धान की खरीद में भी जमकर धांधली -अखिलेश

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धान की खरीद में भी जमकर धांधली -अखिलेश

लखनऊ .समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि हवा में गाँठ बांधना कोई भाजपा सरकार से सीखे. गेहूं की कटाई अभी शुरू भी नहीं हुई है लेकिन भाजपा सरकार ने 01 अप्रैल से गेहूँ खरीद का एलान कर दिया है. क्रय केन्द्रों का पता नहीं है. खरीद की तैयारी भी नहीं है. न बोरों की व्यवस्था और न तौल काँटा बिना तैयारी के साथ भाजपा सरकार गेहूँ खरीद के आंकड़े बुनने में जरूर कोताही नहीं करेगी क्योंकि जनता को भ्रमित करके और बहका करके ही उसकी राजनीति चमकती है. 
    सरकारी एलान के अनुसार प्रदेश के 75 जनपदों में 6 हजार गेहूँ क्रय केन्द्र खुलेंगे और 55 लाख मीट्रिक टन गेहूँ की खरीद होगी. सवाल यह है कि जब केन्द्रों तक गेहूँ अभी आने की स्थिति में नहीं हैं, उसकी कटाई में ही विलम्ब है, तो खरीद का ढोल पीटने से क्या लाभ होगा? खुद सरकार के ही क्रय केन्द्रों के जिम्मेदार लोग बताते हैं कि खरीद के लिए आवश्यक संसाधनों का भी टोटा है. 
    किसान पिछले कई महीनों से नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. किसान चाहते हैं कि सरकार जो न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है उसे हर खरीदार के लिए अनिवार्य किया जाए. भले ही अभी गेहूँ की खरीद का सरकारी रेट 1975 रूपए प्रति कुंतल हो, बाजार में आढ़तिये व दूसरे बड़े व्यापारी किसान को निर्धारित राशि नहीं देंगे. वे किसानों से औनपौने दामों पर गेहूँ खरीदेंगे. किसान को लागत के बराबर भी मूल्य नहीं मिलेगा. उसे लागत का ड्योढ़ा दाम देने का वादा तो सिर्फ वादा ही रह जाना है. 
    भाजपा सरकार का पिछला रिकार्ड देखों तो धान की खरीद में भी तमाम धांधलियां हुई थी. धान की लूट होती रही, किसान परेशान रहे, बहुतों को भुगतान भी नहीं मिला. अभी बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से किसानों को क्षति हुई, उसकी भरपाई भी सरकार ने नहीं की. वह बस अपनी उपलब्धियों को फटा ढोल ही पीट रही है. जनता का अब उस पर विश्वास नहीं रहा है। 
    भाजपा की राज्य सरकार को वैसे भी किसानों की भलाई में कोई दिलचस्पी नहीं है. तमाम जगहों पर गर्मी के दिनों में आग लगने की घटनाएं हो रही है. लखनऊ चिनहट में गेहूँ के खेतों में आग से सिर्फ राख ही बची है. बहराइच वन प्रभाग के तहत नानपारा रेंज के बघौली जंगल में आग लग गई. लखनऊ में काकोरी क्षेत्र में और इटौंजा में कमलापुर वनरेसा गांव में गेहूं की फसलें जल गई. 
    बाराबंकी में मसौली के घरौली गाँव  में पांच परिवारों की गृहस्थी और अनाज के साथ पड़ोसी के खेत में खड़ी गेहूँ की फसल भी खाक हो गई. इनके अतिरिक्त गाजीपुर, सोनभद्र, इटावा, लखीमपुर खीरी, बहराइच, प्रतापगढ़, पीलीभीत, रायबरेली जनपदों में भी अग्निकाण्ड में सैकड़ों बीघा फसल और गृहस्थी का सामान आग में स्वाहा हो गया. 
    सच तो यह है कि भाजपा सरकार को गरीबों, किसानों, नौजवानों के भविष्य की कोई चिंता नहीं है. वह सिर्फ उद्योगपतियों के हितों की चिंता करती है. इसलिए वह तीन किसान विरोधी कृषि कानून ले आई है जिनके लागू होने से किसान का खेती पर स्वामित्व समाप्त हो जाएगा और वह अपने खेत पर ही खेतिहर मजदूर बन जाएगा. किसान और गरीब का भला बिना समाजवादी सरकार बने दूर की कौड़ी है. 
                                                                             

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