आलोक कुमार
पटना.संयुक्त किसान मोर्चा व ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर आज 27 सितम्बर को भारत बंद है.बिहार के किसान-मजदूर बंद को सफल ही नहीं ऐतिहासिक बनाने के मूड में है.महागठबंधन जनगणना,बाढ़, रोजगार,बेकारी के मुद्दे को भी उठाएंगे.
संयुक्त किसान मोर्चा व ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर आहूत 27 सितम्बर के भारत बंद को ऐतिहासिक बनाने व मोदी सरकार पर दवाब बनाने के लिए आज माले विधायक दल कार्यालय में पार्टी, किसान महासभा और ऐक्टू नेताओं की बैठक हुई. बैठक में माले राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य अमर व धीरेन्द्र झा, वरिष्ठ किसान नेता के डी यादव, राजेन्द्र पटेल, उमेश सिंह, ऐक्टू नेता रणविजय कुमार, आशा कार्यकर्ताओं की नेता शशि यादव, रसोइया कार्यकर्ताओं की नेता सरोज चौबे शामिल हुए.
बैठक में भाकपा-माले पटना महानगर, आइसा और इनौस के कार्यकर्ता भी शामिल हुए. बैठक में आगामी 27 सितम्बर के बन्द को सफल बनाने के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत हुई.
माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि भारत बंद के समर्थन में बिहार की लेफ्ट पार्टियां मजबूती से उतरेंगीं और राजधानी पटना सहित सभी जिला मुख्यालयों पर बन्द को सफल बनाया जाएगा. बन्द के प्रमुख मुद्दों के साथ-साथ बन्द के दौरान स्थानीय मुद्दे भी उठाए जाएंगे. बिहार अभी बाढ़ की त्रासदी झेल रहा है. वायरल बुखार कहर बरपा रहा है. रोजगार का संकट लगातार जारी है. इन मुद्दों को भी बन्द के दौरान उठाया जाएगा.
बैठक में अन्य वक्ताओं ने कहा कि खेती-किसानी और अन्न व्यापार को कारपोरेट पूंजीपतियों के हवाले करने पर तुली मोदी सरकार 9 महीने से आंदोलनरत किसानों की आवाज़ को दबाने में लगी है. प्रस्तावित बिजली विधेयक के जरिये बिजली के कारपोरेटीकरण करने में लगी है.जनता की गाढ़ी कमाई से खड़ी राष्ट्रीय सम्पदा रेल, सेल, भेल, सड़क, अस्पताल, बैंक, बीमा आदि को बेचने में लगी है.
कमरतोड़ मंहगाई से त्रस्त जनता के ऊपर टैक्स का बोझ लगातार बढ़ा रही है.आज़ादी के बाद अर्थव्यवस्था की ऐसी बुरी हालत कभी नही हुई थी.बेरोजगारी की बढ़ती दर नित्य नया रिकॉर्ड बना रही है, वहीं मज़दूरी दर में भारी गिरावट आयी है.
बाहर की कमाई पर आधारित बिहार की अर्थव्यवस्था तो और भी बदहाल हो गयी है।बेरोजगारी चरम पर है.19 लाख रोज़गार देने का वादा कर सरकार में आयी डबल इंजन की सरकार सोयी-बैठी है.कोरोना से तबाह बिहार में बाढ़, अतिवृष्टि और जलजमाव ने और बड़ी तबाही ला दी है. बड़े दायरे में खेती-किसानी चौपट हो गयी है,फलतः आर्थिक तंगी ने विकरालता ग्रहण कर ली है.समाज का हर वर्ग-तबका परेशान है और सरकार गोदी मीडिया के सहारे बयानों का व्यापार करने में लगी है.
इस स्थिति में किसान,मज़दूर,महिला और छात्र-युवा संगठनों के 27 सितम्बर को भारत बंद के आह्वान को बिहार में पूरी तरह से लागू किया जाएगा.
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