स्वशासन का विकल्प सुशासन नहीं

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स्वशासन का विकल्प सुशासन नहीं

आलोक कुमार 
पटना.रिसर्च विभाग, बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा बिहार पंचायत चुनाव के मद्देनज़र तैयार किया गया “16 साल की यात्रा: विकेन्द्रीकरण से तबाही तक” नामक डॉक्यूमेंट का विमोचन कांग्रेस मुख्यालय सदाक़त आश्रम में प्रदेश अध्यक्ष डा. मदन मोहन झा की अध्यक्षता में किया गया. 

इस अवसर पर बोलते हुए डा. मदन मोहन झा ने कहा कि जिस उद्देश्य के लिए पंचायती राज की कल्पना हमारे बापू महात्मा गांधी ने की थी और पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी जी ने जिन्हे साकार करने का प्रयास किया था वह अब भी अधूरा है. ग्राम स्वराज एक कोरी कल्पना रह गई है. सत्ता का विकेन्द्रीकरण की जगह केन्द्रीकरण हो रहा है.पंचायत प्रतिनिधि अपने आप को ठगा सा महसूस करते है. रिसर्च विभाग द्वारा तैयार किया गया यह दस्तावेज पार्टी पूरे राज्य के गाँव गाँव में पहुंचाएगी. 

इस अवसर पर बोलते हुए राज्यसभा सदस्य, डा. अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि कांग्रेस का यह मानना है कि ‘जो निर्णय जिस वर्ग को प्रभावित करे, वह निर्णय उसी स्तर पर लिया जाना चाहिए’. लेकिन वास्तव में हो कुछ और रहा है.सारे निर्णय दिल्ली या पटना के स्तर पर होते हैं और उसे पंचायत प्रतिनिधियों पर थोप दिया जाता है. सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया को सामाजिक समता से जोड़कर उसमे महिला, दलित, आदिवासी आरक्षण से जोड़ कर देखा जाना चाहिये.दल के कार्यकर्ताओं से आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि आप सब दिल्ली नहीं गाँव की ओर जाएं और पंचायत चुनाव में हिस्सा लेने. 
 
अपने स्वागत भाषाण में बोलते हुए आनन्द माधव, चेयरमैन, रिसर्च विभाग ने कहा कि इस डॉक्यूमेंट में हमारा प्रयास यह दर्शाने के रहा है कि किस तरह से कि सोलह साल में वर्तमान सरकार ने विकेंद्रीकरण के नाम पर तबाही ही अंजाम दिया है.गांधी जी के  स्वशासन की कल्पना सिर्फ कोरी कल्पना ही रह गई है, क्योंकि उनका मानना था की सुशासन काभी भी स्वशासन के बिना आ नहीं सकता है.यह सुशासन नहीं कुशासन है, जो हर चीज को लाभ की दृष्टि से देखती है. इस बार सभी चार महत्वपूर्ण पदों पर ईवीएम के माध्यम से मतदान होना है.यह उन अनुचित व्यवहारों की ओर संकेत करता है जो हो सकते हैं और व्यापक रूप से मतदाता की पसंद को प्रभावित करेंगे. इस संबंध में उच्च न्यायलय में याचिका दायर की गई हैं, निर्णय की प्रतीक्षा है.  

8 अक्टूबर 2013 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला (2013 का सिविल अपील संख्या 9093) भी चुनाव प्रणाली को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए ईवीएम के साथ वीवीपैट को शामिल करने का आदेश देता है. यह मतदाताओं को उनके सही उम्मीदवार को दिए गए वोट के बारे में एक प्रमाण भी सुनिश्चित करेगा. लेकिन बिहार पंचायत चुनाव में वीवीपीएटी का उपयोग संदेहास्पद है. 

बिहार विधान परिषद सदस्य श्री प्रेमचंद मिश्र ने कहा कि पंचायत हमारी बुनियाद है, जो खोखली होती जा रही है.बिहार पंचायत राज अधिनियम, 1993 को 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के आधार पर  पारित किया गया था. जिला, मध्यवर्ती और ग्राम स्तर पर पंचायतों के गठन को स्वशासन की संस्थाओं के रूप में अनिवार्य करता है और सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास के लिए कार्यक्रमों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए शक्तियों और जिम्मेदारियों के बंदोबस्त का प्रावधान करता है. पर क्या यह हो रहा है? जवाब है, नहीं. 

इस अवसर पर पूर्व विधायक ऋषि मिश्रा, पूर्व विधान परिषद सदस्य लाल बाबू लाल, वारी नेता नागेन्द्र कुमार विकल, विचार विभाग के चेयरमैन प्रो शशि कुमार सिंह, राजीव गांधी पंचयती राज संगठन के चेयरमैन असफर अहमद, सोशल मीडिया विभाग के चेयरमैन सौरभ कुमार, वरीय नेत्री संयुक्ता सिंह, सुदा मिश्रा, जिला अध्यक्ष शशि रंजन, आशुतोष शर्मा, प्रत्यूष गौरव, राहुल रंजन, आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये.

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