फ़ज़ल इमाम मल्लिक
राष्ट्रीय जनता दल का कोहराम थम नहीं रहा है. लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव के तेज से राजद नेतृत्व का संकट बढ़ गया है. बिहार की सियासत फिलहाल तेजप्रताप यादव बनाम जगदानंद सिंह से आगे बढ़ गई है और अब इस सियासी संघर्ष में तेजस्वी भी एक छोर पर खड़े दिखाई दे रहे हैं और उनके सलाहकार संजय यादव भी. परिवार के अंदर कलह है. तेजप्रताप बनडमरू बने बज रहे हैं. लेकिन उनके खिलाफ न तो मुखर होकर तेजस्वी बोल रहे हैं और न ही परिवार के दूसरे लोग. इस सन्नाटे को आने वाले तूफान के तौर पर भी देखा जा रहा है. वैसे मामला अब लालू यादव की अदालत में है लेकिन तेजप्रताप ने महाभारत को उद्धृत करते हुए आधा नहीं तो पांच गांव देने की गुहार लगा कर लालू यादव की परेशानी तो बढ़ा ही दी है.
कयास लग रहे हैं कि लालू परिवार में तेजस्वी और तेजप्रताप के बीच की जंग अब निर्णायक मोड़ पर है. तेजप्रताप यादव अब तेजस्वी के साथ उनके सहयोगियों पर हमला बोला है. तेजप्रताप ने तेजस्वी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. सुलह-सफाई की कोशिशें जरूर हो रहीं हैं लेकिन दोनों तरफ से तलवारें म्यान से बाहर हैं और कोई भी इसे म्यान वापस में रखने को तैयार नहीं है.
तेजप्रताप ने तेजस्वी के दिल्ली जाने पर सवाल उठाया है, यह अलग बात है कि एक दिन बाद वे भी दिल्ली निकल लिए. तेजप्रताप ने तेजस्वी के दिल्ली जाने पर सवाल उठाया. उनका कहना था कि बिहार के लोग बाढ़ की परेशानी झेल रहे हैं और तेजस्वी दिल्ली चले गए. उन्हें दिल्ली नहीं जाना चाहिए था. हालांकि तेजप्रताप ने कहा कि तेजस्वी खुद दिल्ली नहीं गए हैं बल्कि उन्हें संजय यादव साथ ले कर गए हैं. संजय यादव तेजस्वी को अपने इशारे पर चला रहे हैं. उन्होंने पूरी पार्टी को बदनाम कर दिया है. पार्टी का हर कार्यकर्ता शिकायत कर रहा है. संजय यादव के कारनामों से पार्टी के हर नेता अवगत हैं.
लालू परिवार में विवाद के केंद्र में थे प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह. तेजप्रताप जगदानंद सिंह को लगातार जलील कर रहे थे. पानी सर से ऊपर पहुंचा तो राजद नेतृतव ने तेजप्रताप के पर कतर डाले. मान-मनौव्वल के बाद जगदानंद फिर से पार्टी कार्यालय आए और तेजप्रताप की हैसियत बता डाली. हालांकि पत्रकारों के सवालों पर जगदा बाबू ने आपा भी खोया और सवाल पूछने वाले पत्रकारों पर भड़ास निकाली. बिहार की नंबर एक पार्टी के अध्यक्ष से इस तरह के रवैये की उम्मीद पत्रकारों को नहीं थी. जगदा बाबू ने तो यह तक कह डाला कि आप लोगों को तेजप्रताप खिला-पिला कर सवाल पूछने को भेजा है. तेजप्रताप ने जगदानंद को शिशुपाल, संजय यादव को दुर्योधन और खुद को कृष्ण बताया. महाभारत का जिक्र करते हुए तेजप्रताप ने कहा कि शिशुपाल का वध कृष्ण ने किया था. अभी हम जगदानंद की गाली सुन रहे हैं. इशारा साफ है. तेजप्रताप ने जगदानंद सिंह के संस्कार पर भी सवाल उठाया. हालांकि तेजस्वी ने कहा था कि तेजप्रताप बड़े भाई हैं लेकिन उन्हें पार्टी का अनुशासन मानना पडेगा. हमारे मां-पिता ने बड़ों का सम्मान करने का संस्कार दिया है. वैसे तेजप्रताप की यह बात वाजिब है कि जगदा बाबू कार्यकर्ताओं के साथ अच्छा सलूक नहीं करते. वे पार्टी के अध्यक्ष कम, किसी कंपनी के सीईओ की तरह व्यवहार ज्यादा करते हैं. अनुशासन को लेकर वे सख्त हैं और इससे पार्टी कार्यकर्ताओं को परेशानी होती है.
सवाल यह है कि क्या राजद तेजप्रताप के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करेगा या लालू के बेटे होने का लाभ उन्हें फिर मिलेगा. यह बात दीगर है कि उन पर कार्रवाई होती है तो भी और नहीं होती है तो भी, राजद की राह में तेजप्रताप कांटे बोते रहेंगे. लोकसभा चुनाव के वक्त भी राजद ने उनकी पार्टी विरोधि गतिविधियों को नजरअंदाज किया था. तेजप्रताप ने पिछले लोकसभा चुनाव में राजद उम्मादवारों के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे थे और इससे राजद को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. उनकी नकेल तभी कसी जाती तो शायद नौबत यहां तक नहीं आती. लेकिन राजद परिवार ने परिवार के बड़े बेटे को लगातार शह दिया और नतीजा आज सामने हैं. वे बनडमरू बन रहे बज रहे हैं और राजद नेता बेबसी से तमाशा देख रहे हैं, विपक्ष की मौज है वे परिवार के कलह को हवा देने में लगा है और सियासी तौर पर यह गलत भी नहीं है.
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