नहीं रहे गांधीवादी चिंतक सुब्बाराव

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नहीं रहे गांधीवादी चिंतक सुब्बाराव

आलोक कुमार  
जयपुर. गांधीवादी चिंतक पद्मश्री अवार्ड' से सम्मानित डॉ. एसएन सुब्बाराव का आज सुबह राजधानी के सवाई मानसिंह अस्पताल में निधन हो गया.उनको देखने कल मंगलवार को धरियावद और वल्लभनगर में जनसभा को संबोधित करने के बाद सीएम अशोक गहलोत जब जयपुर पहुंचे तो सीधे स्टेट हैंगर से सवाई मानसिंह अस्पताल सुब्बाराव के स्वास्थ्य की जानकारी लेने पहुंचे. गांधीवादी विचारक और राष्ट्रीय सेवा योजना के संस्थापक सदस्य डॉ एसएन सुब्बाराव की तबीयत बीते कुछ दिनों से खराब चल रही थी.पर दिनों-दिन उनकी तबीयत लगातार बिगड़ गई थी. 

पद्मश्री अवार्ड' से सम्मानित डॉ. एसएन सुब्बाराव का 92 की उम्र में निधन हो गया. सुब्बाराव गांधीवादी विचारक थे, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत  उन्हें अपना आदर्श मानते थे. पिछले चार दिनों में तीन बार सीएम उपचाराधीन सुब्बाराव से मिलने गये थे. उनका जन्म कर्नाटक के बेंगलुरु में 7 फरवरी 1929 को हुआ था. 

स्कूल में पढ़ते समय महात्मा गांधी की शिक्षा से सुब्बाराव प्रेरित थे. 9 अगस्त 1942 को मात्र 13 साल की उम्र में आजादी आंदोलन से जुड़ गए, ब्रिटिश पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने पर उन्होंने दीवार पर लिखा था 'QUIT INDIA'. तभी से सुब्बाराव स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय हो गए. छात्र जीवन के दौरान सुब्बाराव ने स्टूडेंट कांग्रेस और राष्ट्र सेवा दल के कार्यक्रमों में लिया भाग था.  

बताते चले कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के प्रयासों से चंबल के खतरनाक डाकुओं का समर्पण गांधीवादी नेता डॉ. एसएन सुब्बाराव ने कराया था.इन दस्युओं की संख्या 556 थी, जिन पर दो करोड़ रुपये का इनाम घोषित था. 

गौरतलब है कि 92 वर्षीय सुब्बाराव हृदय संबंधी बीमारी के कारण पिछले कुछ दिनों से एसएमएस अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे. दरअसल, सुब्बाराव और गहलोत का नाता बेहद ख़ास और बहुत पुराना है. गहलोत उन्हें 'भाईजी' कहकर पुकारते थे. मुख्यमंत्री ये भी बताते हैं कि जब वे महज़ 12 साल के थे तब से ही वे सुब्बाराव के शिविर में भाग लेने जाया करते थे.यही वजह है कि सत्ता में आने के बाद भी गहलोत ने सुब्बाराव से जयपुर में ही रहकर प्रदेश के युवाओं को जागरूक करने की मुहिम चलाने का आग्रह किया था. 
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सुब्बाराव के स्वास्थ्य की जानकारी लेते रहते थे. 

अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि हम सभी के प्रेरणा स्रोत चम्बल घाटी मे 70 की दशक मे सैकड़ो बागियों को आत्मसमर्पीत कराने वाले और भारतीय एकता अखण्डता के लिये अनवरत कार्य करने वाले परम पूज्य डा . एस एन सुब्बाराव भाई जी का देहावसान देश के लिये बड़ी क्षति और हमारे व्याक्तिगत नुकसान है, जिनके सानिध्य और मार्गदर्शन मे हमे काम करने का मौका मिला.कल 28 अक्टूबर की शाम 4 बजे अंतिम संस्कार जौरा गाँधी आश्रम में होगा. 
 

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