आलोक कुमार
पूसा.बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते है कि जब से एनडीए सरकार सत्ता में आयी है,तब से स्वास्थ्य महक्कमा में व्यापक सुधार हुआ है.राजद और महागठबंधन के शासनकाल में स्वास्थ्य केन्द्रों की दुर्गति के कारण केन्द्र में लोग आना ही नहीं चाहते थे.
फिलवक्त नीतीश सरकार ने 1989 में बीजेपी में शामिल मंगल पांडेय पर ही भरोसा कायम किये हुए हैं. बीजेपी ने उन्हें 2005 में राज्य का महासचिव बनाया था. 2012 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बनाए गए थे. साल 2013 में उन्हें बिहार बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया. मंगल पांडे पिछली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे. चमकी बुखार के दौरान उनकी कार्यशैली पर सवाल उठे थे.अभी भी स्वास्थ्य मंत्री हैं.मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री की पोल भाकपा-माले ने खोल कर दी है.
भाकपा-माले प्रखंड कमिटी का कहना है कि बिहार में सरकारी अस्पतालों की हालत किसी से छिपी नहीं है.खासकर उन स्वास्थ्य केंद्रों का जिसे 'उपकेंद्र' के नाम से जाना जाता है.उपकेंद्र इसलिए बनाए जाते हैं ताकि ग्रामीण इलाके के लोगों को छोटी-छोटी बीमारियों के लिए शहर की भाग-दौड़ में शामिल न होना पड़े. उनको स्वास्थ्य की सुविधा आसपास में ही मिल जाए.मगर ये सिर्फ कागजों पर देखने, पढ़ने और सुनने में अच्छा लगता है.जमीनी हकीकत अक्सर इसके उलट ही होती है.ऐसी भी बात नहीं कि मौजूदा राज्य सरकार के दौरान इनकी बदहाली है. सरकार चाहे किसी की भी रहे उपकेंद्रों की हालत खस्ता ही रही.चूंकि बिहार में नीतीश कुमार 15 साल से मुख्यमंत्री हैं तो उनके मत्थे ठीकरा ज्यादा फोड़ा जा रहा है. ऐसी बात नहीं कि लालू-राबड़ी के शासनकाल में स्वास्थ्य उपकेद्रों की हालत बहुत अच्छी थी. या फिर उनकी शासन में इसकी हालत बहुत अच्छी हो जाएगी.
इसके आलोक में भाकपा-माले प्रखंड कमिटी के प्रखंड सचिव अमित कुमार के नेतृत्व में पूसा प्रखंड के 11 स्वास्थ्य उपकेन्द्र का निरीक्षण किया गया.जिसमें 10 स्वास्थ्य उपकेन्द्रों में ताला लटका मिला.मात्र एक गंगापुर स्वास्थ्य उपकेन्द्र खुला मिला.बंद स्वास्थ्य उपकेन्द्रों में विष्णुपुर बथुआ ,धर्मागतपुर बथुआ, कुबौलीराम, खैरी, रेपुरा, कोआरी, ठहरा गोपालपुर, बिरौली, मलिकौर, धोबगामा शामिल है.इस दौरान भाकपा-माले प्रखंड सचिव अमित कुमार ने कहा कि पंचायतों में स्वास्थ्य उपकेंद्रों की हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है.महीने के अधिकतर दिनों में केंद्र में ताला लगा रहता हैं. उन्होंने कहा कि देख-रेख के अभाव एवं उपेक्षा के कारण स्वास्थ्य उपकेन्द्र दिनोंदिन उपेक्षित होता गया. वर्तमान समय में स्वास्थ्य उपकेन्द्र अपना अस्तित्व भी खोता जा रहा है. स्वास्थ्य उपकेन्द्र भवन धाराशायी हो रहे हैं.दीवार जर्जर होकर गिर रहे हैं.कई स्वास्थ्य उपकेन्द्र भवन भूत बंगले के रूप में तब्दील हो चुका है.
धोबगामा के स्वास्थ्य उपकेंद्रों को देखने से लगा कि वर्षों से ताला भी नहीं खुला है. शेष बचे स्वास्थ्य उपकेन्द्र का निरीक्षण शीघ्र किया जाएगा.माले प्रखंड कमिटी सदस्य महेश सिंह ने कहा कि यदि अविलम्ब स्वास्थ्य उपकेन्द्र की बदतर व्यवस्था को ठीक नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में सभी पंचायतों की जनता के साथ मिलकर भाकपा-माले आंदोलन करेगी.
खबर है कि स्वास्थ्य बिहार हमारा अधिकार के तहत भाकपा माले की टीम ने स्वास्थ उपकेंद्र पचरुखिया का भी जायजा लिया.टीम में शामिल राज्य कमेटी सदस्य संजय कुमार, विधायक प्रतिनिधि मनीर आलम ने बताया कि केन्द्र का ताला कई महीने से नहीं खुला है. किवाड़ में जंग लगा हुआ है. दरवाजे पर ग्रामीण गाय बांधते हैं.
गोबर का अंबार लगा हैं.आंगन में काफी घांस उग आए हैं. टीम को ग्रामीणों ने बताया कि कभी ताला नहीं खुलता है ना हीं कोई डाक्टर आते हैं.माले नेताओं ने बताया कि स्वास्थ्य सेवा से जान बचाने की बात दूर हो गई है.कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवा की नाकामी ने लाखों लोगों को जान ले ली.
हर गांव में स्वास्थ्य केन्द्र, डाक्टर, नर्स, कंपाउडर, दवा, एम्बुलेंस आदि की सेवा दिन रात बहाल कर आम जनता को जान बचाने के लिए मांग की गई.जिला कमेटी सदस्य दुधनाथ राम, नंदकिशोर गुप्ता, महेंद्र साव आदि थे.
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments