भोजपुरी कलाकृतियों को मान्यता देने के लिए आरा जंक्शन पर धरना

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भोजपुरी कलाकृतियों को मान्यता देने के लिए आरा जंक्शन पर धरना

आलोक कुमार 
आरा.आरा जंक्शन पर भोजपुरी को सम्मान नहीं मिलने से 25 दिन से आंदोलन जारी है.इंडिया थिएटर काउंसिल (एआईटीसी) के बैनर तले आंदोलन चल रहा है.आज स्टेशन पर घंटों हंगामा चला. काउंसिल के सदस्यों से आरपीएफ जवानों के बीच हाथापाई हो गई. 
5 सदस्यों को हिरासत में लिया गया.इस शर्त पर छोड़ा कि कल कोर्ट में उपस्थित होंगे. 

इस बीच भोजपुरी कलाकारों ने एआईटीसी अध्यक्ष श्री अशोक मानव के गिरफ्तारी के विरोध में शनिवार 26 जूनको 11:00 बजे से एक घंटे के लिए काला बिल्ला लगाकर मौन प्रदर्शन करने का निश्चय किया है. 

बिहार में आरा के कलाकारों ने विगत 25 दिनो से भोजपुरी कलाकृतियों को मान्यता देने के लिए आंदोलनरत है.इस आंदोलन के समर्थन में ऑल इंडिया थिएटर काउंसिल ऑफ भारत के राष्ट्रीय महासचिव सतीश कुन्दन जी ने अपने संबोधन में कहा है कि कलाकारों की मांग है कि भोजपुरी चित्रकारी को रेलवे स्टेशन पर जगह दें.भोजपुरी कलाकृतियों को मान्यता देने से देश दुनिया के लोग भोजपुरी कला संस्कृति से अवगत होंगे. दीवार खूबसूरत होगा और कलाकारों को रोजगार भी मिलेगा. 

बताया जाता है कि आरा जंक्शन परिसर में आज भोजपुरी कला संरक्षण मोर्चा के प्रदर्शन के दौरान हंगामा हो गया.25 दिन से आंदोलन कर रहे इंडिया थिएटर काउंसिल के सदस्यों से आरपीएफ जवानों के बीच हाथापाई हो गई.इसके बाद इनके खिलाफ अनधिकृत प्रवेश, नारेबाजी, हंगामा आदि की धाराओं में रेल थाना में एफआईआर दर्ज किया गया.पुलिस ने मोर्चा के 5 सदस्य को हिरासत में भी लिया था.हालांकि कल कोर्ट में उपस्थित होने के आदेश के साथ इन्हें छोड़ा गया. 

जानकारी के अनुसार आरा जंक्शन पर भोजपुरी पेंटिंग का चित्रण और भोजपुरी चित्रकला की स्थापना के मुद्दे पर 25 दिन से आंदोलनरत हैं. कलाकार इस मुद्दे पर पूर्व-मध्य रेलवे के अधिकारियों की नीति का विरोध कर रहे थे. बीते दो दिनों से सभी कलाकार भूख हड़ताल पर भी थे.लेकिन सरकार द्वारा कोई सुध नहीं लेने पर कलाकारों ने स्टेशन परिसर में घूम-घूम कर जुलूस के माध्यम से प्रदर्शन व लोगों को जागरूक करना शुरू कर दिया.इसी दौरान आरपीएफजवानों से बकझक हो गई. 

इसे लेकर भोजपुरिया जन मोर्चा के विनोद सिंह ने कहा कि सरकार भोजपुरी अस्मिता के साथ खिलवाड़ कर रही है. डॉ कुमार शीलभद्र ने कहा कि दमन से विद्रोही पैदा होते हैं. हमें बाध्य नहीं किया जाए कि हम अपने अधिकार के लिए कठोर कदम उठाने पर मजबूर हो जाये. रंगकर्मी मनोज कुमार सिंह ने कहा कि यह चित्रकला हमें पूर्वजों से विरासत में मिली है. प्रत्येक व्यक्ति अपनी सामर्थ्य के अनुसार इसकी रक्षा का प्रयास करें. 

रंगकर्मी रतन देवा ने कहा कि लिखित आश्वासन या कार्यादेश के बाद ही यह आंदोलन समाप्त होगा. रंगकर्मी अशोक मानव ने कहा कि यह स्थानीय संस्कृति की रक्षा के साथ साथ स्थानीय कलाकारों की रोटी की रक्षा की भी लड़ाई है. जुलूस के कार्यक्रम में कमल कुमार राय, संजय कुमार सिंह, किशन सिंह, मनोज श्रीवास्तव, घनश्याम पाठक, सुरेश सिंह, रूपा कुमारी, निराला कुमार, पूर्व पार्षद डॉ शशि सक्सेना, कमलेश नाथ पांडेय, नागेंद्र कुमार प्रमुख थे.

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