डॉ शारिक़ अहमद ख़ान
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि अबकी वो सत्ता में आयीं तो ना पार्क बनवाएंगी,ना दलित महापुरूषों की मूर्तियाँ लगाएंगी ना अपनी मूर्ति लगवाएंगी,बल्कि विकास करेंगी.ख़ैर,विकास तो सभी करते हैं.किसी से छिपा नहीं कि जब सपा सरकार में आगरा एक्सप्रेस वे बना तो पीपीपी मॉडल पर बना.पैसों की बंदरबांट हुई,भ्रष्टाचार के मामले उठे,इसको लेकर समाजवादी पार्टी में आपस में झगड़े हुए. शिवपाल यादव की नाराज़गी की मुख्य वजह यही कही गई.फिर जब रोड बना तो थोड़ी-थोड़ी दूर पर टोल लगता है.
इस तरह से ये विकास तो हुआ लेकिन कमाई का माध्यम भी हुआ.पब्लिक के पैसे से रोड बनवाकर मोटा टोल वसूलना संपूर्ण विकास नहीं कहा जा सकता.बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ में जो पार्क बनवाए उसकी वजह से लखनऊ चमका,अच्छे और ख़ूबसूरत पार्क शहर को मिले.दलित महापुरूषों की मूर्तियाँ मायावती जी शौक़ से लगाएं,लेकिन महाराष्ट्र से दलित महापुरूष आयात ना करें.यूपी में भी बहुत दलित महापुरूष रहे हैं.उनकी लगवाएं.अपनी मूर्ति ना लगाने का उनका फ़ैसला सही है.अपनी मूर्ति लगवाने वाले सद्दाम हुसैन का हाल सबने देखा है और दूसरे कई का भी देखा है.मायावती ज़िलों को तोड़कर छोटे-छोटे ज़िले ना बनाएं. ऐसा करने से भ्रष्टाचार होता है,सरकारी कोष से ज़िले के आधारभूत ढांचे के लिए फ़ालतू पैसे ख़र्च होते हैं और छोटे ज़िलों से कोई ख़ास विकास हुआ ऐसा भी नहीं है.छोटे ज़िलों में और दबंगई होती है और भ्रष्टाचार होता है.मायावती ने छोटे ज़िले बनाकर नाम उनके नाम बदले,जो पुराना नाम है वही नहीं रहने दिया.ऐसे-ऐसे लोगों के नाम पर ज़िलों के नाम रखे जिनको यूपी का आम आदमी नहीं जानता,इसलिए मायावती ये सब भी ना करें.यूपी को मायावती ने बांटने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा,ताकि एक ही हिस्से की सही लेकिन सत्ता हाथ रहे.यूपी की विशालता ही उसकी शक्ति है,यूपी को बांटने का सपना छोड़ें,यूपी से काटकर उत्तराखंड बना है तो वहाँ और भ्रष्टाचार बढ़ गया है. पहाड़ के नाम पर बना,मैदानी हावी हैं.लखनऊ में मायावती के पार्कों का अब रखरखाव ठीक से नहीं हो रहा.पहले दिनभर पार्कों में झाड़ू-पोंछा लगता रहता और पार्क चमकते रहते.मायावती आएं तो पार्क फिर चमकाएं,पार्क बनाकर उन्होंने अच्छा काम किया.तस्वीर में मायावती जी का बनवाया स्मारक और पार्क मेरे कैमरे से.
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