आलोक कुमार
पटना.भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि जहरीली शराब से दलित-गरीबों की मौत राज्य में एक सामान्य घटना बन गई है. हमने सरकार को बारंबार कहा है कि राजनेता-प्रशासन व शराब माफिया गठजोड़ के सरंक्षण में यह जहरीली शराब बनाया जा रहा है, लेकिन सरकार ने इस सच से मुंह छुपाया है. और यही वजह है कि दीवाली के दिन गोपालगंज व चंपारण में अब तक लगभग 35 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें अधिकांश गरीब समुदाय के लोग हैं. इसलिए इसकी पूरी जवाबदेही सरकार की बनती है.
हमारी पार्टी नीतीश कुमार से मांग करती है कि मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार को तत्काल बर्खास्त किया जाए और जहरीली शराब से मरने वाले लोगों के परिजनों को 20 लाख का मुआवजा दिया जाए. इसके लिए सरकार अपनी नीतियों में बदलाव करे.
राज्य में शराबबंदी की मांग एक लोकप्रिय मांग थी. उसे लेकर जबरदस्त आंदोलन हुआ था. तब जाकर कानून बना, लेकिन वह काला कानून ही साबित हुआ. शराब का अवैध कारोबार बदस्तूर जारी है, जहरीली शराब से लोग मारे जा रहे हैं. इसी साल तकरीबन 100 लोग जहरीली शराब की भेंट चढ़ गए. एक तरफ मौतें हो रही हैं और दूसरी ओर गरीबों को ही सजा दी जा रही है. यह शराबबंदी गरीबों पर कहर बनकर टूटा है. हमने बार-बार कहा कि शराब की बुरी लत वालों की आदत छुड़ाने के लिए सामाजिक अभियान चलाया जाए, नशा मुक्ति केंद्र खोले जाएं, लेकिन सरकार ने इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किये.
सरकार को राजनेता-प्रशासन-शराब माफिया गठजोड़ पर कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन आज तक एक शराब माफिया पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. हमारी मांग है कि इस गठजोड़ की उच्चस्तरीय जांच सरकार करवाई जाए और असली अपराधियों पर नकेल कसी जाए.
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