लखनऊ. भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) की राज्य इकाई ने मांग की है कि सीएम योगी पर से आपराधिक मुकदमे हटाने की भी न्यायिक समीक्षा होनी चाहिए. पार्टी ने यह मांग सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंगलवार को दिए उस निर्देश के आलोक में की है, जिसमें शीर्ष कोर्ट ने राज्य सरकारों द्वारा एमपी-एमएलए पर से हाई कोर्ट की इजाजत के बिना मुकदमे वापस लेने पर रोक लगा दी है. साथ ही, 16 सितंबर 2020 से वापस लिए गए, विचारधीन व निस्तारित ऐसे मुकदमों की समीक्षा करने का भी निर्देश दिया है.
राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए खुद के खिलाफ एमपी रहने के दौरान अतीत में दर्ज आपराधिक मुकदमों को वापस करवा लिया था. इनमें साम्प्रदायिक हिंसा भड़काने समेत कई गंभीर किस्म के आरोप थे. वापस किये गए मुकदमों में पीड़ित पक्षों को न्याय नहीं मिला।
कामरेड सुधाकर ने कहा कि कुख्यात मुजफ्फरनगर दंगे में आरोपी भाजपा के हाई प्रोफाइल नेताओं जिनमें वर्तमान एमपी-एमएलए-मंत्री शामिल हैं, के खिलाफ दर्ज कई मुकदमे भी योगी सरकार ने वापस कराए. सरकार ने उनके किये अपराधों की सजा न दिलाकर न्यायिक व्यवस्था व लोकतंत्र का न सिर्फ मखौल उड़ाया, बल्कि दंगा पीड़ितों के साथ दोहरा अन्याय किया. इन सभी मुकदमों की समीक्षा कर न्याय करने और लोकतंत्र को स्थापित करने का जिम्मा उच्च न्यायपालिका को लेनी चाहिए.
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