आलोक कुमार
मुजफ्फरपुर.इस जिले के प्रतिष्ठित प्रभात तारा स्कूल भी जलजमाव में डूबा है, हर एक घर काला 'जल' पहुंचा देने वाली इस सरकार को क्या कहेंगे आप? यह कहा गया कि जब यहां के चक्कर मैदान में भी पानी लगा है, तो स्कूल में तो लगना जरूरी है.
बताया गया कि 1950 से मुजफ्फरपुर में स्थित प्रभात तारा स्कूल संचालित है.विश्व विख्यात होली क्रॉस सोसाइटी की सिस्टर्स शिक्षण और गैर शिक्षण कार्यों का प्रबंधन करती हैं.यहां पर लड़कों को सिर्फ पांचवीं कक्षा तक की पढाई की व्यवस्था की गयी है.लड़कियों के लिए दस जमा दो तक हिंदी और अंग्रेजी संवर्ग में शिक्षा दी जाती है.
यहां के चक्कर मैदान में पानी लगा है, तो स्कूल में तो लगना जरूरी है.जिले के प्रतिष्ठित प्रभात तारा स्कूल भी जलजमाव में डूबा है.सरकारी योजना है कि हर घर में जल पहुंचा देंगे तो स्कूल में भी जलभराव हो गया है.इस बीच कोरोना काल में बंद स्कूलों को खोला जा रहा है.पहली से आठवीं कक्षा खोलने के पहले ही बंद कर दिया गया.यहां यह कहावत चरितार्थ हुआ सिर मुड़ाते ही ओले पड़े. इसका यह अर्थ होता है कि काम शूरू करते ही बाधाएं आना शुरू हो जाती हैं.
प्रभात तारा स्कूल के बारे में अनुभव के आधार पर सुनीता सिंह कहती हैं कि इतना हमारे समय में स्कूल परिसर में पानी नहीं जमा होता था. इस पर बीना सिंह कहती हैं कि ऐसा तो 40 साल पहले भी होता था जब बहुत तेज बारिश होती थी और हमलोगों को बरसात के दिन की छुट्टी मिल जाती थी.
वंदना शर्मा ने कहा कि इतना पानी हमारे समय नहीं लगा करता था. श्रद्धा कुमार ने कहा कि मुझे लगता है कि यह बहुत अधिक बारिश और खराब जल निकासी के कारण हो रहा है.यह तो स्मार्ट सिटी मुजफ्फरपुर को मुंह चिढ़ा रहा है. स्मार्ट सिटी के बारे में रीना कश्यप कहती हैं कि सबसे पहले खराब ड्रेनेज सिस्टम ही है.
विशाल पाराशरी का कहना है कि पुराने अलुमनाई में प्रत्यय अमृत भी हैं.सर प्रत्यय अमृत भारतीय राज्य बिहार में एक भारतीय वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी है और जिसे गांवों के विद्युतीकरण कार्य, बिजली विभाग के कामकाज को सुव्यवस्थित करने और बिहार में सड़कों और पुलों का निर्माण करने के लिए जाना जाता है.उनके पास फोटो और वीडियों भेजना चाहिए.उनसे उचित प्रतिक्रिया लेनी चाहिए और बाद में संबंधित प्राधिकारी को आवेदन देना चाहिए.पुराने अलुमनाई प्रत्यय अमृत अधिकारियों को
निर्देश भी दे सकते हैं.
रचना कंचन भवसिंका कहती है कि हमारे टाइम में तो इतना पानी नहीं लगता था.ज्यादा बारिश होती थी फिर भी बरसात के मौसम में पानी जमा नहीं होता था.अंजना जलाली तो इतना पानी देखकर भगवान को याद करने लगी.हे ! भगवान इतना पानी यो कभी नहीं होता था अजब हो गया.च
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