स्कीम वर्कर्स हड़ताल 24 सितंबर को

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स्कीम वर्कर्स हड़ताल 24 सितंबर को

पटना.केंद्रीय ट्रेड यूनियनों से संबद्ध ट्रेड यूनियन फैडरेशनों के नेतृत्व में स्कीम वर्कर्स के द्वारा 24 सितंबर 2021 को अखिल भारतीय हड़ताल पर जाने को विवश है.अखिल भारतीय हड़ताल पर जाने के पूर्व माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को 17 सूत्री मांग पेश कर दी गयी है.प्रेषित मांग पत्र का विषय है 24 सितंबर 2021 को स्कीम वर्कर्स की अखिल भारतीय हड़ताल है.महामारी के दौरान सुरक्षा उपकरण, जोखिम भत्ता और मृत्यु होने पर मुआवज़ा और नियमितीकरण, न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा और फ्रंटलाईन वर्कर्स को पेंशन देना सबटाइटल है. 

देश आजादी के बाद, सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक का सामना कर रहा है- कोविड -19 महामारी और मेहनतकश जनता के बड़े हिस्से की नौकरी और आय का नुकसान.दूसरी लहर ने हमारे देश की स्वास्थ्य प्रणाली विशेषकर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की प्रमुख कमजोरियों को उजागर किया था.हमारे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था के पूरी तरह चरमरा जाने और हजारों बहुमूल्य जिंदगियों के नुकसान को केवल सदमे और दुःख के साथ याद किया जा सकता है. स्वास्थ्य संकट से संबंधित अभी भी जारी दूसरी लहर और संभावित तीसरी लहर ने स्पष्ट तौर पर उजागर कर दिया है कि वैज्ञानिक आधार पर उचित योजना, बड़े पैमाने पर मुफ्त टीकाकरण अभियान की तैयारी, सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार, स्वास्थ्य कर्मियों के प्रशिक्षण और भर्ती आदि की तत्काल आवश्यकता है. इसके अलावा, लॉकडाउन और आर्थिक मंदी के कारण बड़े पैमाने पर नौकरियों और आजीविका का नुकसान और इसके परिणामस्वरूप देश में बड़े पैमाने पर कुपोषण और गरीबी एक और प्रमुख मुद्दा है. 

स्वास्थ्य संकट और कुपोषण को दूर करने के लिए सरकारों के प्रयास पूरी तरह से सार्वजनिक क्षेत्र के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और फ्रंटलाईन वर्कर्स पर निर्भर थे. इन फ्रंटलाइन वर्कर्स का एक बड़ा हिस्सा जो सरकार और लोगों के बीच की कड़ी है, स्कीम वर्कर्स हैं. 10 लाख आशा वर्कर्स और फैसिलिटेटर्स छुट्टी के बिना, चौबीसों घंटे ड्यूटी कर रहे हैं; उन्हें घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने, कोविड संक्रमण मामलों की रिपोर्ट करने, टेस्ट करवाने, संक्रमितों को चिकित्सा सहायता प्राप्त करने में मदद, रोगियों की निगरानी करने, ठीक होने वाले व्यक्तियों का फॉलोअप आदि करने के लिए कहा जाता है.ये काम एक दिन में लगभग 8-9 घंटे की टीकाकरण ड्यूटी के अलावा हैं. आईसीडीएस के तहत लगभग 26 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं, आशा वर्कर्स के साथ-साथ समान कर्तव्यों का पालन कर रही हैं और लाभार्थियों को घर-घर राशन वितरित कर रही हैं.लगभग 27 लाख मिड डे मील वर्कर्स, स्कूल जाने वाले बच्चों को राशन की आपूर्ति करते हैं और सामुदायिक केंद्रों और क्वारंटीन केंद्रों पर काम करते हैं.उन्हें स्कूलों में समय-समय पर साफ-सफाई और रखरखाव का सारा काम करने के लिए मजबूर किया जाता है. 

इनके अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के कर्मचारियों के अलावा, 108 एम्बुलेंस कर्मचारियों सहित अन्य वर्कर्स भी जमीनी स्तर पर समुदाय के बीच काम कर, अपने और अपने परिवार के सदस्यों के जीवन को जोखिम में डालकर अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं.हालांकि अधिकांश स्कीम वर्कर्स को कोविड ड्यूटी दी गई है, लेकिन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं सहित उन सभी को फ्रंटलाइन कार्यकर्ता के रूप में अधिसूचित भी नहीं किया गया है. एनसीएलपी, एसएसए, एनआरएलएम आदि जैसी कई और सरकारी योजनाएं हैं जो लाखों श्रमिकों को रोजगार देती हैं जो बहुत खराब कामकाजी परिस्थितियों में भी काम कर रहे हैं. 

यह चौंकाने वाली बात है कि इनमें से अधिकांश को किसी भी तरह के सुरक्षा उपाय, यहां तक की मास्क और सैनिटाइज़र भी नहीं दिए गए हैं, खासकर महामारी की दूसरी लहर में. कई को ’कोरोना का वाहक’ कहा जाता है और उन पर हमला किया गया है.इनमें कोविड-19 से संक्रमित होने के सैकड़ों मामले हैं.इनमें से कई वर्कर्स को इलाज मिलने में भी मुश्किलें आ रही हैं, अस्पताल में भर्ती होने की तो बात ही छोड़ दें.पिछले डेढ़ वर्षों के दौरान सैकड़ों आशा वर्कर्स, आंगनवाड़ी वर्कर्स, मिड डे मील वर्कर्स और अन्य स्कीम वर्कर्स की कोरोना से मृत्यु हो गई है और कई वर्कर्स ने तनाव संबंधी जटिलताओं के कारण दम तोड़ दिया. 

यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि अधिकांश परिवारों, जिनमें कोरोना से मृत्यु हुई है, को 50 लाख रुपये के बहुप्रशंसित मुआवजे से वंचित कर दिया गया है.जनवरी 2021 से कई राज्यों ने बताया है कि इस योजना को रोक दिया गया है.आंगनवाड़ी वर्कर्स को फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में अधिसूचित भी नहीं किया गया है! जबकि स्कीम वर्कर्स महामारी से लड़ते हुए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, सरकार ने इन्हें, आशा वर्कर्स के लिए ’कोविड ड्यूटी के तहत अतिरिक्त प्रोत्साहन’ के रूप में 1000 रुपये प्रति माह की घोषणा, वह भी मात्र छः महीने के लिए’’ के अलावा कुछ भी नहीं दिया. इस योजना को और छः महीने तक बढ़ाने को वैकल्पिक बना दिया गया है और इसके परिणामस्वरूप आशा वर्कर्स को इसका कोई लाभ नहीं मिला. 

इनमें से कई योजनाओं के लिए पिछले बजट 2021-22 में बजट आवंटन में कटौती की गई जिसके कारण कई राज्यों में वर्कर्स का नियमित मासिक वेतन भी कई महीनों से लंबित है.ऐसे समय में उन्हें भारत सरकार के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए, बिना किसी एक्स ग्रेशिया या पेंशन दिए छंटनी और अनिवार्य सेवानिवृत्ति की धमकी दी जा रही है. साथ ही डिजिटाइजेशन के नाम पर विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को निशाना बनाया जा रहा है और वर्कर्स को प्रताड़ित किया जा रहा है.प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण भी लागू किए जा रहे हैं जो इन योजनाओं के लिए हानिकारक हैं. 

जैसा कि आपने कई बार अपने भाषणों में उल्लेख किया है, योजना वर्कर्स द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं महत्वपूर्ण हैं. लेकिन, संसदीय स्थायी समितियों और 45वें और 46वें भारतीय श्रम सम्मेलनों सहित विभिन्न मंचों की सिफारिशों के बावजूद, इन श्रमिकों के सामने आने वाली चुनौतियों पर कभी भी किसी भी स्तर पर ध्यान नहीं दिया गया है.इन्हें श्रमिकों के रूप में मान्यता नहीं दी जाती है और इन्हें न्यूनतम वेतन का भुगतान नहीं किया जाता है. वर्षों की सेवा के बाद भी उनके लिए कोई सामाजिक सुरक्षा या पेंशन नहीं है.यहां तक की मिड डे मील कर्मियों के मामले में उन्हें देय एक हजार रुपये प्रतिमाह का मामूली भुगतान भी नियमित रूप से नहीं किया जा रहा है.आपकी सरकार ने स्कीम वर्कर्स को श्रमिकों की श्रेणी में शामिल नहीं किया है. ई श्रम पोर्टल में पंजीकरण के लिए भी, हालांकि कुछ स्कीम वर्कर्स शामिल हैं, लेकिन कई अन्य स्कीम वर्कर्स छूट गए हैं. 

जब डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ जैसी विभिन्न एजेंसियों ने आजीविका के नुकसान, उचित सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल की कमी, और परिणामस्वरूप भूख और कुपोषण से होने वाली मौतों के कारण बड़े पैमाने पर गरीबी के बारे में चेतावनी दी है, तो यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि सरकार को सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण प्रदान करने वाली बुनियादी सेवाओं की योजनाओं को मजबूत करना चाहिए.उन्हें संस्थागत रूप देकर और इन सेवाओं में स्कीम वर्कर्स के योगदान को पहचानना चाहिए.अधिकांश लोगों को भोजन और आय सहायता सुनिश्चित करना भी बहुत महत्वपूर्ण है. लेकिन यह चौंकाने वाली बात है कि आपकी सरकार कॉर्पोरेट और गैर सरकारी संगठनों से जुड़े विभिन्न उपायों और नीतियों को पेश करके इन महत्वपूर्ण योजनाओं का निजीकरण करने के लिए तत्पर है.राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एनडीएचएम) और स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण तथा व्यावसायीकरण में नीति आयोग के प्रस्तावों, नई शिक्षा नीति, आईसीडीएस और एमडीएमएस आदि में कॉरपोरेट्स को शामिल करने से इन योजनाओं को खतम कर दिया जाएगा. तीन कृषि कानूनों, विशेष रूप से, आवश्यक वस्तु अधिनियम, जोकि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है, को लागू करना आईसीडीएस और एमडीएमएस जैसी योजनाओं के लिए घातक सिद्ध होगा. 

हम इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि महामारी से लड़ने के लिए वित्तीय संसाधन जुटाना जरूरी है.हमें लगता है कि “सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट“ जैसे कुछ खर्चों से बचा जाना चाहिए और अति धनी व्यक्तियों पर टैक्स लगाकर पर्याप्त संसाधन जुटाए जा सकते हैं. 

यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्कीम वर्कर्स की यूनियनों और फैडरेशनों द्वारा निरंतर ज्ञापन देने के बावजूद, एनडीए सरकार वर्कर्स और लाभार्थियों की दुर्दशा के प्रति पूरी तरह से असंवेदनशील है.इसलिए, हम, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों से संबद्ध ट्रेड यूनियन फैडरेशनों के नेतृत्व में स्कीम वर्कर्स 24 सितंबर 2021 को अखिल भारतीय हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर हैं. 

हमलोग आपसे इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने और राष्ट्र को प्रदान की जाने वाली सेवाओं के सर्वोपरि महत्व को देखते हुए मुद्दों को हल करने का आग्रह करते हैं. 

हमारी मांगें -  

1. उन सभी योजना कर्मियों को फ्रंटलाइन वर्कर अधिसूचित करें जिन्हें कोविड ड्यूटी में नियुक्त किया गया था.फ्रंटलाइन वर्कर्स को प्राथमिकता देते हुए सभी के लिए तत्काल मुफ्त और सार्वभौमिक टीकाकरण सुनिश्चित करें.एक निश्चित समय सीमा के भीतर सार्वभौमिक मुफ्त टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए वैक्सीन उत्पादन में तेजी लाएं और वितरण को सरकारी विनियमन के तहत लाएं. 

2. सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तथा स्कीम वर्कर्स सहित महामारी-प्रबंधन कार्य में लगे लोगों के लिए सुरक्षात्मक उपकरण आदि की उपलब्धता सुनिश्चित करें. सभी फ्रंटलाइन श्रमिकों के बार-बार, निरंतर और फ्री कोविड -19 टेस्ट किए जाएं. कोविड से संक्रमित फ्रंटलाइन वर्कर्स को अस्पताल में भर्ती करने को प्राथमिकता दी जाए. 

3. स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए जीडीपी का 6 प्रतिशत आवंटित करो. सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करें ताकि अस्पताल में पर्याप्त बिस्तर, ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सा सुविधाओं को सुनिश्चित किया जा सके ताकि कोविड संक्रमण बढ़ने पर आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके; आवश्यक स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाए; सुनिश्चित करें कि गैर-कोविड रोगियों को सरकारी अस्पतालों में प्रभावी उपचार मिले. 
 
4. सभी फ्रंटलाइन श्रमिकों को 50 लाख रुपये का बीमा कवर दो जिसमें ड्यूटी पर होने वाली सभी मौतों को कवर किया जाए, साथ ही मृत्यु होने वाले वर्कर के आश्रितों को पेंशन/ नौकरी दी जाए. पूरे परिवार के लिए कोविड -19 के उपचार का भी कवरेज दिया जाए. 

5. कोविड -19 ड्यूटी में लगे सभी कांट्रैक्ट व स्कीम वर्कर्स के लिए प्रति माह 10,000 रू का अतिरिक्त कोविड जोखिम भत्ता भुगतान किया जाए.स्कीम वर्कर्स के वेतन और भत्ते आदि के सभी लंबित बकायों का भुगतान तुरंत किया जाए. 

6. ड्यूटी पर रहते हुए संक्रमित हुए सभी लोगों के लिए न्यूनतम दस लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए. 

7. मजदूर विरोधी लेबर कोड्स को वापस लिया जाए. स्कीम वर्कर्स को ‘वर्कर’ की श्रेणी में लाया जाए.जब तक स्कीम वर्कर्स का नियमितिकरण लंबित है तब तक सुनिश्चित करें कि सभी स्कीम वर्कर्स का ई श्रम पोर्टल में पंजीकरण किया जाए. 

8. केंद्र प्रायोजित योजनाओं जैसे आईसीडीएस, एनएचएम व मिड डे मील स्कीम के बजट आवंटन में बढ़ोतरी कर इन्हें स्थायी बनाओ. आईसीडीएस और मिड डे मील स्कीम के सभी लाभार्थियों के लिए अच्छी गुणवत्ता के साथ पर्याप्त अतिरिक्त राशन तुरंत प्रदान किया जाए.इन योजनाओं में प्रवासियों को शामिल किए जाए. 

9. 45वें व 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के अनुसार स्कीम वर्कर्स को मजदूर के रूप में मान्यता दो, सभी स्कीम वर्कर्स को 21000 रू प्रतिमाह न्यूनतम वेतन दो, 10,000 रू प्रतिमाह पेंशन तथा  ईएसआई, पीएफ आदि प्रदान करो. 

10. मौजूदा बीमा योजनाएं (ए) प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, (बी) प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और (सी) आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बीमा योजना - सभी योजनाओं को सभी स्कीम वर्कर्स को कवर करते हुए सार्वभौमिक कवरेज के साथ ठीक से लागू किया जाए. 

11. गर्मियों की छुट्टियों सहित वर्तमान में स्कूल बंद होने की स्थिति में मिड डे मील वर्कर्स को न्यूनतम वेतन दिया जाए. केंद्रीयकृत रसोईयां और ठेकाकरण न किया जाए. 

12. कोरोना अवधि तक सभी को 10 किलो राशन प्रति व्यक्ति प्रति माह दिया जाए. महंगाई पर रोक लगाई जाए. छः महीने तक टैक्स के दायरे से बाहर सभी परिवारों के लिए 7500 रुपये प्रति माह और ज़रूरतमंदों के लिए मुफ्त राशन/भोजन की व्यवस्था की जाए. सभी के लिए नौकरियां और आय सुनिश्चित की जाएं. 

13. स्वास्थ्य (अस्पतालों सहित), पोषण (आईसीडीएस और मिड डे मील स्कीम सहित) और शिक्षा जैसी बुनियादी सेवाओं के निजीकरण के प्रस्तावों को वापस लो.एनडीएचएम और एनईपी 2020 का रद्द करो.सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों और सेवाओं के निजीकरण पर रोक लागाओ. 

14. जनविरोधी कृषि कानूनों को वापस लो जोकि योजनाओं के लिए हानिकारक हैं. 

15. डिजिटाइजेशन के नाम पर लाभार्थियों को निशाना बनाना बंद करें. ’पोषण ट्रैकर’, ’पोषण वाटिका’ आदि के नाम पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न बंद करें. 

16. भोजन के अधिकार और शिक्षा के अधिकार की तरह सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा के अधिकार के लिए कानून बनाया जाए. 

17. वित्त जुटाने के लिए, ‘सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट’ जैसी परियोजनाओं पर रोक लगाई जाए. संसाधनों के लिए अति धनी वर्गों पर कर लगाया जाए. 
 

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