वेतन नहीं देने से खामियाजा कर्मी भुगतते हैं

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वेतन नहीं देने से खामियाजा कर्मी भुगतते हैं

आलोक कुमार 
पटना.बिहार सरकार के स्वास्थ्य राज्य कर्मी बेहाल हैं. इनको 3 माह से वेतन आदि नहीं मिल रहा है. साल भर के दशहरा पर्व में भी वेतन नहीं मिला. अब सारी निगाहें दीपावली पर जाकर टिकी है. शायद राज्य सरकार दीपावली पर वेतन मुहैया करा सके. यह हाल है पटना जिले के विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में कार्यरत राज्य स्वास्थ्यकर्मियों की. राज्य सरकार के द्वारा वेतनमद में आवंटन नहीं करने के कारण स्वास्थ्यकर्मियों को वेतन नहीं मिल रहा है. पटना सिविल सर्जन ऑफिस के लोगों का कहना है  कि आजकल में राशि आवंटित हो जाएगी,मगर  आवंटित राशि नहीं है. जिसके कारण राज्य स्वास्थ्य कर्मियों का त्यौहार  फीका फीका रह गया. 

वेतन की आस लगाए राज्य कर्मियों का कहना है कि राशि के अभाव में नियमित वेतन नहीं मिल रहा है.इनके बच्चों को स्कूल,काॅलेज,प्रशिक्षण आदि की फीस जमा नहीं हो पा रही है।आवासीय स्थल में रहने वाले बच्चों को खासा परेशानी है.किराया पर रहने वालों को मकान मालिक के द्वारा मकान खाली करने का धमकी मिल रहा है.किसी तरह से समझाकर मकान में रहा जा रहा है. जो बैंक से ऋण लेकर मकान आदि निर्माण किये हैं ऐसे लोग नियमित किस्त नहीं दे पा रहे हैं.प्रत्येक माह लाइन कटने की धमकी के साथ अल्प बिजली बिल भुगतान कर रहे हैं. पटना नगर निगम के द्वारा निर्धारित टैक्स नहीं दे पा रहे हैं. 

आंवटन नहीं होने के कारण वेतनादि नहीं मिलने से लोकल दुकानदारों से दाल-रोटी खाने के लिए समान उधार लिया जाता है. दुकानदार भी उधार नहीं देने पर अमादा है.दशहरा त्यौहार होने के बाद बहुसंख्यकों का  दीपावली और महापर्व छठ आने वाला है. उसके बाद अल्पसंख्यक ईसाई कर्मियों का क्रिसमस पर आने वाला है. इसके आलोक में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक लोग डर रहे हैं.सवाल उठा रहे हैं कि क्या त्यौहार सूखा सुखी ही रह जाएगा? 

आसन्न ठंड मौसम में गर्म कपड़े खरीदने से वंचित होना पड़ रहा है. पेट में अन्न नहीं है और अब तन पर कपड़ा भी नहीं मिल रहा है.बीमार पड़ने पर बेस्ट डाक्टरों से दिखाकर इलाज नहीं करा पा रहे है. केवल हाल बताकर फार्मेसी से दवा लेने को बाध्य हो रहे हैं. 

कहा जाता है कि इस समय सरकार के द्वारा यह व्यवस्था कर दी गई है कि उपभोक्ताओं से चार्ज पहले वसूल कर लिया जाए.ऐसा नहीं करने वालों को सेवाओं से वंचित कर दिया जाए.पहले यह काम कम्पनी वाले किया करते थे.अब उसी राह पर सरकार भी चलने लगी है. 

उल्लेखनीय है कि बच्चों को स्कूल,काॅलेज,प्रशिक्षण आदि की फीस समय पर नहीं देने से लेट फाइन देना पड़ता है.बैंक से ऋण लेकर मकान आदि निर्माण करने वालों को अधिक व्याज देना पड़ रहा है. अल्प बिजली बिल भुगतान करने पर अधिक चार्ज देना पड़ रहा है. इससे साफ जाहिर हो रहा है कि वेतनभोगी कर्मियों को वेतन नहीं देने पर अधिक राशि व्यय करना पड़ेगा. वहीं राज्यकर्मियों को अतिरिक्त व्यय करना पड़ रहा है. इसके विरूद्ध सरकार के द्वारा किसी तरह की भरपाई नहीं की जाती है. 

आशा आंदोलन मुंगेर की आक्रोशित आशाएं।कोरोना ड्यूटी लगातार ली जा रही है लेकिन कोई पारिश्रमिक भुगतान नही!यही स्थिति पूरे बिहार की है।पुराने बकाया और प्रोत्साहन राशि का भी भुगतान नही हो रहा है।बढ़ती मंहगाई ने उनकी गृहस्थी को चौपट कर दिया है। मंगलपांडे जी , नीतीश बाबू  यदि कोरोना काम का पैसा नहीं देंगे तो पूरे बिहार में आशा कार्य बहिष्कार करेगीं। 
 

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