह संख्या अधिक है.गुजरात में 2018 में 13 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हुई, वहीं इसके बाद मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश का नंबर आता है इन दोनों ही राज्यों में 2018 में पुलिस हिरासत में मरने वालों की संख्या 12-12 है.तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र और तमिलनाडु है यहां 11-11 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हुई.दिल्ली में 8 और बिहार में 5 लोगों की मौत इस वर्ष पुलिस हिरासत में हुई. 

2019 में पुलिस हिरासत में सबसे अधिक मौत मध्यप्रदेश में हुई. इस साल यहां पुलिस कस्टडी में 14 लोगों की मौत हुई. वहीं गुजरात में इस वर्ष 12 लोगों की तो वहीं तमिलनाडु में भी 12 लोगों की मौत पुलिस कस्टडी में हुई. दिल्ली में 9 लोगों की मौत हुई तो वहीं बिहार में 5 और उत्तर प्रदेश में इस वर्ष 3 लोगों की मौत हुई. 

3 साल में पुलिस हिरासत में मौत की संख्या देखी जाए तो राज्यों के हिसाब से सबसे अधिक संख्या गुजरात की है.2018 में गुजरात में जहां 13, 2019 में 12 और 2020 में यहां मरने वालों की संख्या 17 है. वहीं महाराष्ट्र में इस वर्ष 13 लोगों की जान पुलिस हिरासत में चली गई.यूपी और बंगाल में 8-8 लोगों की जान पुलिस हिरासत में चली गई.बिहार में यह संख्या कम है इस साल 3 लोगों की मौत पुलिस हिरासत में हुई. 


2017 से लेकर 2019 तक देश में राजनीतिक कारणों के लिए हत्या के मकसद के तहत कुल 213 मामले दर्ज किये गये.इनमें सर्वाधिक 98 मामले 2017 में दर्ज किये गये.2018 में 54 और 2019 में 61 ऐसे मामले दर्ज किये गये.लोकसभा में दिये गए लिखित उत्तर के अनुसार, एनसीआरबी के 2019 तक के आंकड़े उपलब्ध हैं और आंकड़ों के अनुसार तीन साल में ऐसे मामलों में पीड़ितों की कुल संख्या 230 रही.2017 में ऐसे सर्वाधिक मामले झारखंड में दर्ज हुए जिनकी संख्या 42 रही. इनमें पीड़ितों की संख्या भी 42 रही.2018 में इस तरह के सर्वाधिक मामले बिहार में दर्ज किये गये जिनमें प्रकरण और पीड़ितों की संख्या 9-9 रही. 

गैरकानूनी और मनमानी हत्याएं, जिनमें पुलिस द्वारा न्‍यायिक दायरे से बाहर जाकर ली गई जानें भी शामिल हैं; कुछ पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा अत्याचार और क्रूरता के मामले, अमानवीय अथवा अपमानजनक व्‍यवहार अथवा सजा; सरकारी अधिकारियों द्वारा मनमाने ढंग से गिरफ्तारी और हिरासत में लेना; कठोर और जीवन को खतरे में डालने वाली कारागार की स्थिति; कुछ राज्यों में राजनीतिक कैदी या बंदी; अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्‍वतंत्रता पर प्रतिबंध, जिसमें हिंसा, हिंसा की धमकी, या पत्रकारों की अनुचित गिरफ्तारियां अथवा उनके विरुद्ध अभियोजन चलाना, सोशल मीडिया पर कही गई बातों के लिए लिए आपराधिक परिवाद कानूनों का उपयोग, सेंसरशिप और साइट ब्लॉक करना; गैर-सरकारी संगठनों पर अत्यधिक प्रतिबंधात्मक नियम; राजनीतिक भागीदारी पर प्रतिबंध; सरकार में सभी स्तरों पर व्यापक भ्रष्टाचार; महिलाओं के विरूद्ध हिंसा के लिए जांच और जवाबदेही का न होना; धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के संबंध में सहिष्णुता; धार्मिक संबद्धता या सामाजिक स्थिति के आधार पर महिलाओं सहित अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों को लक्षित करते हुए हिंसा और भेदभाव वाले अपराध; तथा बलात् और अनिवार्य बाल श्रम, साथ ही बंधुआ मजदूरी शामिल है. 

यह लेटर ही मामले को पेचीदा बना दिया है.मैं चांद मियां पुत्र शौकीन शाह उम्र करीब 42 वर्ष निवासी अहरौली थाना व जिला कासगंज का रहने वाला हूं.आज दिनांक 9.11.2021 को मेरा बेटा अल्ताफ की उम्र करीब 22 वर्ष को एक मुकदमा अपराध संख्या 623/21 धारा 363,366 ipc पूछताछ के संबंध में थाना कासगंज पर लेकर आये थे.मेरा पुत्र अल्ताफ ने डिप्रेशन में आकर फांसी लगा ली.उसको पुलिस वाले सीएससी उपचार के लिए अशोक नगर लेकर गये.जहां पर उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गयी.मुझे पुलिस वालों से कोई शिकायत नही है. न मुझे व मेरे परिवार कोई कार्यवाही करना चाहता हूं और न ही भविष्य में करूंगा. 

इसको लिखने वाला लेखक मोहम्मद सगीर S/o जाकिर अली निवासी अहरौली कासगंज है.इनका मोबाइल नं.7017022992 है.हत्या और आत्महत्या के बीच झूलने वाले अल्ताफ का पिता चांद मियां पुत्र शौकीन शाह निवासी अहरौली कासगंज ने अंगूठा का निशान लगाया है.यह सब जांच के बाद ही पता चलेगा?

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