आलोक कुमार
ओड़िसा.भारत के इतिहास का काला दिवस है 25 अगस्त 2008.ठीक 13 साल पहले कंधमाल जिला ने एक भयंकर ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा का सामना किया.इस तबाही से सिस्टर मीना बारवा बच गईं और इस तबाही की एक प्रतीक बन गईं.उक्त सांप्रदायिक दंगे के दौरान एक नन के साथ बलात्कार किया गया.मानसिक अवसाद से ग्रसित नहीं हुई. उक्त नन ने कहा कि मैं इस समय सामान्य और खुशहाल जीवन जी रही हूँ क्योंकि मेरे प्रभु येसु के साथ मेरा संबंध मजबूत है. इसका कारण बेशर्त क्षमाशीलता एवं प्रेम है. जिसको मैंने अनुभव किया है कि मैं नकारात्मकता से मुक्त हूँ. मैं पूर्ण व्यक्ति नहीं हूँ, मैं एक कमजोर मानव हूँ किन्तु मैं महसूस करती हूँ कि इसके लिए मुझे प्रयास करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि मुझे इस बात का यकीन है कि दुःख हमारे जीवन में चुनौती बनकर आते हैं हमें नीचे गिराने के लिए नहीं बल्कि हमें और ऊपर उठाने के लिए. ये हमें धैर्यशील, आशावान, साहसी और समझदार बनाते हैं.हमें शुद्ध और पवित्र करते हैं. इसी तरह येसु की पीड़ा अर्थपूर्ण है और उनकी पीड़ा हमारी पीड़ा को अर्थ प्रदान करती है.हमारे अस्तित्व के दो पहलू हैं.हमें सब कुछ को धन्यवादी हृदय से स्वीकार करना है.
उन्होंने कहा कि मैं अपने जीवन, अपनी शक्ति एवं अपने उद्देश्य के प्रति चेतना के लिए कृतज्ञ हूँ.ये सभी मुझे ईश्वर से मिले हैं.वे ही मेरे बल हैं और उन्होंने ही मुझे दूसरों की सेवा करने का बल प्रदान किया है.2019 में मैंने अपनी लॉ की डिग्री प्राप्त की.अब मैं ओडिशा बार समिति की सदस्य हूँ.मेरा ही केस चल रहा है.तीन लोगों को दोषी ठहराया गया है, और अन्य सभी जमानत पर बाहर हैं.
उन्होंने कहा कि उनके लिए न्याय का अर्थ है न्याय खोजना और खुद न्याय करना, अपराध को रोकना. संत पापा पौल छठवें की याद करते हुए उन्होंने कहा, "यदि आप दुनिया में शांति चाहते हैं तो न्याय के लिए कार्य करें.मैं समझती हूँ कि हमें इसपर चिंतन करना चाहिए."
बताते चले कि ओडिशा के कंधमाल जिले में 2008 के सांप्रदायिक दंगे के दौरान नन से बलात्कार मामले में एक अदालत ने तीन लोगों को दोषी ठहराते हुए छह अन्य को बरी कर दिया है.
डिस्ट्रिक्ट सेशन जज ग्यान रंजन पुरोहित ने मितुआ उर्फ संतोष पटनायक को आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), दो अन्य व्यक्ति गजेंद्र डिगल और सरोज बाहडेई को आईपीसी की धारा 354 के तहत दोषी माना.
कंधमाल जिले के बालीगुड़ा में 25 अगस्त 2008 को नन के साथ बलात्कार हुआ था.23 अगस्त को जलेसपाटा आश्रम में वीएचपी नेता लक्ष्मनानंद सरस्वती की हत्या के बाद आदिवासी बहुल जिले में दंगा हुआ जिसमें 38 लोग मारे गए थे.
नन ने आरोप लगाया था कि उस पर हमला हुआ और उससे गैंगरेप कर अर्धनग्न अवस्था में सड़क पर परेड करवाई गई.मामले की सुनवाई अगस्त 2010 में शुरू हुई थी. ओडिशा पुलिस की अपराध शाखा ने घटना की जांच की और पहले चरण में नौ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था.
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