मुजफ्फरपुर.उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी की घटना स्वतंत्र भारत के इतिहास की सबसे दुःखद व बर्बर घटनाओं में से एक है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि शांतिपूर्ण सत्याग्रह कर रहे अन्नदाताओं को स्वतंत्र भारत में अपने स्वर को मुखर करने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है. सत्ता अन्नदाताओं के सत्याग्रह को निर्ममता से कुचल रही है.पहले किसानों पर लाठीचार्ज व वाटर कैनन का प्रयोग किया गया और अब किसानों को रौंदने की बर्बरता की गई.
इसके विरोध में बिहार में व्यापक आक्रोश है.आक्रोश को प्रदर्शित करने मुजफ्फरपुर में भाकपा-माले, किसान महासभा, इंकलाबी नौजवान सभा व इंसाफ मंच के द्वारा संयुक्त रूप से मुजफ्फरपुर शहर में प्रतिवाद मार्च निकाला गया.यूपी के लखीमपुर खीरी में आंदोलनकारी किसानों की बर्बर हत्या के खिलाफ राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद दिवस के मनाया गया.
मार्च मुखर्जी सेमिनरी रोड स्थित माले जिला कार्यालय से निकला जो विभिन्न रास्तों से गुजरते हुए हरिसभा चौक पहुंचा जहां पीएम मोदी का पुतला दहन किया गया.इस दौरान किसानों की हत्या के लिए जिम्मेवार केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने,उनके विरुद्ध हिंसा उकसाने और सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने का मुकदमा दर्ज करने, अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार करने, पूरी घटना की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी से जांच कराने, शहीद परिवारों को 1 करोड़ रुपये और नौकरी के साथ घायलों को 25-25 लाख का मुआवजा देने की मांग की गई.
मार्च में माले जिला सचिव कृष्णमोहन, इंकलाबी नौजवान सभा के राष्ट्रीय पार्षद आफताब आलम, खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के जिला अध्यक्ष रामनंदन पासवान, किसान महासभा के होरिल राय, विन्देश्वर साह, इंसाफ मंच के राज्य उपाध्यक्ष जफर आजम, राज्य प्रवक्ता असलम रहमानी, रेयाज खान, ऐपवा नेत्री रानी प्रसाद, माले जिला कमेटी सदस्य रामबालक सहनी, विमलेश मिश्र, विजय गुप्ता, कार्यालय सचिव संतलाल पासवान, नौजवान सभा के आबीद हुसैन, अभिनंदन सहित अन्य छात्र-नौजवान शामिल थे.
प्रतिवाद मार्च को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी-योगी सरकार और सरकार के मंत्री-संतरी किसान विरोधी कृषि कानूनों को रद्द करने के बदले आंदोलनकारी किसानों की हत्या कराने की साजिश करने में जुटे हैं.लखीमपुर खीरी की बर्बर घटनाओं से यह साफ हो गया है कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों द्वारा अपने पद का दुरूपयोग कर शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे अन्नदाताओं के विरुद्ध सुनियोजित हिंसा की साजिश रची जा रही है. यह कानून, संविधान व देश के प्रति अपराध है.लोकतंत्र की हत्या है. देश की जनता मोदी-योगी सरकार से जवाब तलब करेगी और कभी माफ नहीं करेगी.
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