"राजभवन घेराव" विरोध प्रदर्शन पंद्रह को

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"राजभवन घेराव" विरोध प्रदर्शन पंद्रह को

आलोक कुमार 
रांची.झारखंड का नया राज्यपाल रमेश बैस बनाया गया है.इसके पूर्व त्रिपुरा के राज्यपाल और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री रह चुके नव नियुक्त राज्यपाल रमेश बैस का स्वागत 15 जुलाई को "राजभवन घेराव" विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया गया है.भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक साधारण कार्यकर्त्ता की हैसियत से रायपुर नगर निगम, मध्य प्रदेश विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव जीत चुके रमेश बैस को फादर स्टेन स्वामी की मौत की न्यायिक जांच, यूएपीए को निरस्त करने और सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग की जाएगी. 

मालूम हो कि तमिलनाडु के त्रिची जिले के विरागलूर गांव में रहने वाले स्टैनिस्लॉस लोर्दूस्वामी उर्फ फादर स्टेन स्वामी एक रोमन कैथोलिक पादरी थे.फादर स्टेन स्वामी से विख्यात हैं.फादर स्टेन स्वामी की मौत न्यायिक हिरासत में हो गयी.उनके परिवार तो गमगीन हैं ही बल्कि देश-विदेश-प्रदेश के आम से खास लोगों के बीच में भी व्यापक आक्रोश व्याप्त है.राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 8 अक्टूबर 2020 को एल्गार परिषद मामले में कड़े गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत रांची के नामकुम थाना क्षेत्र के बगईंचा स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया था. और नवी मुंबई के तलोजा सेंट्रल जेल में बंद कर दिया था. 

2018 में भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के बाद पुणे पुलिस ने कई वामपंथी कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों के घरों और दफ़्तरों पर छापे मारे थे. पुलिस ने उनके लैपटॉप, हार्ड डिस्क और दूसरे दस्तावेज़ ज़ब्त किए थे.इनसे मिले दस्तावेज़ों को अदालतों में सबूत के तौर पर पेश करते हुए पुलिस ने दावा किया था कि इसके पीछे प्रतिबंधित माओवादी संगठनों का हाथ था. यद्यपि अमेरिका के जाने माने समाचार पत्र ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने अमेरिका की एक साइबर फ़ोरेंसिक लैब की जाँच रिपोर्ट के आधार पर दावा किया था कि इस मामले में गिरफ़्तार किए गए कम-से-कम एक व्यक्ति के ख़िलाफ़ सबूत प्लांट किए गए थे. रोना विल्सन, वरवर राव, सुधा भारद्वाज, आनंद तेलतुंबडे, गौतम नवलखा, सोमा सेन समेत 16 से अधिक सामाजिक कार्यकर्ताओं को इस मामले में गिरफ़्तार किया गया है. 

शुरुआत में इस मामले की जांच पुणे पुलिस ने की थी, बाद में नेशनल इंवेस्टिगेटिव एजेंसी (एनआईए) को इसकी जांच सौंप दी गई. एनआरसी और दिल्‍ली दंगों के मामले में भी मानवाधिकार हनन और उत्पीड़न स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है.अब तो यह एक प्रथा ही बन गई है कि सरकार और सत्तारूढ़ दल से असहमति के कारण किसी भी व्यक्ति को बिना किसी सबूत के देशद्रोह के काले कानून के अंतर्गत जेल भेज दिया जाए.स्टेन स्वामी के ऊपर सीपीआई (माओवादी) का सदस्य होने के आरोप लगे. 8 अक्टूबर 2020 को NIA ने उन्हें रांची स्थित उनके फादर स्टेन स्वामी को नामकुम थाना क्षेत्र के बगईंचा स्थित उनके घर से गुरुवार की रात को गिरफ्तार किया. करीब 20 मिनट तक एनआइए की टीम स्वामी के घर में रही. फिर उन्हें गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई.घर से गिरफ्तार कर लिया. - अगले दिन यानी 9 अक्टूबर 2020 को उन्हें मुंबई स्थित NIA की स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया और एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट फाइल की गई. 

आ‍दिवासी और वंचितों के अधिकार के लिए मुखर रहने वाले और भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में आरोपी स्‍टेन स्‍वामी का सोमवार को निधन हो गया. मुंबई के होली फैमिली हॉस्पिटल में उन्होंने आखिरी सांस ली. स्‍टेन स्‍वामी की जमानत याचिका पर सोमवार को ही सुनवाई होनी थी. उनके निधन पर बहुत सारे लोगों ने शोक जताया है. विपक्ष के नेताओं ने केंद्र पर निशाना साधते हुए बुजुर्ग सामाजिक कार्यकर्ता की गिरफ्तारी को राष्‍ट्रीय अपमान और उनकी मौत को हत्या बताया है.स्टेन स्वामी की मौत एक संस्थागत हत्या है. 

कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए, फादर स्टेन के नश्वर अवशेषों को अंतिम संस्कार के लिए शिवाजी पार्क में दफनाने के बजाय ले विघुत शवगाह में ले जाया गया.उनकी अस्थियों व राख को उनके गृह राज्य झारखंड में वापस लाया जाएगा, जहां  जमशेदपुर और रांची में प्रार्थना सभा आयोजित की जाएगी. 

फादर स्टेन स्वामी का जन्म तमिलनाडु के त्रिची जिले के विरागलूर गांव से 20 वर्ष की अवस्था में जमशेदपुर जेसुइट प्रोविंश में 30 मई 1957 को प्रवेश किये.एक जेसुइट की भूमिका में 64 साल और एक जेसुइट पुरोहितिय जीवन के 51साल का मैराथन पारी खेलकर और सिस्टम से पराजित होकर जमशेदपुर आए.एक कफन बॉक्स में कलश में पवित्र राख और अस्थियां लाया गया.इसे चर्च में रखा गया.फेडरेशन ऑफ एशियन बिशप्स कॉन्फ्रेंस (एफएबीसी) के द्वारा मंगलवार को जेसुइट पुरोहित स्टैनिस्लॉस लौर्डुस्वामी की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया, और उन्हें "हाशिए के लोगों का शहीद" कहा.इस शहीद को श्रद्धांजलि दी जारी है.मिस्सा हो रहा है. 

इस बीच स्टेन स्वामी की मौत के लिए विरोध दर्ज कराना और आगे की कार्रवाई के लिए एक प्रस्ताव पारित करना था.एक आवश्यक बैठक फादर स्टेन स्वामी के मित्रों और अनुयायियों ने की.इस बैठक में फादर स्टेन की मौत की न्यायिक जांच,यूएपीए को निरस्त करने और सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग के लिए 15 जुलाई को "राजभवन घेराव" विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है. 

विरोध से पहले, उनके समर्थक मुंबई के बांद्रा में सेंट पीटर्स चर्च से "पवित्र" मिट्टी प्राप्त करेंगे,जहां स्वामी को दफनाया गया था.इसके बाद रविवार को पत्थर की गोलियां खड़ी करने की आदिवासी रस्म 'पत्थरगढ़ी' भी करेंगे. सैकड़ों समर्थक गुरुवार को यहां बगैचा में शोक सभा में एकत्र हुए और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए भविष्य की कार्रवाई पर विचार-विमर्श किया.आदिवासी अधिकार मंच (एएएम) द्वारा आयोजित बैठक में राजनीतिक दलों, नागरिक समाज संगठनों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, आदिवासी संगठनों और जेसुइट परिवार के सदस्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.आयोजकों ने कहा कि बैठक का उद्देश्य न्यायिक हिरासत में स्वामी की मौत के लिए विरोध दर्ज कराना और आगे की कार्रवाई के लिए एक प्रस्ताव पारित करना था. 

अलोका कुजूर ने कहा कि जमशेदपुर चर्च मुंबई में बांद्रा चर्च के साथ समन्वय कर रहा है ताकि स्वामी की "पवित्र" मिट्टी को उनकी कब्रगाह से घर लाया जा सके. “एक बार जब पवित्र मिट्टी यहां आ जाती है, तो स्वामी का आदिवासी और ईसाई दोनों रीति-रिवाजों से स्वागत किया जाएगा. बगईंचा के परिसर में औपचारिक 'पत्थरगढ़ी' की जाएगी और उनके कमरे का नाम जोहर स्टेन रखा जाएगा।" 
"आदिवासी स्वर्ग की अवधारणा में विश्वास नहीं करते हैं और उनके लिए स्वामी दूसरे रूप में रहते हैं.इसलिए, हम "चाय घुसन" (राख के माध्यम से घर लाना) की रस्म को अंजाम देने जा रहे हैं," कुजूर ने कहा, यह समझाते हुए कि उनके कमरे में राख फैल जाएगी और उनके अनुयायी प्रतीक्षा करेंगे और एक प्राणी के पैरों के निशान देखेंगे। 'छम' (पदचिह्न) के आधार पर, हम उस प्राणी को स्वामी के रूप में सम्मान देंगे और इसे कभी नुकसान नहीं पहुंचाने का संकल्प लेंगे." 

शोक सभा में भाग लेते हुए, फिल्म निर्माता मेघनाद, जो 1980 के दशक में भारतीय सामाजिक संस्थान में स्वामी के छात्र थे, ने कहा कि स्वामी लोगों की सेवा में ईसा मसीह की तरह रहते थे. उन्होंने कहा, "पिता के रूप में संबोधित किए जाने पर वह अक्सर हंसते थे और बदले में मुझे बेटा कहते थे क्योंकि वह केवल लोगों से अलग हुए बिना उनकी सेवा करना चाहते थे," उन्होंने कहा. 

प्रख्यात आदिवासी कार्यकर्ता दयामणि बारला ने कहा कि स्वामी ने न केवल जमीनी स्तर पर काम किया, बल्कि लोगों को आदिवासी और कमजोर समुदायों के खिलाफ हो रहे उत्पीड़न के बारे में जागरूक करने के लिए व्यापक रूप से लिखा. उन्होंने कहा, "उन्होंने भूमि अधिग्रहण कानूनों, धर्म परिवर्तन बिल और मॉब लिंचिंग के खिलाफ खुलकर बात की." 

बैठक के दौरान, स्वानी द्वारा जेल में कैद के दौरान लिखी गई कविताओं को पढ़ा गया, जबकि ऑल इंडिया कैथोलिक यूनिवर्सिटी फेडरेशन के अंशु टोप्पो ने स्वामी पर एक कविता सुनाई, जिसे उन्होंने रचा था.आयोजकों ने स्वामी के जीवन और कार्य का एक संक्षिप्त संस्मरण भी प्रसारित किया. उन्होंने बगईंचा को अपनी 'कर्मभूमि' बताया.बगईंचा निवासी सुगिया ने कहा, "वह हमेशा प्रकृति और अपने आसपास के लोगों को बचाने की बात करते थे." 
बैठक में झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य, कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप, पूर्व डिप्टी सीएम स्टीफन मरांडी, राजद के राजेश यादव, सीपीआईएमएल के सुवेंदु सेन, सीपीएम के प्रकाश विप्लव और सीपीआई के अजय सिंह सहित अन्य शामिल थे. 





 

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