राजेंद्र कुमार
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर चुनाव लड़ने को लेकर राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी और अखिलेश यादव में तल्खी बढ़ गई है. अखिलेश यादव द्वारा रालोद के साथ सीटों के तालमेल को लेकर शुष्क रुख दिखा रहे हैं. जयंत चौधरी को अखिलेश यादव का यह व्यवहार खटक गया है. उन्हें लगने लगा है कि सपा मुखिया ने जिस तरह से अपने चाचा शिवपाल को झटका दिया है, वैसा ही आचरण वह रालोद के साथ भी कर सकते हैं. ऐसे में जयंत चौधरी ने कांग्रेस नेताओं के साथ मेलजोल बढ़ाते हुए यह संकेत दे दिया है कि अगर अखिलेश यादव ने रालोद के साथ सीटों के तालमेल को लेकर अपने व्यवहार में बदलाव नहीं किया तो रालोद अलग राह पर चल पड़ेगा. यानी रालोद यूपी के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर उतरेगा.
रालोद का सपा से नाता तोड़ कर कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से अखिलेश यादव का समूचा चुनावी प्लान ही गडबडा जाएगा. अखिलेश यादव की इमेज पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा. गौरतलब है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बीजेपी का मुकाबला करने के लिए छोटे दलों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने की रणनीति तैयार की थी. जिसके तहत राष्ट्रीय लोकदल, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) सहित अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ना तय हुआ था . इस फैसले के तहत ही बीते लोकसभा चुनाव में साथ रहे रालोद मुखिया जयंत चौधरी के साथ बीती 25 जुलाई को दिल्ली में अखिलेश यादव की वार्ता हुई थी. दोनों नेताओं के बीच हुई इस वार्ता में सीटों के तालमेल को लेकर जो फार्मूला तय हुआ था, उसके अनुसार अभी तक अखिलेश यादव ने रालोद को दी जीने वाले सीटों का ऐलान नहीं किया है. अमेरिका में पढ़े जयंत चौधरी को सपा मुखिया अखिलेश यादव का यह रुख पसंद नहीं आया. इस दौरान उन्होंने यह भी देखा अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को भी अब तक भ्रम में रखा हुआ हैं. सुभासपा नेता ओम प्रकाश राजभर को भी अखिलेश यादव ने सीटों के तालमेल को लेकर लटकाकर रखने का प्रयास किया तो राजभर ने बीजेपी नेताओं से मेलजोल बढ़ा लिया . इस पर अखिलेश यादव ने ओम प्रकाश राजभर से संपर्क कर उनके साथ सीटों के तालमेल को फाइनल कर दिया लेकिन रालोद को दी जाने वाली सीटों का ऐलान नहीं किया. जबकि अखिलेश यादव से सबसे पहले रालोद के साथ ही सीटों के तालमेल को लेकर वार्ता की थी, जिसके चलते ही यह कहा जा रहा था कि उक्त दोनों दलों के बीच गठबंधन तय है और रालोद तथा सपा मिलकर चुनाव लड़ेंगे. परन्तु अब अखिलेश यादव रालोद के साथ सीटों का तालमेल को लटका रहें हैं. अखिलेश का यह रवैया जयंत खल रहा है उन्हें लगता है कि अखिलेश यादव उन्हें कम सीटें देना चाहते हैं, इसलिए उनके साथ सीटों के तालमेल को फाइनल नहीं कर रहे हैं.
सपा तथा रालोद नेताओं के अनुसार जयंत चौधरी सपा से पश्चिमी यूपी में 35 से 40 सीटें चाहते हैं. पश्चिमी यूपी के किसान वोट बैंक में रालोद की पैठ के चलते ही जयंत ने इतनी सीटें सपा से चाही हैं. पहले तो अखिलेश को जयंत की इस मांग में कोई कमी नहीं लगी थी लेकिन अब अखिलेश रालोद को 20-25 सीटें ही देना चाहते हैं. जयंत को अखिलेश ही इस मंशा का पता चला तो उन्होंने प्रेशर पालिटिक्स के तहत कांग्रेस नेताओं से मेल मुलाक़ात शुरू कर दी. जयंत को लगता है कि किसान आंदोलन के चलते वह सपा या कांग्रेस जिसके भी साथ खड़े होंगे, उसका लाभ होगा. इसलिए उन्हें अपनी मांग पर टिके रहना होगा. जयंत चौधरी द्वारा लिए गए इस फैसले पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि पश्चिम यूपी में यादव वोटर ज्यादा नहीं हैं. यादव सपा का कोर वोटर माना जाता है. पश्चिमी यूपी की एक अन्य मजबूत जाति मुस्लिम है, जिसे सपा अपना समर्थक बताती है. लेकिन जाट पट्टी में मुस्लिम मतदाताओं रूझान अलग ही रहता है. मुस्लिम वोटर पश्चिम यूपी में पिछले तीन चुनाव से जाट से अलग होकर देख चुका है कि वो अपने दम पर बीजेपी को हराने में सक्षम नहीं है. आगामी चुनाव में मुस्लिमों का वोटिंग पैटर्न जाट समाज के मूड पर निर्भर करेगा. फिलहाल पश्चिमी यूपी में मुस्लिम समाज जाट के साथ है. इसके चलते ही हाल में पश्चिम यूपी के तमाम मुस्लिम नेताओं ने भी आरएलडी का दामन थामा है. पश्चिम यूपी में रालोद के पक्ष में ऐसे माहौल को देखकर जयंत को लगता है कि सूबे की राजनीति में कांग्रेस हो या सपा किसानों के वोट पाने के लिए उसे रालोद को साथ लेना ही होगा. अपनी इसी सोच के तहत जयंत चौधरी ने अखिलेश यादव को जल्द से जल्द सीटों के तालमेल को फाइनल करने संकेत दे दिया है. अब यदि इस मामले में अखिलेश यादव ने जल्द से जल्द फैसला नहीं लिया तो जयंत चौधरी भी कांग्रेस के साथ खड़े हुए दिखाई देंगे.
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