बंगाल में बीजेपी की बौखलाहट

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बंगाल में बीजेपी की बौखलाहट

हिसाम सिद्दीक़ी  
बेशुमार काले धन और अपनी पूरी ताकत झोंकने के बावजूद बंगाल में बीजेपी के पैर जम नहीं पाए तो पूरा मोदी परिवार जैसे बौखलाहट का शिकार हो गया. वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी हो होम मिनिस्टर अमित शाह हों, पार्टी सदर जे पी नड्डा हों या पार्टी के स्टार कम्पेनर कहे जाने वाले उतर प्रदेश के चीफ मिनिस्टर योगी आदित्यनाथ सब के सब यह समझ चुके हैं कि यह सब मिलकर भी बंगाल में दीदी यानी टीएमसी चीफ ममता बनर्जी को तीसरी बार सत्ता में आने से रोक नहीं सकते इसके बावजूद मोदी ने अपनी पूरी ताकत झांक रखी है कि वह आम बंगालियों को किस तरह अपने हक में कर सकें. पार्टी के दीवालिएपन का आलम यह है कि पार्टी ने चौंतीस (34) ऐसे लोगों को अपना उम्मीदवार बना दिया जो महज दो महीनों के अंदर तृणमूल कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं. इनके अलावा छः ऐसे उम्मीदवार बनाए गए हैं जो सीपीएम से आए चार कांग्रेस से एक फारवर्ड ब्लाक और एक गोरखा जनमुक्ति मोर्चा से आया हुआ है. अव्वल तो मगरिबी बंगाल में बीजेपी और आरएसएस का कोई बहुत मजबूत और ज्यादा तादाद में काडर नहीं है जो थोड़ा बहुत है वह अब यह नहीं समझ पा रहा है कि दो-तीन महीने पहले तक जो लोग तृणमूल कांग्रेस के लीडर की हैसियत से उनपर तमाम जुल्म व ज्यादतियां कर रहे थे अब बीजेपी के उम्मीदवार हैं तो वह लोग ऐसे उम्मीदवारों के लिए किस मुंह से वोट मांगे. 
केरल और तमिलनाडु की तरह ही मगरिबी बंगाल भी देश का तीसरा ऐसा प्रदेश है जहां आम लोग फिरकापरस्त (कम्युनल) जेहन के नहीं हैं और वह फिरकापरस्ती में पड़ना भी पसंद नहीं करते, लेकिन बीजेपी के सबसे बड़े लीडर नरेन्द्र मोदी अपनी हर तकरीर में इशारों-इशारों में हिन्दू मुस्लिम कार्ड जरूर फेंकते हैं. मसलन वह तकरीर करते हैं कि दस साल से बंगाल में सिर्फ मुंह भराई (तुष्टिकरण) हो रहा है, जाहिर है उनका इशारा साफ है कि मुसलमानों की मुंह भराई की जा रही है. आम बंगाली इसे गलत मानता है. इसी तरह मोदी ने अपनी एक रैली में सवाल किया कि बाटला हाउस इनकाउण्टर में जांबाज इंस्पेक्टर मोहन चन्द शर्मा का दहशतगर्दों के हाथों कत्ल हो गया था उस वक्त दीदी खामोश क्यों रहीं, देश में दहशतगर्दी के वाक्ए पर ममता बनर्जी खामोश क्यों रहती हैं? आम बंगाली बाटला हाउस इनकाउण्टर से अव्वल तो वाकिफ नहीं है और जो थोड़े बहुत लोग वाकिफ भी हैं उन्हें मोहन चन्द शर्मा से कोई जज्बाती लगाव नहीं है. ऐसे में मोदी की यह तकरीरें बीजेपी को वोट कैसे दिला पाएंगी. 
प्राइम मिनिस्टर मोदी बार-बार कह रहे हैं कि बीजेपी सरकार बनी तो प्रदेश को सोनार बांगला बना देंगे. हम जो कहते हैं, वह करते हैं. उनका यही बयान पार्टी के लिए जहर साबित हो रहा है. आम बंगाली उल्टे सवाल दाग रहे हैं और बीजेपी उम्मीदवारों को घेर कर सवाल कर रहे हैं कि 2014 और 2019 में मोदी ने देश से जो वादे किए थे उनमें कौन सा वादा उन्होंने पूरा किया. क्या उन्होने सात सालों में देश को सोने की चिड़िया बना दिया है जो अब  ‘सोनार बांगला’ बनाने का जुमला फेंक रहे हैं? इसी के साथ लोग महंगाई, डीजल, पेट्रोल और एलपीजी की आसमान छूती कीमतों पर भी सवाल करते हैं जिसका कोई जवाब बीजेपी लीडरान के पास नहीं होता है. वह खामोश रहते हैं तो लोग शोर मचाते हुए वापस जाओ के नारे लगाने लगते हैं. कई इलाकों में तो लोगों ने बीजेपी लीडरान पर बाकायदा हमला तक किया और उन्हें दौड़ाया. 
इक्कीस मार्च को्र होम मिनिस्टर अमित शाह ने कोलकाता में अपनी पार्टी का एलक्शन मंशूर (मेनिफेस्टो) जारी किया और काफी जोर देकर कहा कि अगर उनकी पार्टी की सरकार बनी तो एक दिन में ही शहरियत तरमीमी कानून (सीएए) नाफिज कर दिया जाएगा. उनका यह बयान भी उल्टा ही पड़ा है. क्योकि असम और बंगाल दोनों प्रदेशों के हिन्दू और मुसलमान दोनों ही सीएए और एनआरसी की मुखालिफत कर रहे हैं. इसकी वजह यह है कि असम में एनआरसी के बाद जो लोग शहरियत से बाहर रखे गए उनकी तादाद तकरीबन चौदह लाख है. उनमें बारह लाख से ज्यादा हिन्दू हैं. इस वजह से बंगाल और असम के हिन्दू भी सीएए और एनआरसी के खिलाफ हैं. अमित शाह इस तरह बोल रहे थे जैसे उनके इस फैसले से आम बंगाली बीजेपी की तरफ आ जाएगा. बीजेपी का एक भी लीडर बंगाल की तरक्की की कोई बात नहीं करता बस हर मामले को हिन्दू मुस्लिम के फ्रेम में मढ कर वोट लेना चाहता है. इनके पास इस बात का भी कोई जवाब नहीं है कि सात सालों में मोदी अगर देश से किए गए एक भी वादे पर खरे  नहीं उतरे है तो बंगाल में जो बड़े-बड़े हवाई वादे कर रहे हैं उनपर कैसे खरे उतरेंगे? झूट का आलम यह है कि लक्ष्मी देवी नाम की एक मजदूरी करने वाली खातून की चोरी से तस्वीर खींच कर मोदी की तस्वीर के साथ एक इश्तेहार बना कर अखबारात में शाया कराया गया जिसमें लक्ष्मी देवी की जानिब से कहा गया कि मोदी का शुक्रिया जिनकी पीएम आवास योजना की वजह से मुझे और मुझ जैसे चौबीस (24) लाख लोगों को अपनी छत मिल सकी बाद में पता चला कि यह इश्तेहार पूरी तरह झूटा है. लक्ष्मी देवी तो पांच सौ रूपए के किराए के मकान में रहती है. उनसे पूछा गया कि वह पीएम आवास योजना के बारे में कुछ जानती हैं तो उन्होने कहा कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. वह तो पन्द्रह फरवरी तक मजदूरी कर रही थी. उनकी फोटो किसने और कब खींच ली उन्हें मालूम भी नहीं है. यह वीडियो भी बंगाल में खूब घूम रहा है. 
बीजेपी के एक स्टार कम्पेनर हैं उत्तर प्रदेश के चीफ मिनिस्टर योगी आदित्यनाथ. उनके पास भी हिन्दू मुस्लिम के अलावा बोलने को कुछ नहीं है. बंगाल में जाकर उन्होने एलान किया कि अगर उनकी  पार्टी की सरकार बनी तो चौबीस घंटों के अंदर वह गौकुशी बंद करा देंगे. उन्हें यह भी एहसास नहीं रहा कि बंगाल का सबसे बड़ा त्यौहार दुर्गापूजा है. पूजा के दौरान गाय की बलि दी जाती है. लोग उसका गोश्त प्रसाद की तरह खाते हैं. कई लोग तो कच्चा गोश्त भी खाते हैं. अब योगी आदित्यनाथ गौकुशी पर पाबंदी लगाने की बात कर रहे हैं ऐसी पार्टी को भला कौन वोट दे देगा. बंगाल में इण्टर कास्ट और इण्टर रिलीजन शादियों का बड़े पैमाने पर रिवाज है कौन किस से शादी कर रहा है लोग इस पर ध्यान भी नहीं देते योगी वहां जाकर लव जेहाद की बात करते हैं. हिन्दू लड़कियों की मुसलमान लड़कों से शादी पर कानूनी रोक लगाने की तकरीर करते हैं तो आम बंगाली का कहना होता है कि हम किससे शादी करें या हमारे बच्चे किससे शादी करें योगी और बीजेपी कौन होती है उसे अच्छा या बुरा कहने वाली? 
मोदी पार्टी के लीडरान की यह बौखलाहट सिर्फ इसलिए नहीं है कि उन्हें बंगाल में अपनी शिकस्त दिख रही है. उन्हें बौखलाहट इस लिए भी है कि बंगाल के अलावा असम, केरल, तमिनाडु और पुद्दुचेरी में भी अपनी शिकस्त साफ नजर आ रही है. तमिलनाडु, केरल और पुद्दुचेरी में तो खैर बीजेपी की कोई सियासी जमीन न कभी थी न होगी लेकिन मगरिबी बंगाल में तो थे ही नहीं. उसी के साथ-साथ असम से भी उनकी सरकार जाने वाली है. इसका तसव्वुर ही उनके लिए खौफनाक है. असम से उनके जाने की वजह भी सीएए और एनआरसी ही बनेगा.

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