नीतीश के पत्र का जवाब नहीं दे रहे हैं मोदी -तेजस्वी

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नीतीश के पत्र का जवाब नहीं दे रहे हैं मोदी -तेजस्वी

आलोक कुमार 
पटना.विपक्षी राजद ने शुक्रवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह जाति आधारित जनगणना कराने के राज्य की ‘‘एकमत’’ मांग से वह पीछे हट रही है.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चार अगस्त को भेजे गए पत्र का जवाब प्रधानमंत्री  नहीं दे रहे हैं.सीएम ने दस दिन पहले पत्र लिखकर प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर चर्चा के लिए मुलाकात करने का समय मांगा था. 

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि जाति जनगणना को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएम मोदी को पत्र पहले ही लिख चुके हैं.हमलोग इस मामले में नीतीश कुमार से भी मुलाकात हो चुकी है जिस पर बिहार में सत्तापक्ष और विपक्षी पार्टियों की सहमति भी बन गई लेकिन केंद्र सरकार इस पर आनाकानी कर रही है. पीएम मोदी से मुलाकात का समय मांगा है लेकिन इस मुद्दे पर पीएम के तरफ से मिलने का कोई समय नहीं दिया जा रहा. नीतीश कुमार भी पीएम मोदी से मिलने का समय मांग रहे हैं उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है. 

आज शुक्रवार को राजद के नेता तेजस्वी यादव ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में चेतावनी दी कि अगर नरेंद्र मोदी सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो राज्य के नेता ‘‘जंतर-मंतर पर तब तक धरना देंगे जब तक कि उनकी बात नहीं सुनी जाती है.आज नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव प्रधानमंत्री के नाम से पत्र जारी किया है.इस पत्र को प्रधानमंत्री को भी भेजा गया है. 

उन्होंने पत्र में लिखा है कि देश में समावेशी विकासात्मक कार्यों को समुचित गति देने के लिए नीति निर्धारण ,बजट आवंटन एवं टीम इंडिया में सबका साथ,सबका विकास,सबका विश्वास नारे अंतर्गत सामूहिक लक्ष्य प्राप्त करने की अपेक्षित प्रगति तथा वास्तविक जनसंख्या की जानकारी के लिए भारत सरकार द्वारा प्रत्येक 10 वर्षों में जनसंख्या करायी जाती है. 

वर्ष 2021 में प्रस्तावित जनगणना में युगों-युगों से उत्पीड़ित, उपहासित, उपेक्षित और वंचित पिछड़े एवं अति पिछड़े वर्गों की जातीय जनगणना  नहीं कराने की सरकार द्वारा संसद में लिखित सूचना दी गयी है जो दुर्भाग्यपूर्ण है.पिछड़े-अति पिछड़े वर्ग युगों से अपेक्षित प्रगति नहीं कर पा रहे हैं.ऐसे में यदि अब जातिगत जनगणना नहीं कराई जाएगी तो पिछड़ी जातियों की शैक्षणिक, सामाजिक ,राजनीतिक व आर्थिक स्थिति का ना तो सही आकलन हो सकेगा,ना ही उनकी बेहतरी व उत्थान संबंधित समुचित नीति निर्धारण हो पाएगा और ना ही उनकी संख्या के अनुपात में बजट का आवंटन हो जाएगा. 

सर्वविदित है कि हमारी मांग और प्रस्ताव पर भारतीय जनता पार्टी सहित बिहार की राजनीतिक पार्टियों के बिहार विधानसभा में निर्वाचित माननीय सदस्यों ने उत्साहपूर्वक सर्वसम्मति से एक स्वर में दो बार क्रमश:18 फरवरी 2019 एवं 27 फरवरी 2020 को जातिगत जनगणना कराने के लिए प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से अनुरोध किया था.केन्द्र और बिहार राज्य दोनों जगह एन.डी. ए.सरकार है और एन.डी.ए.के सभी दलों के माननीय सदस्यों का भी हमारे इस प्रस्ताव के पक्ष में पूर्ण समर्थन था. 

वर्ष 2019 में तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने देश को 2021 में जातीय जनगणना कराने का ठोस आश्वासन दिया शायद एक कारण यह भी था कि बिहार की बहुसंख्यक बहुजन आबादी ने राज्य की कुल 40 लोकसभा सीटों में से एन.डी.ए.को 39 सीटें जिताने का कार्य किया.बिहार एवं केंद्र में एन.डी.ए.की ही सरकार है.तो स्वाभाविक है कि यहाँ के सभी लोगों को आपसे जातिगत जनगणना कराने की अपेक्षा है. 

अंत में तेजस्वी लिखते है कि मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि आप बिहार राज्य की जनगणना को ध्यान में रखते हुए बिहार विधानसभा द्वारा समवेत स्वर में पारित " प्रस्तावित जनगणना- 2021 जातिगत आधार पर हो" के आधार पर ही वर्ष 2021 में प्रस्तावित जनगणना के साथ जातिगत जनगणना कराने का आदेश संबंधित विभाग/प्राधिकार को देना चाहेंगे. 

नेता प्रतिपक्ष ने ट्वीट कर कहा है कि जातिवार जनगणना की माँग जात-पात की राजनीति नहीं बल्कि देशहित मानवहित में तथा गरीब व वंचित समाज के उत्थान के लिए एक अत्यावश्यक कदम है। कोई वर्ग यह ना समझे कि जातिगत जनगणना करवाना उनके हितों को दबाने वाला कदम होगा। जातिगत जनगणना देश के विकास में एक क्रांतिकारी कदम होगा. 
 

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