दुमका.भारत के जाने माने नाटककार तथा टीवी व फ़िल्म अभिनेता हैं पंकज कपूर.वे अनेकों टीवी धारावाहिकों तथा फ़िल्मों में अभिनय कर चुके हैं.टीवी शो 'ऑफिस ऑफिस' में उनके किरदार को जबरदस्त प्रसिद्धी मिली. सिस्टम के भ्रष्टाचार को व्यंग के रूप में पेश करने वाले इस शो में उन्होंने मुसद्दीलाल का किरदार निभाया था.इस टीवी धारावाहिक में मुसद्दीलाल जीर्वित हैं मगर ऑफिस-ऑफिस के बाबुओं ने मुसद्दीलाल को मृत घोषित कर दिया.काफी मशक्कत करने के बाद सरकारी कागज पर मृत मुसद्दीलाल को कागज पर जीर्वित कर पाने में सफल हो सका.
इसी तरह की सच्ची घटना आलोक में आया है.दुमका ज़िले के सरैयाहाट प्रखंड के कोल्हाडी गांव के 75 वर्षीय लुबिन मांझी और उनकी पत्नी को 2011 में जनगणना सर्वे में मृत घोषित कर दिया गया. यह बात उन्हें तब पता चली जब लुबिन मांझी प्रखंड कार्यालय में वृद्धावस्था पेंशन के लिए गए. लेकिन लुबिन का आवेदन इसलिए रद्द कर दिया गया क्योंकि कागज़ पर वह ज़िंदा नहीं थे. इस बीच लुबिन के नाम पर सरकारी आवास भी स्वीकृत हुआ, लेकिन वह भी इसी घालमेल के चलते नहीं मिल सका.
झारखंड में दुमका जिले के रक्शा पंचायत स्थित कुल्हड़िया गांव के लुबिन मांझी और उसकी पत्नी को सरकारी कागजों में मृत घोषित कर दिया गया है जबकि लुबिन मांझी और उसकी पत्नी अभी जिंदा हैं.पिछले 10 साल से लुबिन खुद को जिंदा होने का सबूत अधिकारियों को दिखाते फिर रहे हैं, लेकिन उनकी कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही. इसके कारण उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा.
बेटे से अलग जर्जर क्षतिग्रस्त मकानों में दर्द को संजोये रह रहे लुबिन सिस्टम की लापरवाही ने जीते जी मार देने से काफी दुखित हैं. वह ऐसी गलती करने वाले सरकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. जिले के डीसी रवि शंकर शुक्ला ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई का भरोसा जताया है और कहा कि फिलहाल बुजुर्ग दंपति की पेंशन योजना स्वीकृत कर ली गई है. उन्होंने कहा कि जिन कर्मियों के कारण वृद्ध लुबिन मांझी को तकलीफ उठानी पड़ी उसपर कार्रवाई की जाएगी.
उम्र के अंतिम पड़ाव पर जिस बुजुर्ग को आश्रय और मदद मिलनी चाहिए उन्हें मृत घोषित कर सरकारी लाभ से वंचित करना सरकारीकर्मियों की लापरवाही को उजागर कर उनके संवेदनहीनता को भी दर्शाता है. लगातार 10 साल से सरकारी बाबुओं के चौखट पर एड़ी रगड़ने वाले दंपति न्याय नहीं मिलने से काफी दुखी हैं, लेकिन इस 75 वर्षीय दंपति ने हार नहीं मानी और उन्हें आस है कि एक दिन उन्हें न्याय जरूर मिलेगी. बहरहाल वृद्ध दंपति इसी आस में रोज सरकारी बाबुओं के दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं.
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