फज़ल इमाम मल्लिक
पटना .राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने बिहार सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ हल्ला बोल दिया है. मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार की वजह से बच्चों की मौत पर सरकार की लापरवाही और नीतीश कुमार की संवेदनहीनता को मुद्दा बना कर रालोसपा ने सड़कों पर आरपार का फैसला किया है. पहले मुजफ्फरपुर में पार्टी प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की अगुआई में महाधरना दिया और अब ‘नीतीश हटाओ-भविष्य बचाओ’ के नारे के साथ मुजफ्फरपुर से पटना तक के लिए पद यात्रा पर निकले. एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) यानी चमकी बुखार से हुई मासूमों की मौत के विरोध में कुशवाहा की यह यात्रा छह जुलाई को पटना पहुंचेगी. इस दौरान वे कई गांवों और कस्बों में लोगों से मिलते हुए आगे बढ़ेंगे और नीतीश सरकार के खिलाफ जन समर्थन जुटाने की कोशिश करेंगे.
कुशवाहा ने नीतीश कुमार के इस्तीफे की मांग को लेकर यह पदयात्रा शुरू की है. उपेंद्र कुशवाहा ने मुजफ्फरपुर के शहीद खुदीराम बोस स्मारक स्थल से माल्यर्पण के बाद पदयात्रा शुरू की. पांच दिनों तक चलने वाली यह पदयात्रा मुजफ्फरपुर से शुरू हुई है, जो पटना में जाकर खत्म होगी. कुशवाहा ने कहा है कि बिहार में मासूमों की लगातार हो रही मौतों की वजह से उन्हें आंदोलन शुरू करना पड़ा है. उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार ने चौदह साल के शासनकाल में चमकी बुखार से निपटने के लिए कोई कदम नहीं उठाया. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के इस्तीफे को लेकर आंदोलन चलता रहेगा.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिहार में डॉक्टरों के ढेरों पद खाली है, लेकिन सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है. बच्चों की मौत पर नीतीश कुमार अपना चेहरा बचा रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार सिर्फ घोषणा कर रही है. पदयात्रा के पहले दिन बीस किलोमीटर की यात्रा तय कर मुजफ्फरपुर के सरैया स्थित सकरी में रात्रि विश्राम होगा. इसके बाद वैशाली के लालगंज और हाजीपुर में रात्रि विश्राम कर पांच जुलाई की रात्रि पटना में रात्रिविश्राम होगा. छह जुलाई को पटना के शहीद स्मारक पर जाकर पदयात्रा की समाप्ति होगी.
कुशवाहा ने विपक्षी दलों को साथ लेकर मुख्यमंत्री के इस्तीफे तक आंदोलन जारी रखने का एलान किया है. पार्टी परचे बांटकर स्वास्थ्य क्षेत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विफलता को भी उजागर किया जा रहा है. डॉक्टर और नर्सों के स्वीकृत पदों में से आधे से भी काफी कम संख्या में चिकित्सकों और नर्सों की तैनाती पर सवाल खड़ा किया गया है. परचे में बताया गया है कि राज्य में कुल स्वास्थ्य केंद्र 11 हजार 861 हैं, लेकिन डॉक्टरों के स्वीकृत पद महज नौ हजार 563 हैं. राज्य में जितने डॉक्टर कार्यरत हैं उससे हरेक अस्पताल में एक चिकित्सक की तैनाती भी संभव नहीं है. इसी तरह ग्रेड ए नर्स और एएनएम की बहाली के मामले में भी सरकार ने रुचि नहीं दिखाई है. चमकी बुखारी ने तूल पकड़ लिया है.
बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा भी है कि स्वास्थ्य सेवाएं बिहार में खस्ताहाल है और आधे से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. यानी सरकार ने रालोसपा के आरोपों को सही साबित किया है. चमकी बुखार में बच्चे मरते रहे और सरकार सोती रही. सैकड़ों बच्चों की मौत के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुध आई और वे सत्रह दिन बाद मुजफ्फरपुर के अस्पताल गए लेकिन तब तक सैकड़ों बच्चों की चमकी बुखार लील चुका था. सरकार ने जिस तरह का रवैया अपनाया वह आपराधिक लापरवाही ही कहा जा सकता है. नीतीश कुमार ने विधानसभा में माना कि गरीबों के बच्चों की मौत हुई जिन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिला. इससे सुशासन पर भी सवाल तो खड़ा होता ही है.
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