राजनीति साजिश के तहत कार्रवाई- ददन पहलवान

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राजनीति साजिश के तहत कार्रवाई- ददन पहलवान

आलोक कुमार  
डुमरांव. इस बार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निशाने पर पूर्व मंत्री ददन सिंह यादव उर्फ ददन पहलवान आ गये हैं.ईडी ने पूर्व मंत्री व उनके परिजनों के नाम पर अर्जित 68 लाख की संपत्ति को अंतरिम रूप से जब्त कर लिया है.इस पर ददन पहलवान कहते हैं कि राजनीति साजिश के तहत  मुझे परेशान करना शुरू कर दिया गया  है.लेकिन दूध, दही,मठ्ठा खाने वाले आदमी हैं,इन सब चीजों से विचलित नहीं होने वाला हूं.उन्होंने कहा कि जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर और बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद पर शिकंजा कसा गया है.मगर अभी तक ईडी ने सत्ताधारियों पर घेराबंदी नहीं कर सका है. 

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मंत्री ददन सिंह यादव उर्फ ददन पहलवान और उनके परिजनों के नाम पर अर्जित 68 लाख की संपत्ति को अंतरिम रूप से जब्त कर लिया है. प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत यह कार्रवाई की गई. जब्त की गई संपत्ति में बक्सर के डुमरांव और उत्तर प्रदेश के बलिया में स्थित 11 प्लॉट शामिल हैं. इसके अलावा गाड़ियां और बैंक में जमा रुपए जब्त किए गए हैं. 

ददन पहलवान, उनकी पत्नी उषा देवी और बेटे करतार सिंह के नाम पर अर्जित की गई जमीन, गाड़ियां और बैंक बैलेंस को ईडी ने जब्त किया है. इसमें पत्नी के नाम पर डुमरांव में खरीदे गए सात प्लॉट और बेटे के नाम पर बलिया व डुमरांव में लिया गया चार प्लॉट शामिल है. इसकी कीमत 19.26 लाख रुपए है. इसके अलावा ददन सिंह के नाम पर 27,88,189 रुपए में खरीदी गई दो स्कॉर्पियो, एक स्विफ्ट और मार्शल जीप को भी जब्त करने का आदेश दिया गया है.पत्नी के नाम पर एक चारपहिया और बेटे के नाम पर दो चारपहिया गाड़ियां भी इसमें शामिल हैं.ददन पहलवान और उनकी पत्नी के संयुक्त खाते में जमा 21903 रुपए को भी जब्त कर लिया गया है. 

ईडी ने पूर्व मंत्री के खिलाफ कई वर्ष पूर्व प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच शुरू की थी. ईडी के मुताबिक यह जांच ददन पहलवान और अन्य के खिलाफ बिहार और उत्तर प्रदेश के विभिन्न थानों में दर्ज 5 आपराधिक मामलों को आधार बनाकर किया गया था. ये मामले आर्म्स एक्ट, हत्या का प्रयास, आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी आदि से जुड़े हैं.कुछ मामलों में ददन पहलवान की पत्नी और बेटा भी सह अभियुक्त हैं.ईडी ने जांच के दौरान पाया कि अपराध से अर्जित पैसों से संपत्ति खरीदी गई और बैंकों में भी बड़ी राशि जमा की गई. ईडी के मुताबिक संपत्तियों को जब्ती से बचाने के लिए उन्होंने बिजनेस से आय की बात कही पर ऐसा कुछ नहीं पाया गया. 

ददन यादव के खिलाफ पहले दर्ज कुछ मामलों में सह-आरोपी के तौर पर उनकी पत्नी उषा देवी और बेटे करतार सिंह यादव का भी नाम दर्ज है. ईडी की तफ्तीश में यह भी सामने आया है कि ददन पहलवान ने अपने परिजनों के नाम पर कई कंपनियों के मार्फत पैसों का लेनदेन किया है, जबकि उस इनकम (आय) के सोर्स के बारे में तफ्तीश करने पर पाया गया कि फर्जीवाड़ा के तहत वो उससे संबंधित कारोबार नहीं करते थे. लेकिन कागजों पर कारोबार का नाम और उससे धन अर्जित करने का जिक्र करते रहे हैं. वहीं, ददन पहलवान के बेटे करतार सिंह ने सत्यवीर एग्रो कंपनी के नाम पर बैंक से लोन लिया था. यह राशि बढ़कर उस वक्त एक करोड़ 52 लाख से ज्यादा हो गई थी. लेकिन ददन पहलवान और उनके बेटे के द्वारा इसे नहीं चुकाया गया था. जिससे बैंक के द्वारा उनका नाम लोन डिफॉल्टर के नाम के रूप में घोषित किया गया था. 
जांच एजेंसी के मुताबिक ददन पहलवान की पत्नी उषा देवी पर भी एक होम लोन की अदायगी नहीं करने का आरोप लगा था. ददन पहलवान के खिलाफ बक्सर की लोक अदालत में ओरिएंटल बैंक द्वारा दाखिल किया गया मुकदमा चल रहा है. बहरहाल जिस तरह से प्रवर्तन निदेशालय कार्रवाई कर रही है, कहा जा सकता है कि आने वाले समय में ददन पहलवान की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. 

इस पर ददन यादव कहते हैं कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 7 दिन लखनऊ में रहना हुआ था.वहां के तमाम समाजवादी नेताओं से मिलना जुलना हुआ.उन्होंने कहा कि जब जब भी चुनाव आया है. इसी प्रकार कुछ लोग राजनीति साजिश के तहत  मुझे परेशान करने शुरू कर देते  हैं. लेकिन मैं दूध, दही, मठ्ठा खाने वाला आदमी हूं. इन सब चीजों से विचलित नहीं होने वाला हूं. 

मालूम हो कि बिहार के डुमरांव इलाके से विधायक रहे ददन यादव को बागी तेवर अपनाने के आरोप में जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) से वर्ष 2020 में बाहर कर दिया गया था. राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री रहे ददन पूर्व में बैंक डिफाल्टर बनकर काफी सुर्खियों में रहे थे. उनके खिलाफ दिल्ली और पंजाब के कोर्ट में कई मामलों की सुनवाई चल रही है. वर्ष 2017 में बैंक द्वारा डिफाल्टर घोषित होने के बाद ददन पहलवान के राइस मिल और पटना के सगुना मोड़ स्थित करीब डेढ़ कट्ठा जमीन को बैंक द्वारा अपनी संपत्ति घोषित कर दी गई थी, जिसका विज्ञापन भी अखबारों में प्रकाशित किया गया था. 


 

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