प्रार्थना और श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई

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प्रार्थना और श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई

आलोक कुमार 
रांची.रांची में है जेवियर समाज सेवा संस्थान (एक्सआईएसएस). यहां पर शनिवार को शहीद फादर स्टेन स्वामी की याद में प्रार्थना और श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई. प्रार्थना सभा में कोविड-19 प्रोटोकॉल के कारण कम लोगों की उपस्थिति रही. 

इस समय देशभर से और विदेशों में भी लोगों ने प्रार्थना सभा की लाइव स्ट्रीम देखी.84 वर्षीय भारतीय जेसुइट फादर और आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी का बीते 5 जुलाई को मुंबई के बांद्रा स्थित होली फैमिली अस्पताल में न्यायिक हिरासत में निधन हो गया था. 

जल,जंगल,जमीन की जंग लड़ने वाले शहीद को विघुत शवगाह में अग्नि को समर्पित किया गया.दिवंगत की राख को एक मिट्टी के बर्तन में सभास्थल पर लाते समय ईश्वर के गीतों को गाते लाया गया और स्टेज पर उनकी तस्वीर के साथ रखा गया. इसमें रांची महाध आर्चबिशप फ़ेलिक्स टोप्पो, बिशप थियोडोर मसकरेनहंस और फादर अजित कुमार खेस शामिल थे.  

सबने फादर स्टेन स्वामी की याद में मोमबत्तियां जलाईं और उनकी तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की.एक्सआईएसएस के निदेशक डॉ जोसेफ मरियानुस कुजूर ने कहा कि हम फादर स्टेन स्वामी की मृत्यु पर शोक व्यक्त करते हैं, पर हम वास्तव में उनकी मृत्यु में उनके जीवन का जश्न मना रहे हैं.उनके निधन में हम नफरत, असमानता और उनके साथ हुए अन्याय के बीच प्यार, समानता और न्याय का जश्न मनाते हैं. कहा कि यह बहुत आश्चर्यजनक है कि पिछले 50 वर्षों में उनपर किसी ने उंगली तक नहीं उठाई, लेकिन पिछले दो-ढाई वर्षों में उनकी नागरिकता और अखंडता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिये गए थे. वे बेजुबानों की आवाज थे.विस्थापन, भूमि-अलगाव, सरकारी नीतियों, भूमि अधिग्रहण, खनन, स्व-शासन और पंचायती राज संस्थानों, आदिवासी अधिकार, वन अधिकार, पत्थलगड़ी, विचाराधीन कैदियों आदि जैसे ज्वलनशील मुद्दों पर वे बड़े पैमाने पर लिखते थे. 

यह प्रार्थना सभा दक्षिण एशिया, दिल्ली के जेसुइट्स सम्मेलन का एक संयुक्त आयोजन था.जेसुइट प्रांत के सेंट्रल जोन में क्रमशः रांची, जमशेदपुर, हजारीबाग, दुमका-रायगंज और मध्य प्रदेश प्रांत शामिल हैं. प्रार्थना सभा में लाई गई स्वर्गीय फादर स्टेन स्वामी की राख को 13 जुलाई को आयोजित होनेवाली स्मारक सेवा के लिए रांची के बाहरी इलाके में स्थित दिवंगत फादर के कार्यक्षेत्र बगाइचा ले जाया जाएगा. प्रार्थना सभा में फादर संतोष मिंज, मध्य क्षेत्र जेसुइट प्रांतों के अध्यक्ष और हजारीबाग प्रांत के प्रोविंशियल, जमशेदपुर, दुमका-रायगंज और मध्य प्रदेश के जेसुइट प्रांत के प्रोविंशियल और समुदाय के फादर, ब्रदर व सिस्टर्स भी उपस्थित थे. प्रार्थना सभा के लाइव स्ट्रीम का संचालन फादर फ्रांसिस डेविड कुल्लू के मार्गदर्शन में हुआ. 

फादर स्टेन की मौत के बाद 'राजनीतिक' कैद की समाप्ति का आह्वान 

हिरासत में 84 वर्षीय कैथोलिक पुरोहित फादर स्टेन स्वामी की मौत के बाद भारत के विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द को एक पत्र लिखकर उन सभी क़ैदियों की रिहाई का आह्वान किया जो "राजनीति से प्रेरित मामलों के लिये" जेल में बंद हैं. 

फादर स्टेन स्वामी की मौत के दो दिन बाद उक्त पत्र प्रकाशित किया गया. 84 वर्षीय येसु धर्मसमाजी फादर स्टेन स्वामी की 05 जुलाई को कोविद-19 महामारी से मुम्बई के एक अस्पताल में मृत्यु हो गई थी, उस समय वे बारम्बार ज़मानत के ठुकरा दिये जाने के बाद हिरासत में ही थे. 

काँग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी सहित भारत के कई विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द से आग्रह किया कि वे प्रत्यक्ष हस्तक्षेप करे ताकि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार फादर स्टेन पर "झूठे मामले थोपने, जेल में उनकी निरंतर नजरबंदी करने तथा उनके विरुद्ध अमानवीय व्यवहार के लिए ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे." 

पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले 12 विपक्षी नेताओं में कई भारतीय राज्यों के मुख्यमंत्री, कम्युनिस्ट नेता और पूर्व प्रधान मंत्री एच.डी. देवे गौड़ा भी शामिल हैं. 

उन्होंने अपने पत्र में कहा कि फादर स्वामी को उनकी विभिन्न बीमारियों के इलाज से वंचित कर दिया गया था, जिसमें पार्किंसंस रोग भी शामिल है."एक राष्ट्रव्यापी अभियान के बाद ही जेल में उन्हें पीने के लिए तरल पदार्थ उपलब्ध कराया गया था।" 

फादर स्टेन उन 16 कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों में शामिल थे, जिन पर मोदी सरकार को अस्थिर करने के लिए ग़ैरकानूनी माओवादियों के साथ साजिश रचने का आरोप था। 2018 में महाराष्ट्र के भीमा कोरेगाँव नामक गाँव में एक हिंसक घटना में शामिल होने का आरोप लगाकर फादर स्टेन को विगत अक्टूबर माह में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) गिरफ्तार कर लिया गया था. 

इसमें मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाली वकील सुधा भारद्वाज भी हैं.जो करीब तीन दशकों तक छत्तीसगढ़ में काम किया है. सुधा पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की राष्ट्रीय सचिव भी हैं. 

उन्हें अगस्त 2018 में पुणे पुलिस द्वारा जनवरी 2018 में भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा और माओवादियों से कथित संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.उन पर हिंसा भड़काने और प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के लिए फंड और मानव संसाधन इकठ्ठा करने का आरोप है, जिसे उन्होंने बेबुनियाद बताते हुए राजनीति से प्रेरित कहा था.

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