जब महिला चिकित्सक ने कहा कि हाइड्रोफोबिया से ग्रसित हूं

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जब महिला चिकित्सक ने कहा कि हाइड्रोफोबिया से ग्रसित हूं

पटना.राजकीय मध्य विघालय की दो टीचरों ने 2016 में बिन्द टोली में बाढ़ आ जाने के कारण बच्चों को पढ़ाना ही छोड़ दिए.जो आज भी जारी है.इस संदर्भ में दोनों टीचरों का कहना है कि नाव पर चढ़ना खतरे से खाली नहीं है.बाढ़ के समय में शहर से संपर्क भंग हो जाने के बाद बिन्द टोली की नाव ही लाइफ लाइन बन जाती है.नाव पर चढ़कर आवाजाही करते हैं.25 अगस्त 2021 को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, पटना सदर की महिला चिकित्सक भी स्वास्थ्य टीम के साथ नाव पर बैठकर बिन्द टोली में नहीं गयी.वह कुर्जी मंदिर के परिसर में कुर्सी पर बैठकर समय काट रही थीं.पूछने पर महिला चिकित्सक ने कहा कि मुझे हाइड्रोफोबिया है.सच में यह सब मोटी रकम डकारने वाले राज्यकर्मियों को ही होता है. 
मालूम हो कि पूर्व मध्य रेलवे परियोजना के कारण दीघा बिन्द टोली के खेतिहर भूमिहीन विस्थापित हुए थे.उन आवासीय भूमिहीनों पर मर्सी करके बिहार सरकार ने बिन्द समुदाय को कुर्जी दियारा क्षेत्र में पुनर्वासित कर दी,जहां पर गंगा नदी का मुख्यधारा प्रवाहित होती थी.पांच साल के बाद जमीन का स्वामित्व वाला कागजात निर्गत नहीं किया गया है. 

बताया जाता है कि कुर्जी में पुनर्वासित बिन्द टोली में संचालित राजकीय मध्य विघालय की दोनों टीचर 2016 से ही बच्चों को पढ़ाने नहीं आ रही हैं.दोनों टीचरों ने गोसाई टोला में स्कूल चला रही हैं.यहां के बच्चे डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय करके गोसाई टोला में पढ़ने नहीं जाते हैं.यहां बता दें कि बाढ़ के जलस्तर नीचे चले जाने के बाद पटना नगर निगम के वार्ड संख्या-22 सी की वार्ड पार्षद रजनी देवी की ओर पार्षद प्रतिनिधि पप्पू राय के द्वारा प्रत्येक साल पुल बना दिया जाता है.यह पुल छठ के पहले बनाकर तैयार कर दिया जाता है ताकि छठ व्रतियों को आनेजाने में दिक्कत न हो.इसके साथ ही शहर से बिन्द टोली का संपर्क जुट जाता है.इतना कर देने के बाद भी दोनों टीचर बिन्टो टोली में आकर बच्चों को पढ़ाकर बच्चों का भविष्य नहीं बना दे रही है. 


कहा जाता है कि यह सामान्य भय के स्तर से कुछ गुना ज्यादा कई लोगों में पाया जा सकता है. एक्वाफोबिया या हाइड्रोफोबिया यानी पानी से बहुत ज्यादा डरने की पीड़ा से ग्रसित लोग इतने ज्यादा भयभीत हो जाते हैं कि यदि अनजाने में कोई उनके ऊपर पानी के छींटे या हल्की बौछार भी मार दे तो वे घबरा कर चिल्लाने और चीखने लग सकते हैं.बल्कि कई बार तो वे पानी का गिलास देखकर भी भयभीत हो सकते हैं. 

अपनी कल्पना में वे पानी में डूबने, पानी के अंदर किसी नुकसानदायक चीज के होने आदि के बारे में सोच सकते हैं. ऐसे में एक अच्छा तैराक होते हुए भी कोई व्यक्ति पानी के पास तक जाने से डर सकता है. इस फोबिया से ग्रसित व्यक्ति पानी के किसी भी स्रोत के पास जाने से डरता है और इससे उसके जीवन पर गहरा असर पड़ने लगता है. बोटिंग, स्वीमिंग और यहां तक कि बाथरूम में नहाना भी उसे खतरे के समान लग सकता है. 

इसी के शिकार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, पटना सदर की महिला चिकित्सक भी हैं.वह स्वास्थ्य टीम के साथ नाव पर बैठकर बिन्द टोली में नहीं गयी.ए.एन.एम.के सहारे ही स्वास्थ्य शिविर चला.अब यह जांच का विषय है कि वास्तव में महिला चिकित्सक हाइड्रोफोबिया से ग्रसित है या नहीं.यह तो सत्य है कि स्वास्थ्य टीम गठित होते वक्त उक्त चिकित्सक ने हाइड्रोफोबिया होने का खुलासा नहीं किये.

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