डा रवि यादव
'लेस रांग इन ए पार्टी आफ रांग पीपल ' की छवि रखने वाले केंद्रीय रक्षा मंत्री आजकल शाब्दिक बमबारी में मुबतिला है . “हू कुड हेव प्रिवेंट पार्टिशन” के विमोचन के अवसर पर बोलते हुए आदरणीय रक्षा मंत्री जी ने दावा किया कि विनायक दामोदर सावरकर ने अंग्रेज़ सरकार से महात्मा गांधी के कहने पर माफ़ी माँगी . गांधी और सावरकर के बीच भतभेद थे किंतु मन भेद नहीं थे .
एक ख़राब घड़ी भी चौबीस घंटे में दो बार सही समय बताती है फिर राजनाथ जी तो ग़लत लोगों की पार्टी में कम ग़लत शख़्सियत है तो उन्होंने अर्धसत्य ही सही इस विवाद का समाधान कर दिया कि सावरकर ने अंग्रेज़ सरकार से माफ़ी माँगी थी . संघ / भाजपा से जुड़े लोग इस सत्य को हमेशा झुठलाते रहे है . भारतीयों को ग़ुलाम बनाकर रखने वाली विदेशी हुकूमत के वाइसराय का “आज्ञाकारी सेवक “ भारतीय चेतना का , भारतीय स्वाभिमान का और लोकतांत्रिक भारत का अनुकरणीय किरदार नहीं हो सकता किन्तुयह बात भी समझ से परे है कि जो समाज एकलव्य के दलित होने के कारण दीक्षा देने / गुरु बनने से इंकार कर भगा देने और फिर बग़ैर दीक्षा दिए गुरुदक्षिणा में अँगूठा माँग लेने वाले द्रोणाचार्य को महान बना सकता है वह सावरकर के वीर होने पर इतना उलझा हुआ क्यों है ?
पूरा सोशल मीडिया श्री सिंह के उक्त वक्तव्य के विश्लेषण में व्यस्त है दो दिन बाद रक्षा मंत्री जी ने एक कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की तारीफ़ कर दी तो मीडिया ख़ासकर संघ विरोधियों की बाँछे खिल गई वे इसे राजनाथ सिंह के भाजपा में घुटन और प्रतिक्रिया में प्रतिवाद से जोड़ कर देख रहे है , किसी को उनमें राजनेता बचा होना दिखाई देने लगा तो किसी को अटल विरासत का सच बोलने की क्षमता वाला राजनेता. सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा लेकिन क्या उक्त वक्तव्य को राजनाथ सिंह के सच स्वीकारने या संघ से टकराने या भाजपा नेतृत्व से असहमत होने और उसे असहज करने के रूप में देखा जा सकता है ?
क्यों हमें इस महत्वहीन मुद्दे को इतना महत्व देना चाहिए ?
दरअसल हर उस मौक़े पर जब सरकार किसी विशेष मुद्दे पर घिर ज़ाती है तो संघ भाजपा के लोग कुछ नान – इशू को इशू बनाते रहे है . पिछले सात साल से यह प्रयोग पूरी सफलता के साथ आज़माया जाता रहा है .
लखीमपुर नरसंहार कांड पर पूरा देश केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्र उर्फ़ टेनी के बेटे द्वारा किसानों को गाड़ी से कुचलने की घटना पर टेनी के त्यागपत्र या बर्ख़ास्तगी की उम्मीद पूरी न होते देख ग़ुस्से में था/है तो राजनाथ जी ने बड़ी ख़ूबसूरती से पूरे मुद्दे को डाइवर्ट कर दिया .
अच्छा होता माननीय राजनाथ जी , जननाथ की भूमिका में आते और बताते कि सिर्फ़ टेनी हटाने से काम नहीं चलेगा बीमारी जड़ों में है और इसलिए जड़ों को ही काटना पढ़ेगा अथवा वे देशवासियों की आर्थिक , सामाजिक , स्वास्थ्य, शिक्षा की बदहाली का ज़िक्र करते भले ही वे बताते कि ये बदहाली की सलाह महात्मा गांधी ने ही दी थी .
मेरा भारत भ्रष्ट हो चुका है 2019में 180 देशो में 80 वे नंबर पर था ,अब 86 वे पायदान पर है ,भारत माता वालविवाह का दंश झेल रही है बांग्लादेश ,नाईजीरिया , इथियोपिया और ब्राज़ील से भी बदतर हालात हो चुके है 2020 में बीमारी को और बड़ा दिया है .मानव विकास सूचकांक में 189 देशों में 132 वे पायदान पर ,प्रेस की आज़ादी के मामले में 180 देशों में 142 वे नंबर पर , प्रसन्नता सूचकांक में 144 देशो में 142 वे नंबर पर ,मानव पूँजी सूचकांक में खिसक कर 116 वे स्थान पर, विश्व आर्थिक स्वतन्त्रता सूचकांक में 2019 में 79 वी रैंक से लम्बी फिसलन के साथ 2020 में 105 वे नम्बर पर , जेंडर गैप इंडेक्स में हम 2019 के 108 से फिसलकर 2020 में 112 पर पहुँच गए है वे बताते कि इसकी सलाह भी महात्मा गांधी ने ही दी थी .
विश्व भुखमरी सूचकाँक में 116 देशों में पाकिस्तान सहित 100 अन्य देशों को पछाड़ कर हम 101 वे स्थान पर पहुँच गए है हिंदू धर्म में 101 बहुत शुभ अंक है प्रभु श्री राम की कृपा और मजबूत नेतृत्व की मेहनत से जल्दी 108 वे पायदान पर होंगे जो माला के मनकों के बराबर और परिक्रमा के लिए प्रयोग अंक है अर्थात माला जपने और परिक्रमा का फल देते हुए कुछ को सीधे मोक्ष देने ने का काम करेगा .
वे यह भी बताते कि बेरोज़गारी 45 साल के उच्चतम स्तर पर और क्रेडिट ग्रोथ 58 साल के उच्चतम स्तर पर गांधी की सलाह पर ही पहुँचाई गई है, महिला सुरक्षा , दलित , अल्पसंख्यक उत्पीड़न सहित सभी महत्वपूर्ण सूचकांक भारतमाता की आँखो में आँसुओं की ओर ही इशारा कर रहे है तो इसकी सलाह महात्मा गांधी ने ही दी थी .
इसमें संदेह नहीं कि अभी तक आपकी छवि आपकी पार्टी में तुलनात्मक रूप से बेहतर व्यक्ति और नेता की रही है .लेकिन राफ़ेल पर नीबू मिर्ची टाँगकर एक रक्षा मंत्री और विज्ञान प्राध्यापक क्या संदेश देना चाहता है ? ग़ैर ज़िम्मेदार वक्तव्य दे कर आप ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने में कामयाब ज़रूर हो सकते है लेकिन आपके प्रति बचे हुए विश्वास को आघात भी ज़रूर पहुँचेगा .
आदरणीय राजनाथ जी , किसानों की आय दो गुना करने का वायदा कर सत्ता में आइ सरकार किसानों को जीप से कुचल रही है काश आप इस पर किसानों की तरफ़ से बोल पाते -
आया था मेरी क़ब्र पे पढ़ने वो फातिहा,
ईंटें चुरा के ले गया मेरे मज़ार की ..
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments