पत्रकार गौतम नवलखा के साथ यह कैसा व्यवहार

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पत्रकार गौतम नवलखा के साथ यह कैसा व्यवहार

आलोक कुमार 
मुंबई.एल्गार परिषद की रैली 31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवार वाडा में आयोजित की गई थी. इस मौके पर कबीर कला मंच के बैनर तले नाटक, गीतों के आयोजन के साथ नक्सल साहित्य बांटा गया था. पुलिस का दावा है कि इसी के बाद भीमा-कोरेगांव में भारी हिंसा हुई थी.बाद में पुलिस ने कई कार्यकर्ताओं के घरों की तलाशी के दौरान एक डॉक्यूमेंट- ‘स्ट्रेटजी एंड टैक्टक्स ऑफ द इंडियन रिवॉल्यूशन’ जब्त किया. इसमें कथित तौर पर यह कहा गया है कि प्रतिबंध आतंकी संगठन सीपीआई (माओवादी) का मकसद- 'लोगों को एकजुट कर उसे आर्मी की तरह बनाने के साथ राजनीतिक शक्ति हासिल करना और युद्ध छेड़कर भारतीय आर्म्ड फोर्सेज को उखाड़ फेंक ‘पीपुल्स डेमोक्रेटिक स्टेट’स्थापित करना था.' 

बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार गौतम नवलखा को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में 28 अगस्त 2018 को गिरफ्तार किया गया था. शुरुआत में उन्हें घर में नजरबंद रखा गया और बाद में नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था. 

एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल के 'अंडा सेल' (उच्च सुरक्षा बैरक) में भेज दिया गया है.नवलखा की साथी सहबा हुसैन ने रविवार को यह बात कही और दावा किया कि इस वजह से 70 वर्षीय नवलखा की पहले से ही खराब तबीयत और बिगड़ गई है.एल्गार परिषद मामले के आरोपियों को जेल में छोटी और बुनियादी जरूरतों के लिए भी अपमान सहन करना पड़ता है. हुसैन ने कहा, अंडा सेल में वह जेल के हरियाली वाले क्षेत्र में सैर करने और ताजी हवा से वंचित है और उनका स्वास्थ्य और खराब हो गया है.इस समय उन्हें विशेष चिकित्सा देखभाल की बहुत अधिक आवश्यकता है. 

नवलखा को 12 अक्टूबर को नियमित बैरक से अंडा सर्कल में स्थानांतरित कर दिया गया था.आखिर नवलखा को उनके विचारों के लिए कब तक सताया जाएगा और अधिकारी उनकी विचारधारा को तोड़ने के लिए किस हद तक जाएंगे! 

सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार गौतम नवलखा को नवी मुंबई के तलोजा जेल के सामान्य कैदियों वाली बैरक से गंभीर,बड़े अपराध करने वाले और शातिर कैदियों को रखे जाने वाले अंडा सेल की एकदम तनहाइयों और एकाकी जीवन के लिए बाध्य करने वाली सेल में,जिसमें कैदी खुली हवा में सांस तक नहीं ले सकता, ऑक्सीजन और हरियाली के बिना रहने को बाध्य करने वाली सेल में स्थानांतरित कर दिया गया है. 

अब वे अपने 24 घंटे की दिनचर्या में केवल 8 घंटे ही 7.50 फीट × 72 फीट के एक बारामदे में, जो ऊँची-ऊँची सीमेंट की चाहरदिवारी से घिरा है,के सीमेंटेड फर्श पर ही टहल-घूम सकते हैं,उन्हें उनकी अपनी जीवन संगिनी व अपने वकीलों से फोन पर बात करने की सुविधा से भी वंचित कर दिया गया है.इन्हीं परिस्थितियों में 5 जुलाई 2021 को गरीबों, वंचितों, दलितों के मसीहा फादर स्टेन स्वामी को मौत के घाट उतार दिया गया था.फोटो साभार लाइव ला  

 

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