लालू यादव के कुंबे में दरार पड़ गई ?

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लालू यादव के कुंबे में दरार पड़ गई ?

फज़ल इमाम मल्लिक 
लालू यादव के कुंबे में दरार पड़ गई है और यह दरार हर रोज चौड़ी होती जा रही है. तेजप्रताप यादव बनाम तेजस्वी यादव की लड़ाई अब घर से निकल कर सड़कों पर आ गई है. तेजप्रताप अब तेजस्वी पर भी हमलावर हैं. बिहार में विधानसभा उपचुनाव के दौरान राजद की रार व तेजप्रताप की तल्खी खुल कर सामने आई. तेजप्रताप ने पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी पर भी आंखें तरेरी और उन रमा सिंह पर भी जिनके लिए कभी तेजप्रताप ने रघुवंश सिंह को जलील किया था. शिवानंद तिवारी और रमा सिंह दोनों ने ही कहा था कि तेजप्रताप अब राजद का हिस्सा नहीं हैं. तेजप्रताप ने रमा सिंह की बात पर तल्ख टिप्पणी की थी और कहा था कि पार्टी उनके बाबुजी की नहीं मेरे बाबुजी की है. शिवानंद तिवारी पर भी तेजस्वी ने हमला किया था और कहा था कि लालू यादव उनकी वजह से ही जेल में हैं. तेजप्रताप ने युवाओं और छात्रों का एक संगठन बनाया है. शिवानंद तिवारी वरिष्ठ नेता हैं, रमा सिंह को भले पता न हो लेकिन उन्हें तो यह बात पता होनी चाहिए कि पार्टी में रहते हुए भी कोई सामाजिक संगठन बना सकता है और तेजप्रताप ने अगर संगठन बनाया है तो इससे उनकी राजद से सदस्यता खत्म हो गई. पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए उन पर कार्रवाई हो सकती है लेकिन शिवानंद और रमा सिंह के बयानों के बावजूद राजद का राष्ट्रीय और प्रदेश नेतृत्व ने तेजप्रताप के भविष्य को लेकर चुप्पी साध रखी है. हालांकि तेजप्रताप ने जिस तरीके से आक्रामक रवैया अपना रखा है और तेजस्वी पर भी सवाल उठा रहे हैं उससे उनके खिलाफ दल विरोधी गतिविधियों के लिए कार्रवाई हो सकती है. लेकिन पार्टी चुप है. इसकी बेहतर वजह तो लालू यादव और तेजस्वी यादव ही बता सकते हैं लेकिन सियासी तौर पर यह माना जा रहा है कि लालू यादव ही तेजप्रताप का कवच बन कर खड़े हैं. दिलचस्प यह है कि जिस कांग्रेस को राजद ने उपचुनाव में हैसियत बताने की कोशिश की, तेजप्रताप उसी कांग्रेस के उम्मीदवार का प्रचार उपचुनाव में करेंगे. जाहिर है कि इससे राजद की हैसियत भी सड़क पर आ गई है. 

तेजप्रताप और तेजस्वी में तनातनी यूं तो उपचुनाव से पहले ही सामने आ गए थे लेकिन उपचुनाव ने इस तल्खी को और गहरा किया. तेजप्रताप अब अपने को किंगमेकर मानने लगे हैं और इसकी वजह भी है, राजद की सियासत अब उनके आसपास भी केंद्रित होने लगी है. तेजप्रताप ने यह कह कर भी सियासी तूफान खड़ा कर दिया था कि लालू यादव बिहार आना चाहते हैं लेकिन उन्हें दिल्ली में बंधक बना कर रखा हुआ है. उपचुनाव में स्टार प्रचारकों की सूची में से अपना, अपनी मां राबड़ी देवी और बहन मीसा भारती का नाम गायब होने पर भी उन्होंने तेजस्वी पर तंज कसा था. जाहिर है कि तेजप्रताप अब आरपार की लड़ाई के मूड में हैं. तेजस्वी भी इस बात को समझ रहे हैं लेकिन वे तेजप्रताप पर कार्रवाई से बच रहे हैं. तेजप्रताप को लेकर कई तरह के किस्से सियासी गलियारे में प्रचलित है. उनके सनकी होने की बात भी कई बार विपक्ष ने की है और यह भी कई बार इस बात का जिक्र भी किया गया कि तेजप्रताप से लूला डरते हैं, उन्हें बाथरूम में बंद कर देते हैं. तेजप्रताप पर 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त अंकुश लगाया जाता तो शायद कहानी इतनी आगे नहीं बढ़ती. उन्होंने पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ अपने उम्मीदवार खड़े किए लेकिन पार्टी उन पर कार्रवाई से बचती रही. राजद के कई बड़े नेताओं का कहना है कि कार्रवाई तभी की जाती लेकिन वे लालू के बेटे हैं इसलिए उन पर कार्रवाई नहीं की गई, दूसरा कोई होता तो अब तक पार्टी से बाहर का रास्ता उसे दिखा दिया जाता. लेकिन तेजप्रताप के साथ ऐसा नहीं हुआ और नतीजा यह है कि पानी अब सर से ऊपर पहुंच गया है लेकिन अभी भी पार्टी ने आधिकारिक तौर पर उन पर कोई कार्रवाई नहीं की है. पार्टी की गतिविधियों से उन्हें दूर रखने की कोशिश जरूर हो रही है लेकिन इससे तेजप्रताप का नुकसान कम, फायदा ज्यादा हो रहा है. खबरों में वे बने हुए हैं और उपचुनाव में उनकी भूमिका कांग्रेस के लिए महत्त्वपूर्ण हो गई है. कांग्रेस और राजद में टकराव सतह पर आ गया है. कांग्रेस ने तो तेजस्वी पर यहां तक आरोप लगाया है कि वे भाजपा के साथ सरकार बनाने की जुगत में हैं. जाहिर है कि राजद को भीतरी और बाहरी दोनों कलह से जूझना पड़ रहा है. तेजप्रताप का तेज राजद को कहां ले जाएगा, कहा नहीं जा सकता लेकिन लालू के कुंबे में बिखराव की बुनियाद तो पड़ ही गई है. तलवारें दोनों तरफ से म्यान से बाहर हैं. उपचुनाव के नतीजे राजद की भविष्य की सियासत को भी तय करेंगे और तेजप्रताप की भी. 
 

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