आलोक कुमार
पटना.राबिया कांड की सीबीआई जांच कराने , स्पीडी चला कर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग पर पटना के महिला संगठनों ने आक्रोश मार्च निकाला.वहीं राबिया के परिवार के लिए न्याय ,10 लाख मुआवजा व एक सदस्य को सरकारी नौकरी की भी की मांग की गई है.
पटना के महिला संगठनों ने राबिया के लिए न्याय की मांग पर संयुक्त रूप से आज आक्रोश मार्च निकाला. मार्च बुद्ध स्मृति पार्क से निकला जिसका नेतृत्व प्रोफेसर भारती एस कुमार, ऐपवा से राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे, पटना की सह सचिव अनुराधा सिंह , बिहार महिला समाज से शाइस्ता अंजुम व इमराना , एडवा से राम परी व सरिता पांडे , ए एस डब्ल्यू एफ से आसमा खातून व डेजी, ऑल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन से अनामिका व इंदु कुमारी, नारी गुंजन से पद्मश्री सुधा वर्गीज ,मेक ए न्यू लाइफ फाउंडेशन से तबस्सुम अली व सुल्ताना , यूथ फॉर स्वराज से रागनी वह ऋतु, बिहार घरेलू कामगार यूनियन से शेहला, कोरस सांस्कृतिक टीम से समता राय संयुक्त रुप से कर रहीं थीं. इसकेे अलावा भी दर्जनों महिलाएं व लड़कियां मार्च में शामिल थीं.
मार्च से पूर्व बुद्ध स्मृति पार्क में ही एक सभा का आयोजन किया गया.सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि जिस नृशंस तरीके से दिल्ली जिलाधिकारी कार्यालय में क सिविल डिफेंस वालिंटियर की पोस्ट पर कार्यरत राबिया की हत्या की गई, यह मानवता के लिए बेहद शर्मनाक है.निजामुद्दीन नामक व्यक्ति उसके पति होने का दावा कर रहा है और उसके चरित्र पर शक करते हुए इस तरह नफरत भरे अंदाज में हत्या करने की जिम्मेवारी लेते हुए सरेंडर भी कर दिया है.आखिरकार सवाल यह उठता है कि केवल शक की बिना पर पति को किसी महिला की इस तरह से हत्या करने का अधिकार किसने दे दिया ?वह तलाक भी ले सकता था. लेकिन औरत को अपनी जागीर समझते हुए उससे उसे सदा के लिए खत्म करना अपना अधिकार समझ कर उसकी हत्या कर दिया. राबिया के शरीर पर जितने चाकू के निशान हैं और जिस तरीके से बर्बरता की गई है इसके तार कहीं न कहीं कार्यालय में चल रहे भ्रष्टाचार और वहां पड़े छापे से भी जुड़ते हैं क्योंकि लाकर की चाभी राबिया के पास ही रहती थी.
26 अगस्त जिस दिन राबिया गायब हुई उसके 2 दिन ही पहले वहां वहां छापा पड़ा था.सोकाल्ड उसका पति भी उसी कार्यालय में ही काम करता था.इसीलिए यह केवल उसके पति का काम नहीं है बल्कि इसमें एक सरकारी गैर सरकारी गठजोड़ काम कर रहा है. जिसकी सीबीआई से जांच होनी जरूरी है.
इसीलिए हम महिला संगठनों के लोग मांग करते हैं कि राबिया काण्ड की सीबीआई से जांच कराया जाए, स्पीडी ट्रायल चलाकर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए , राबिया के परिवार को 10 लाख मुआवजा , परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए.अगर दोषियों को सजा नहीं मिली तो इस तरह से हत्यारों का मन बढ़ता चला जाएगा बेटियां सुरक्षित नहीं रहेंगी कामकाजी महिलाएं कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर सवाल उठाने पर डरेंगीं, चुप रहेंगी.इसीलिए इस जुल्म के खिलाफ जो पूरे देश में आंदोलन चल रहा है हम उसके समर्थन में आज यहां से पटना की सड़कों पर मार्च कर रहे हैं आगे अगर हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
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