लखनऊ . समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि गरीबी तो हटी नहीं, गरीब की हालत और खराब हो गई. बल्कि गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की संख्या बराबर बढ़ती गई है. भाजपा ने सत्ता मे आने के लिए पहली सरकारों से भी बढ़-चढ़कर वादे किए और अपने वादे भूलने में देर नहीं की. गरीब पर भाजपा राज में चौतरफा मार पड़ी है.
भाजपाराज में आज जनसामान्य की जिंदगी दूभर हो गई है. मंहगाई की मार ने लोगों की कमर तोड़ दी हैं. पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों ने खाद्य पदार्थों के दामों में आग लगा दी है तो अब घरेलू ईंधन गैस के दामों में बढ़ोतरी से घरेलू अर्थ व्यवस्था चौपट हो गई है. महिलाओं को इससे सर्वाधिक कष्ट पहुंचा है.
जुलाई से लेकर अगस्त महीने के बीच रिफाइंड, सरसों का तेल और अरहर की दाल के दामों में 5 से 10 रूपए की बढ़ोत्तरी हुई है. वहीं थोक में चीनी के दाम जहां गतमाह 36 सौ रूपये प्रतिकुंटल थे अब 39 सौ रूपये प्रतिकुंटल हो गए है, इसमें और भी वृद्धि की सम्भावना है. जबसे भाजपा सरकार आई है तभी से खाने पीने की चीजों में लगातार बढ़ोतरी हुई है. सरसों का अगस्त 2021 में 170 रूपये प्रति लीटर हो गया है.
समझ में नहीं आता है कि घर-गृहस्थी पर चोट करके भाजपा को क्या मिल रहा है? एक ओर जहां उज्ज्वला योजना का प्रचार हो रहा है तो दूसरी ओर ऐसे हालत पैदा किए जा रहे हैं कि गरीब या मध्यम वर्गीय दुबारा गैस सिलेण्डर ही नहीं खरीद पाए.
भाजपा सरकार डेढ़ साल पहले ही गैस पर सब्सिडी बंद कर चुकी है. पिछले वर्षों में गैस सिलेण्डर के दामों में दोगुनी से ज्यादा मूल्य वृद्धि हुई है. सब्सिडी वाले एल.पी.जी. गैस सिलेण्डर की कीमत में एक जनवरी से कुल 165 रूपए प्रति सिलेण्डर की बढ़ोत्तरी हुई है. लखनऊ में अब यह रसोई गैस सिलेण्डर 897.50 रूपए में मिल रहा है.
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि महंगाई का दबाव फिर बन सकता है. जनता रोज-रोज की इस महंगाई से बुरी तरह त्रस्त हो चुकी है. अब उसने ठान लिया है कि वह सन् 2022 में किसी भी हालत में भाजपा को फिर सत्ता में नहीं आने देगी.
राज्य की जनता का भरोसा समाजवादी पार्टी पर है जिसने विकास को गति दी थी और जनसामान्य के जीवन को समाजवादी सरकार में सुविधाजनक बनाया था. 2022 की समाजवादी सरकार में राज्य का विकास होगा और अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाएगी.
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