'हत्या है उसकी वह खुदकशी नहीं करता,

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'हत्या है उसकी वह खुदकशी नहीं करता,

आलोक कुमार 
कासगंज.कोतवाली कासगंज अन्तर्गत नगला सैय्यद निवासी चांद मियां. उनका पुत्र अल्ताफ हैं.वह 22 साल का है.वह एक मकान में टाइल्स लगाने का काम कर रहा था, जहां से एक लड़की लापता हो गई थी. परिजनों ने जिसका आरोप अल्ताफ पर लगाया. परिजनों का कहना था कि अल्ताफ ही लड़की को भगा ले गया है.उत्तर प्रदेश पुलिस अल्ताफ को रात 8 बजे खाना खाते समय उठा ले गई और घर वालों से कहा कि आधे घण्टे में छोड़ देंगे, आकर खा लेगा.मामले में कासगंज पुलिस ने अल्ताफ को 8 नवंबर की रात्रि करीब 8 बजे पूछताछ के लिए हिरासत में लिया, जिसके अगले दिन 9 नवंबर की शाम को अल्ताफ ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली? 

इसके कारण तुलसीदास की जन्मस्थली, कल्याण सिंह की कर्मभूमि कासगंज एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. इस बार वजह है, पुलिस कस्टडी में अल्ताफ नामक युवक की मौत. इस मामले ने पूरे प्रदेश का सियासी पारा गरम कर दिया है. सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि पुलिस की कहानी ने इस मामले को अनूठा बना दिया है.   

पुलिस का तर्क है कि अल्ताफ ने जैकेट की टोपी में लगी डोरी से फंदा बनाया और बाथरूम के नल से बांधकर फांसी लगा ली. लेकिन लोगों को पुलिस की ये कहानी समझ में नहीं आ रही है कि 5 फीट 6 इंच का आदमी ढाई फीट ऊंचे नल से कैसे लटक सकता है. क्या नल उसका भार सह लेगा? क्या जैकेट की डोरी अल्ताफ का वजन बर्दाश्त कर लेगी? सियासी तूफान बड़ा होने से पहले ही पांच पुलिसकर्मिर्यों को सस्पेंड कर दिया गया है, लेकिन पुलिस सवालों के घेरे में है.  

अल्ताफ 22 साल का सजीला नौजवान था, वह अपने पिता चांद मियां और मां फातिमा की आंखों का तारा था. उसकी आंखों में सपने थे लेकिन घर के आर्थिक हालात को देखते हुए वह टाइल्स लगाने का काम करने लगा. इन दिनों वो एक घर में टाइल्स लगा रहा था. इसी दौरान उस घर की एक नाबालिग लड़की लापता हो गई. लड़की के परिवारवालों ने शक जताया कि अल्ताफ लड़की को भगा ले गया है.  

मामला पुलिस तक पहुंचा. सोमवार की रात करीब 8 बजे पुलिस ने नगला सैय्यद इलाके में अल्ताफ के घर दबिश दी और उसे घर से पूछताछ के नाम पर उठा लिया. पुलिस ने उसके घरवालों से कहा कि पूछताछ के बाद अल्ताफ को छोड़ देंगे. पिता चांद मियां ने बेटे को इस उम्मीद के साथ पुलिस को सौंप दिया कि बेटा गलत नहीं है, वह वापस आ जाएगा. लेकिन अगले दिन बेटे की मौत की ख़बर आई. पुलिस ने घरवालों को बताया कि अल्ताफ ने आत्महत्या की है.   

बाप के कंधे पर बेटे का जनाजा, जमाने का सबसे बड़ा दुख कहा जाता है. और यह दुख चांद मियां पर टूट पड़ा. पुलिस कहती है कि अल्ताफ ने बाथरूम जाने के लिए कहा. उसे रास्ता बता दिया गया. बहुत देर तक जब वह वापस नहीं आया तो पुलिसवालों ने जाकर देखा. अल्ताफ ने जैकेट की टोपी में लगी डोरी का फंदा बनाकर नल के पाइप से फांसी लगा ली थी. जैसा पुलिस कहती है कि उसकी सांसें चल रही थीं. आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया लेकिन इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया.  

कासगंज के पुलिस अधीक्षक रोहन प्रमोद बोत्रे ने कहा कि युवक नाबालिग लड़की को भगाने में नामजद था, उसे पूछताछ के लिए लाया गया था. जैकेट की डोरी से युवक ने शौचालय में फांसी लगाई है. लेकिन पुलिस की थ्योरी पर किसी को यकीन नहीं हो रहा है. पुलिस पर सवालों की झड़ी लग गई है.  

जवान बेटे की मौत का मातम मनाने वाले परिवार का कहना है कि उन्हें अपने बेटे पर पूरा ऐतबार था. उन्हें यकीन था कि उनका बेटा गलत नहीं कर सकता. पुलिस जब उनके घर पहुंची तो उन्होंने अल्ताफ को उनके हवाले कर दिया. इस यकीन के साथ कि अगर बेटा गलत नहीं है तो उसके साथ कुछ गलत नहीं होगा. लेकिन उन्हें क्या मालूम था कि उनका बेटा लौटकर नहीं आएगा. जब रात को वह वापस नहीं आया तो पिता चांद मियां नरदई पुलिस चौकी पहुंचे. वहां बताया गया कि अल्ताफ को बड़े थाने ले जाया गया है.  

जब चांद मियां बड़े थाने यानी कोतवाली पहुंचे तो पुलिसवालों ने उनको डांटकर भगा दिया. परिवारवालों का आरोप है कि उनके बेटे को पुलिसवालों ने मारा है. अब आत्महत्या का मामला बनाने की कोशिश की जा रही है. चांद मियां कहते हैं कि उनका बेटा आत्महत्या कर ही नहीं सकता. मां फातिमा का रो-रोकर बुरा हाल है.  

सिसायत भी गर्माने लगी है. कांग्रेस-सपा ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया. चुनाव के इस मौसम में यह मुद्दा गर्मा गया है. राजनीतिक दलों ने इसे हाथोंहाथ उठा लिया है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि इस मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी कासगंज जाने का कार्यक्रम बना रही हैं.  

आत्महत्या की कहानी बिल्कुल फर्जी है, क्योंकि वाशरूम में 2-2-1/2 फीट ऊंची प्लास्टिक की टूटी से लटक कर 5 फीट 6 इंच का व्यक्ति किसी भी तरह से फांसी नहीं लगा सकता. यह स्पष्ट तौर पर पुलिस हिरासत में टार्चर द्वारा की गई हत्या का मामला है, जिसे आत्महत्या का रूप देने का हास्यास्पद प्रयास किया गया है. 

कासगंज में पुलिस की हिरासत में 22 साल के अल्ताफ की मौत पर सियासत में उबाल आ गया है. इस बीच अल्ताफ के पिता का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह कह रहे हैं कि उनके बेटे ने डिप्रेसन में आकर फांसी लगा ली थी, उन्हें पुलिस से कोई शिकायत नहीं है,न मैं और न मेरा परिवार कोई कार्यवाही करना चाहता है. 

इस बयान के सामने आने के थोड़ी देर बाद ही अल्ताफ के पिता चांद मियां ने कहा कि मैं अनपढ़ हूं, मुझसे दवाब में अंगूठा लगवाया गया और बयान बुलवाया गया है. अल्ताफ के पिता और बुआ ने कहा कि मेरे बेटा खुदकुशी नहीं कर सकता, हत्या की गई है, अभी तक पुलिस भागी हुई लड़की और उसके परिजनो को नहीं पकड़ पाई है. 

दरअसल, पुलिस की थ्योरी पर इसलिए यकीन कर पाना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि   

1. 5 फुट 6 इंच का आदमी ढाई फीट के नल से कैसे लटक सकता है? 
2. अगर वह लटका भी होगा तो क्या उसे छटपटाहट नहीं हुई होगी?  
3. अगर छटपटाहट हुई होगी तो क्या नल ने उसका भार सह लिया होगा?   
4. ऐसा माना जाता है कि फंदे से लटके शख्स का पैर अगर जमीन से ऊपर नहीं है तो उसकी जान जा ही नहीं सकती. पैर जमीन पर रखकर कोई कैसे मर सकता है, यह पुलिस ही साबित कर सकती है.  
5. अल्ताफ की लंबाई तो नल से दोगुनी से ज्यादा थी तो क्या उसने जमीन पर लोट-लोटकर आत्महत्या की?  
6. उसने जैकेट से जुड़ी टोपी में लगी रस्सी के सहारे फंदा लगाया क्या वह डोरी इतनी मजबूत थी कि उसका भार सह ले?  
7. हवालात और शौचालय में कुछ कदमों की दूरी है तो क्या उसकी आवाज बाहर नहीं आई होगी? 
अल्ताफ के परिजनों का क्या है कहना? 

इस वारदात से गुस्साए लोगों का कहना है कि खुली छूट से यूपी पुलिस बेलगाम हो गई है. बदमाशों के पैरों में गोली मारते-मारते पुलिस कब बेगुनाहों को मारने लगी उसे पता ही नहीं चला. कमाल ये है कि तकनीक कहां से कहां चली गई लेकिन यूपी पुलिस थर्ड डिग्री का मोह छोड़ ही नहीं पा रही है. लोगों को गोरखपुर याद आ रहा है जहां पुलिस ने होटल में रुके कानपुर के व्यापारी को पीट-पीटकर मार डाला था. लखनऊ में एक शख्स की हत्या पुलिसवाले ने कर दी थी. 


 

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