तेजप्रताप के कवच हैं लालू यादव

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तेजप्रताप के कवच हैं लालू यादव

फ़ज़ल इमाम मल्लिक 
राष्ट्रीय जनता दल के कृष्ण और अर्जुन यानी तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव में ठन गई है. दोनों की तानतनी का असर राजद पर पड़ना लाजमी है. देर-सवेर पार्टी में टूट भी हो सकती है. तेजप्रताप पहले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के खिलाफ मुखर होकर बोले और अब वे तेजस्वी पर भी निशाना साध रहे हैं. राजद के लिए यह ठीक तो नहीं ही है, लालू परिवार के लिए भी ठीक नहीं है. यूं बीच-बीच में सुलह-सफाई की कोशिश भी की जाती रही है. तेजस्वी यादव ने भी पार्टी अनुशासन को लेकर गंभीर सवाल उठाते हुए इशारों-इशारों में तेजप्रताप को चेताया भी है लेकिन तेजप्रताप किसकी सुनते हैं जो तेजस्वी की सुनेंगे. उन्हें पता है कि पार्टी में उनको कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि उनके सर पर लालू यादव का हाथ है और यही हाथ तेजप्रताप की बड़ी ताकत है. तेजप्रताप जानते हैं कि लालू यादव के रहते राजद में उनका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता, न तेजस्वी यादव और न ही जगदानंद सिंह उनके पर कतर सकते हैं. तेजप्रताप का तेज इसलिए न सिर्फ बरकरार है बल्कि पार्टी में तेजस्वी और जगदा बाबू की सत्ता को चुनौती भी दे रहा है. तेजप्रताप के रवैये से तेजस्वी भी आहत हैं और जगदानंद सिंह भी. लेकिन लालू यादव की वजह से तेजप्रताप पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो पा रही है और वे लगातार पार्टी और तेजस्वी के लिए परेशानी खड़ी कर रहे हैं. अब तेजप्रताप यादव ने अपना नया संगठन बना डाला है. संगठन भविष्य में किस तरह से आकार लेगा यह तो कहा नहीं जा सकता लेकिन इतना तय है कि इस संगठन के जरिए तेजप्रताप ने तेजस्वी को खुली चुनौती दे डाली है. तेजप्रताप ने इस संगठन का नाम छात्र जनशक्ति परिषद रखा है. वैसे तेजप्रताप ने कहा है कि दूसरी पार्टियों के संगठन की तरह छात्र जनशक्ति परिषद राजद से जुड़ा रहेगा और इसे लालू प्रसाद यादव का आशीर्वाद मिला हुआ है. लेकिन क्या राजद इस तरह के किसी संगठन को लेकर चल पाएगा, बड़ा सवाल यह है. तेजप्रताप इस संगठन के जरिए राजद में रहते हुए अपनी अलग लाइन खीचने में लग गए हैं. इसका नुकसान राजद को होगा. तेजप्रताप ने एलान तो कर डाला कि उनका संगठन राजद से जुड़ा रहेगा लेकिन राजद नेतृत्व यानी तेजस्वी यादव और जगदानंद सिंह इस पर सहमत होंगे, इसकी उम्मीद बहुत कम ही है क्योंकि यह एलान एकतरफा है और राजद के संविधान में भी शायद इसकी इजाजत नहीं है. लेकिन तेजप्रताप ने अपने इरादे जाहिर कर राजद की परेशानी बढ़ा दी है. 

इससे पहले तेजस्वी यादव ने तेजप्रताप को संयम और अनुशासन में रहने की नसीहत की थी. तेजप्रताप जिस तरह का व्यवहार पार्टी के सम्मानित नेता जगदानंद सिंह के खिलाफ कर रहे हैं उससे तेजस्वी खुश नहीं हैं. तेजस्वी ने उन्हें चुप रहने और बड़ों का सम्मान करने की नसीहत दी थी. लेकिन तेजप्रताप ने अपने एक ट्वीट के जरिए  इशारों में तेजस्वी को सलाह दी है. इन दिनों वे दिनकर की रश्मिरथी के जरिए ही बहुत कुछ कह जा रहे हैं. उन्होंने ट्वीट किय- हे अर्जुन ! मन अशांत है और इसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है. इस ट्वीट में तेजप्रताप ने एक फोटो भी पोस्ट किया है, जिसमें भगवान कृष्ण साथ बैठे अर्जुन को सलाह देते दिखाई दे रहे हैं. फिर दूसरे ट्वीट में कहते हैं कि अहंकार मानव और मानव समाज का इतना बड़ा शत्रु है, जो पूरी मानव जाति के कष्ट का कारण और अन्ततः विनाश का द्वार बनता है. 

कुछ दिन पहले तेजप्रताप ने राजद आफिस में नया ड्राम किया था.  वे अचानक पार्टी के प्रदेश कार्यालय पहुंचे. वे लालू यादव के चेंबर में बैठे. वहां पहले से ही जगदानंद सिंह अपने कमरे में बैठे थे. लोगों से मिले और फिर जगदानंद सिंह को अपने पास तलब किया. करीब दो घंटे तक नाटक चलता रहा. फिर गुस्से से तमतमाए जगदानंद सिंह कार्यालय से निकल गए. हालांकि एमएलसी सुनील सिंह बाद में पहुंचे और मामले को संभाला. कहा जारहा है कि वे लालू यादव का संदेश मिलने के बाद पार्टी दफ्तर पहुंचे थे. वे देर तक तेजप्रताप को मनाते रहे. उन्हें लालू यादव का संदेश दिया. काफी समझाने के बाद तेजप्रताप माने और सुनील सिंह उन्हें अपने साथ लेकर निकल गए. वैसे इन सब की खबर से अनजान नहीं थे जगदा बाबू. थोड़ी देर बाद वे अचानक अपने कमरे से बाहर निकले. चेहरे पर लिखी इबारत उनके जज्बात को बयान कर रहा था. मीडिया ने घेरा तो जगदानंद फट पड़े- ऐसे करोगे तो कल से पार्टी ऑफिस में एंट्री बंद कर देंगे. उसी गुस्से में जगदानंद पार्टी ऑफिस से निकले और अपने घर रवान हो गए. थोड़ी देर  बाद तेजप्रताप भी निकल गए लेकिन साफ किया कि वे पार्टी आफिस आते रहेंगे. महीनों से चल रहे इस  कलह से राजद बैकफुट पर है. पार्टी नेताओं की हालत सांप-छूछंदर वाली है. कोई भी इस मामले पर खुल कर बोलना नहीं चाहता. लेकिन इसे पार्टी के लिए ठीक नहीं बताने वालों की लंबी कतार है. तेजस्वी भी इसे समझते हैं और जगदानंद सिंह भी, नहीं समझ रहे हैं तो तेजप्रताप. वैसे नए संगठन के बाद तेजप्रताप का रुख क्या होगा और तेजस्वी व जगदानंद सिंह क्या प्रतिक्रिया देंगे, यह देखना दिलचस्प होगा. 

 

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