पटना.अफगानिस्तान में महिला अधिकारों की रक्षा के लिए पटना में एकजुटता प्रदर्शन.अमेरिकी साम्राज्यवाद और तालिबानी तानाशाही के खिलाफ नारा बुलंद किये.महिलाओं ने नारा लिखित प्ले कार्ड भी प्रदर्शित किये. सर्वविदित है कि अमेरिका ने 20 वर्षों तक अफगानिस्तान पर कब्जा जमाए रखा. आज उसे अपनी हार मानते हुए पीछे हटना पड़ा है. लेकिन ठीक इसी समय हम यह भी ध्यान दिलाना चाहते हैं कि तालिबान ने वहां अपना वर्चस्व स्थापित होते ही महिलाओं के अधिकारों पर हमले शुरू कर दिए हैं. हम यह कहना चाहते हैं कि वहां जो भी सरकार बने, महिलाओं के अधिकारों में किसी तरह की कटौती नहीं होनी चाहिए.
हम अफगानी महिलाओं के साथ खड़े हैं और एकजुटता प्रदर्शित करते हैं जो अपने अधिकारों के लिए अफगानिस्तान के भीतर आवाज उठा रही हैं. 90 के दशक में जब तालिबान वहां सत्ता में था उस समय भी महिलाओं को कैद कर दिया गया था, शिक्षा रोजगार से लेकर तमाम क्षेत्रों से उन्हें बाहर कर दिया गया था, उनपर बेतरह हमला और हिंसा की जा रही थी, इस बार फिर तालिबान ने आते ही महिला अधिकारों पर हमला शुरू कर दिया है इसलिए हम अफगानिस्तान के भीतर महिला अधिकारों के प्रति चिंतित हैं और वहां संघर्षरत महिलाओं के साथ हैं.
हम भारत की महिलाएं अपने देश के भीतर संघ परिवार द्वारा महिलाओं की गुलामी को जिस तरह स्थापित करने की कोशिश है उसके खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं. हम महिलाओं को दोयम दर्जे का इंसान समझने और पुरुषों की अधीनस्थ समझने के अलोकतांत्रिक और पितृसत्तात्मक सोच के खिलाफ खड़े हैं. महिलाओं की आजादी और पुरुषों के बराबर इंसान समझने के उनके अधिकारों के लिए संघर्षरत दुनिया की तमाम बहनों के साथ एकजुट होकर खड़े हैं.
साम्राज्यवादी अमेरिका हो या तालिबान इन दोनों ही के मंसूबोंऔर अत्याचारों के खिलाफ अफगानिस्तान में महिला अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए.मार्च और सभा को ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, शशि यादव,बिहार महिला समाज की निवेदिता, मोना झा, नागरिक जन पहल की कंचनबाला, महिला हिंसा के खिलाफ नागरिक पहल,ए आइ एम एस एस की अनामिका, विमुक्ता की आकांक्षा, शशि यादव, ए एस डब्ल्यू एस की आसमां खान, न्यू लाइफ फांउडेशन की तब्बसुम,नारी गुंजन की संध्या समेत कई महिलाओं ने संबोधित किया.
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