कीचड़ उछालने के लिए यही मुद्दा मिला !

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कीचड़ उछालने के लिए यही मुद्दा मिला !

उर्मिलेश  

नई दिल्ली .जिस दौर में पूर्व  प्रधानमंत्री राजीव गांधी अपने परिवार के साथ लक्षद्वीप केंद्र शासित क्षेत्र के एक द्वीप गए थे, वहां उस वक्त वजाहत हबीबुल्ला(अब सेवानिवृत्त) प्रशासक थे. हबीबुल्ला साहब ने साफ शब्दों में मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी के उस आरोप-भरे दावे को ग़लत बताया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि राजीव गांधी ने अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ ' सैरसपाटा और पार्टी' करने के लिए 'विराट युद्ध पोत' का कई दिनों तक इस्तेमाल किया. किसी दिवंगत प्रधानमंत्री पर कीचड़ उछालने के लिए ऐसे मसले भी प्रयुक्त हो सकते हैं? अनेक युद्ध पोतों पर प्रधानमंत्री क्या, पत्रकारों को भी घुमाने-फिराने ले जाया जाता है. वहां सैन्य अफसर ब्रीफिंग करते हैं.

भारत के मुख्य सूचना आयुक्त रह चुके लेखक और पूर्व प्रशासक हबीबुल्ला ने प्रधानमंत्री मोदी के बयान को निराधार साबित कर दिया. यह भी कहा कि प्रधानमंत्री चाहें तो तथ्यों को फिर से चेक कर लें. वे चाहें तो इसकी पुष्टि अमिताभ बच्चन से कर लें.

जल सेना के एडमिरल रहे रामदास ने भी प्रधानमंत्री के आरोपों को ग़लत बताया है. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री के रूप में वह राजीव गांधी की आधिकारिक यात्रा थी!उस दरम्यान ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था, जैसा प्रधानमंत्री मोदी दावा कर रहे हैं! फिर सच क्या है? आखिर प्रधानमंत्री को और कोई मुद्दा नहीं मिल रहा है कि एक दिवंगत प्रधानमंत्री के किसी दौरे, आधिकारिक यात्रा और उसके बाद पारिवारिक छुट्टी मनाने को वह चुनावी मुद्दा बनाने में जुटे हैं? 

अगर हबीबुल्ला और रामदास जैसे सेवानिवृत्त उच्चाधिकारी सही बोल रहे हैं तो पीएमओ को बताना चाहिए कि प्रधानमंत्री मोदी को उनके सलाहकारों और सहयोगियों में वह कौन है, जो ऐसी झूठी सूचना परोस रहा है? इससे प्रधानमंत्री के पद और कार्यालय, दोनों की छवि और गरिमा को गंभीर नुकसान हो रहा है.

 पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इन दावों को खारिज कर दिया कि राजीव गांधी ने अपने परिवार एवं मित्रों के साथ छुट्टी के लिए आईएनएस विराट का उपयोग एक ‘निजी टैक्सी’ की तरह किया था. हबीबुल्ला ने कहा कि विमान वाहक पोत को सुरक्षा कारणों से लक्षद्वीप में खड़ा किया गया था. अगस्त 1987 से लक्षद्वीप के प्रशासक रहे हबीबुल्ला ने याद करते हुए बताया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वीप विकास प्राधिकरण की बैठक में भाग लेने के लिए कावरती  आए थे. वहां द्वीप विकास परिषद का उद्घाटन होना था तथा उनकी पत्नी सोनिया गांधी के अलावा उनके साथ परिवार का कोई अन्य सदस्य नहीं था.हबीबुल्ला ने पीटीआई भाषा को बताया कि उद्घाटन के बाद द्वीपों में पंचायती राज संस्थानों के गठन के सिलसिले में नवगठित परिषद को केन्द्रीय मंत्रिमंडल के सदस्यों से मिलना था. उन्होंने कहा, ‘‘दो चीजों में भ्रम है. कवारती में द्वीप विकास प्राधिकरण की बैठक होनी थी. कवारती लक्षद्वीप का मुख्यालय है. दूसरा, आधिकारिक कार्यक्रम के बाद प्रधानमंत्री राजीव गांधी, उनके परिवार एवं मित्रों का बंगरम  में अवकाश था जो एक अलग द्वीप है. 

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