लखनऊ. भाकपा (माले) और छात्र-युवा संगठनों ने पूर्व जेएनयू अध्यक्ष चंद्रशेखर उर्फ चंदू के 24वें शहादत दिवस पर बुधवार को उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी. अयोध्या, चंदौली सहित प्रदेश के कुछ जिलों में श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किये गए, जबकि सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में उन्हें याद करने वालों ने उनकी तस्वीरें और राजनीति व सामाजिक परिवर्तन के बारे में उनकी उक्तियों को पोस्ट कर श्रद्धांजलि दी।
24 साल पहले आज के ही दिन बिहार के सिवान शहर में राजनीतिक जनसभा के दौरान गुंडों ने गोली मारकर उनकी और साथी श्यामनारायण की हत्या कर दी थी. चंद्रशेखर छात्र जीवन में अपनी और अपने संगठन आइसा की लोकप्रियता के चलते लगातार दो बार जेएनयू के अध्यक्ष चुने गए. जेएनयू से निकल कर उन्होंने पढ़ाई का उपयोग एक बराबरी वाले समाज के निर्माण में करने को चुना और इसके लिए राजनीति को मुख्य जरिया समझ कर भाकपा (माले) का झंडा थाम लिया.
जिस समय (नब्बे के दशक में) वे जेएनयू की राजनीति में थे, उस समय हालांकि भाजपा की चुनौती आज जैसी नहीं थी, फिर भी अपनी राजनीतिक दूरदृष्टि के तहत आने वाले दिनों को उन्होंने भांप लिया था और कहा था, "भारत में इतिहास के इस मोड़ पर, राष्ट्र निर्माण की दो धाराएं आपस में टकरा रही हैं - एक ओर, फासीवादी, तानाशाही, दमनकारी भारत की सोच है, और दूसरी ओर, एक सच्चे लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, समतामूलक भारत बनाने का रास्ता है."
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