आलोक कुमार
छपरा.छपरा जिले के परसा प्रखंड में है सगुनी पंचायत.इस पंचायत की सरपंच हैं बिंदु देवी.सरपंच के पति मणिलाल हैं जो पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता हैं.जाहिर सी बात है कि दोनों दम्पति कानून के जानकार होंगे ही.दोनों कानून के जानकारों को चकमा देकर परसा थाने की पुलिस ने सरपंच बिंदु देवी को फर्जी मुकदमा दर्ज करके जेल भेजने की सनसनी घटना सामने आयी है.इसके कारण पंचायत के लोग गुस्से से लाल हो गये हैं.मामले की समीक्षा कर बिंदु देवी को बेशर्त रिहा करने और दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की मांग उठने लगी है.
इस तरह की कार्रवाई बिहार पुलिस के घोर जनविरोधी होने का प्रमाण है, और तो और यह पुलिस की कार्यशैली पर लगा धब्बा लगाने वाले कृत्य है.बिंदु देवी जी व मणिलाल जी बिहार के सामाजिक कार्य करने वाले आदर्श दम्पति है.यह कहा जा रहा है कि इस समय सभी न्याय पसंद समाज को इनके साथ खड़ा होकर पुलिस के निरंकुश राज के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए.इस मामले में NAPM बिहार की तरफ से मुख्यमंत्री को पत्र भेजा गया है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास प्रेषित पत्र में व्यापक रूप से चर्चा की गयी है.बताया गया कि सारण (छपरा) जिले के परसा प्रखण्ड के आदर्श पंचायत सगुनी की आदर्श सरपंच, प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता बिंदु देवी को परसा थाने की पुलिस, 24 अक्टूबर की देर शाम अंधेरे में गिरफ्तार कर, बाद में फर्जी मुकदमा दर्ज करते हुए, जेल भेज दिया है.सगुनी की सरपंच, बिंदु देवी को बिना शर्त रिहा कराने, दोषी पुलिस वालों पर तत्काल कार्रवाई करने की मांग की गयी है.
इस मामले की सत्यता यह है कि बिंदु जी के दो पटीदारों (देयाद) के बीच उसी दिन आपसी झगड़ा दिन के 11 बजे लगभग हो रहा था और मारपीट होने लगी जिसे देखकर बिंदु जी उसमें बीच -बचाव करते हुए मारपीट को छुड़ाने लगीं.जिसके बाद दोषी पक्ष को लगा कि यह सही न्याय दिलाने में मदद करेंगी उसी कारण से इनका नाम भी उस मामले में लाने की साजिस शुरू कर दिया.इनके अच्छे कार्यो से भयभीत , भ्रष्ट, राजनैतिक विरोधी भी एकजुट होकर इसको फंसाने में लग गए, बिंदु जी को इसका अंदेशा हुआ तो इसके बाद तत्काल थाना प्रभारी को सूचना दीं, फिर लिखित आवेदन भी दीं.
मारपीट में जो पक्ष गलत किया है वही पक्ष झूठा मुकदमें दर्ज कराने में उनका नाम भी लाने की कोशिश कर रहा है.इस मामले को पुलिस आकर स्थानीय सभी लोगों से बात कर पता करते हुए कोई निर्णय लें.इसके बाद शाम में अंधेरा होने पर थाने की पुलिस आयी और मारपीट करने वालों दोनों पक्षों को पकड़ने के बजाय, बिना किसी से पूछ-ताछ किए पूर्वाग्रह एवम कपट पूर्वक कार्रवाई करते हुए बिंदु जी को अपशब्द बोली, उनकी बांह मरोड़कर जबरदस्ती दुर्व्यहार करते हुए जीप में बैठा कर थाने ले गयी.
जब बिंदु जी उनके साथ हुए दुर्व्यवहार का कारण पूछते हुए बिना किसी वारंट का रात के अँधेरे में एक महिला सम्मानित सरपंच के साथ गैरकानूनी तरीके से थाने ले जाने की घटना पर प्रतिवाद की और उनके पति पुलिस अधीक्षक सारण सहित वरिष्ठ पदाधिकारियों को सूचित किए तो पहले थाना प्रभारी बोले की उनको छोड़ रहे है फिर पुलिस अपने को फंसता देख, उनकी गिरफ्तारी के घंटो बाद अपने गैरकानूनी, महिला विरोधी कार्रवाई पर पर्दा डालने के लिए इनका नाम भी एफआईआर में शामिल कर दी.इतना ही नही, इस मामले में इनके पति मणिलाल जी सहित पूरे परिवार के सभी सदस्यों पर जिसमें अनेक लोग दिल्ली रहते है उनका नाम भी प्राथमिकी में फर्जी तरीके से शामिल कर दिया.25 अक्टूबर को दोपहर के बाद बिंदु जी को सीजेएम छपरा के सामने पेश किया गया और उन्हें छपरा मण्डल कारा में शाम में भेज दिया गया है.
बिंदु जी बिहार में उन महिला सरपंच का दायित्व निभाने वाली चुनिन्दा महिलाओं में एक है जो आदर्श ग्राम कचहरी की अवधारणा को धरातल पर उतारने में पारदर्शिता व जबावदेही तरीके से आदर्श स्थापित किया है. पटना विश्विद्यालय से अर्थशास्त्र व ग्रामीण विकास विषय में स्नातकोतर की पढ़ाई करने के बाद गांवों में लोगों की सेवा करने के लिए बिना लाभ वाला पद सरपंच पद पर कार्य करना शुरू किया. साथ ही राज्य के महिला आंदोलनों में व अन्य सामाजिक कार्य में उनकी भगीदारी महत्वपूर्ण रहती थी.न्याय के साथ विकास एवं महिला सशक्तिकरण के नारे की वे सशक्त उदाहरण बन गयीं थी. उनका उत्कृष्ट कार्य के लिए तो उन्हें पुरस्कार मिलना चाहिए परन्तु दुर्भाग्य है कि उन्हें फर्जी मुकदमें कर पुलिस जेल भेज दी. उनके पति मणिलाल जी भी चर्चित सामाजिक कार्यरता व जन आंदोलनों का का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) के वरिष्ठ साथी है अनेक आंदोलनों से जुड़े है वे पटना उच्च न्यायालय के ऐसे अधिवक्ता है जो गरीब गुरुबा के केस बिना फीस के भी लड़ते रहते है.
छपरा पुलिस की मनमानी व गैर कानूनी कार्रवाई राज्य के पुलिस के माथे पर कलंक लगा दिया है। यह भ्रष्ट लोगों के प्रभाव में अच्छे कार्य करने वाले लोगों के दिल में डर फ़ैलाने वाली घटना है इनकी जितनी भी निंदा की जाए कम है.
जन आंदोलनों का का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) आपसे मांग करता है कि
1) बिंदु देवी सरपंच पर फर्जी तरीके से किए गये मुकदमें की समीक्षा करते हुए तत्काल बिना रिहा कराया जाए.
2) उनके साथ दुर्ब्यव्हार करने वाली रूपम कुमारी और थाना प्रभारी अमरेन्द्र कुमार को तत्काल निलम्बित किया जाए.
3) पुलिस अधीक्षक सारण को जब सभी सूचना मिली उसके बाद बिंदु देवी को छोड़ने के बजाए उनके ऊपर साजिशन मुकदमा दर्ज कराया गया यह उनके पद के प्रतिकुल आचरण है इसलिए इस मामले की जाँच कराकर वरीय पुलिस पदाधिकारियों पर कारवाई की जाए.
जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) के उदय, शाहिद कमाल, आशीष रंजन, शांति रमन, किरण देव यादव, कामायनी स्वामी, काशिफ युनूस, विनोद रंजन, संदीप यादव, अरविंद, नीरज, विद्याकर, रजनीश,विनोद कुमार, जितेंद्र पासवान, शिवनारायण, व महेंद्र यादव बिंदु देवी को न्याय दिलवाने का प्रयास कर रहे हैं.
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