समाजवादी विजय यात्रा बारह से

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समाजवादी विजय यात्रा बारह से

लखनऊ . अन्याय और अत्याचार के विरूद्ध जनता की आवाज बनकर समाजवादी ही हमेशा संघर्ष के अग्रिम मोर्चे के सेनानी रहे हैं. आपातकाल के काले दिनों की छाया में लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है‘ की हुंकार भरी थी और लोकतंत्र की पुनः प्रतिष्ठा की थी. उत्तर प्रदेश में जब-जब सत्ता ने जनता पर जुल्म और सितम ढाया, तब-तब श्री अखिलेश यादव से ही न्याय का भरोसा हुआ है. 
   समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री  अखिलेश यादव को आज फिर प्रदेश की त्रस्त-पस्त जनता पुकार रही है. आर.एस.एस. संचालित भाजपा सरकार जबसे प्रदेश में सत्तारूढ़ हुई है जनता की तकलीफें बढ़ती गई हैं. महंगाई, भ्रष्टाचार से लोगों का जीना दूभर हो गया है. किसान, नौजवान, श्रमिक, व्यापारी समाज के सभी वर्ग पीड़ित है. किसान महीनों से आंदोलित हैं. उनकी खेती छीनकर चंद पूंजीघरानों को देने की साजिशें हो रही हैं. 
   भाजपा ऐसी पार्टी है जिसनें अपने चुनावी ‘संकल्पपत्र‘ में जो वादे किए थे उन्हें भी भुला दिया और झूठ तथा फरेब के नए सांचे गढ़ लिए. प्रदेश का विकास थम गया. समाजवादी सरकार के समय को छोड़ एक भी जनहित की योजना जमीन पर नहीं उतरी. कानून व्यवस्था ध्वस्त. महिलाएं तथा बच्चियां तक अपमानित एवं दुष्कर्म की सबसे ज्यादा शिकार हुई हैं. 
   युवा बेरोजगारी से हताश-निराश हैं. कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवाएं ऐसा चरमराई कि लोग तड़प-तड़प कर मरने लगे. लाषों की होली जलने लगी. पवित्र गंगा में लाशें उतराने लगी. विभिन्न प्रदेशों से बच्चों, बूढ़े, जवान, महिलाएं, भूखें-प्यासे, पैदल या किसी अपने साधन से आने लगे जिनकी तकनीफों के प्रति भाजपा सरकार उदासीन बनी रही. 
   जनता कराहती रही, भाजपा सरकार संवेदनशून्य बनी रही. ऐसे में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर ही तमाम कार्यकर्ता राहत कार्य में जुटे रहे. प्रश्न है कि ऐसी अमानवीय सरकार को कब तक जनता सहन करेगी. हमारे मार्गदर्शक डा राममनोहर लोहिया ने कहा था-जिंदा कौमे पांच साल इंतजार नहीं करती. तो अब इसी हुंकार के साथ श्री अखिलेश यादव 12 अक्टूबर 2021 से ‘समाजवादी विजय यात्रा‘ पर निकलने जा रहे हैं. 
   भाजपा राज की दमनकारी, स्वेच्छाचारी और भ्रष्ट नीतियों के खिलाफ जनजागरण और सत्ता परिवर्तन की अलख जगाने के लिए श्री अखिलेश यादव की यह यात्रा समाज को बांटने और नफरत फैलाने वालों को चुनौती देते हुए उनके सफाये का संकेतक बनेगी. 12 अक्टूबर 2021 की इस यात्रा से लोकतंत्र की गरिमा की पुनः प्रतिष्ठा का संकल्प जन-जन के बीच जाएगा. 
   यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि जब-जब श्री अखिलेश यादव क्रांति यात्राओं पर निकले है, प्रदेश की राजनीति में नए परिवर्तन की लहर आई है. कुशासन का अंत उनके शंखनाद से हुआ है. गरीबों, वंचितो, अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और दलितों के बीच विश्वास जगाने में यह यात्रा निश्चय ही मील का पत्थर साबित होगी. 
   लोग भूले नहीं होंगे कि समाजवादी पार्टी के युवा प्रदेश अध्यक्ष की 31 जुलाई 2001 से श्री अखिलेश यादव की पहली क्रांतिरथ यात्रा, 12 सितम्बर 2011 को श्री अखिलेश यादव दूसरी समाजवादी क्रांति रथ यात्रा पर निकले थे. इन यात्राओं से प्रदेश की राजनीति में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए थे. जुल्मी सत्ताएं उखड़ गईं और राजनीति में शुचिता तथा पारदर्शिता को स्थान मिला. श्री अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल (सन् 2012 से 2017) में प्रदेश में विकास की गंगा बही. लोगों की जिंदगी में बदलाव आया. अब फिर जनता से नई उम्मीदों के साथ विजय यात्रा की सफलता में सहभागिता के लिए आह्वान है.

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